
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बड़ा और सख्त प्रशासनिक फैसला लेते हुए राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों पर शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, डिबेंचर और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह आदेश अब राजपत्र में प्रकाशित हो चुका है और तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। सरकार का यह कदम सरकारी सेवा में अनुशासन और निष्पक्षता बनाए रखने की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है।
पिछले कुछ महीनों से लगातार ऐसी शिकायतें सामने आ रही थीं कि कई सरकारी कर्मचारी और अधिकारी ड्यूटी के दौरान भी मोबाइल ऐप्स व ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए ट्रेडिंग में लिप्त हैं। कुछ मामलों में तो यह भी आरोप लगे थे कि उन्होंने विभागीय या आंतरिक जानकारी का दुरुपयोग कर निवेश किया। इन शिकायतों के आधार पर कुछ कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई थी।

अब सरकार ने इस पूरे घटनाक्रम पर लगाम लगाने के लिए स्पष्ट निर्णय लिया है। जारी राजपत्र में उल्लेख किया गया है कि अब कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी:
- शेयर बाजार
- म्यूचुअल फंड
- डिबेंचर
- क्रिप्टोकरेंसी
जैसे किसी भी जोखिमपूर्ण वित्तीय माध्यम में निवेश या ट्रेडिंग नहीं कर पाएगा। यदि कोई ऐसा करता है, तो उसे छत्तीसगढ़ सिविल सर्विस (कंडक्ट) रूल्स के उल्लंघन का दोषी माना जाएगा और उसके विरुद्ध कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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सरकार का उद्देश्य
राजपत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस निर्णय के पीछे सरकार का मकसद सरकारी सेवकों को वित्तीय अनिश्चितता और सट्टा जैसे तत्वों से दूर रखते हुए, प्रशासनिक निष्पक्षता और पारदर्शिता को सशक्त बनाना है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कर्मचारी पूर्णत: अपने कर्तव्यों के प्रति केंद्रित रहें और सेवा में किसी प्रकार का टकराव उत्पन्न न हो।
पहले से निवेश करने वालों के लिए नियम
सरकार ने यह भी कहा है कि यदि कोई कर्मचारी या अधिकारी पहले से ऐसे किसी माध्यम में निवेश कर चुका है, तो उसे अपने विभाग प्रमुख को इसकी जानकारी देना अनिवार्य होगा। यह पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक और अहम कदम है।
अंदरूनी जानकारी के दुरुपयोग के आरोप भी
सूत्रों की मानें तो कुछ कर्मचारियों द्वारा विभागीय योजनाओं, नीतियों या गोपनीय जानकारियों का उपयोग निजी निवेश के लिए किए जाने के गंभीर आरोप सामने आए थे। ऐसे मामलों में न केवल नैतिकता बल्कि कानूनी रूप से भी सवाल खड़े होते हैं। सरकार अब इन पहलुओं को भी नियंत्रित करने की दिशा में सजग दिख रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार का यह आदेश न केवल एक प्रशासनिक सुधार का संकेत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राज्य सरकारें अब पारदर्शिता, अनुशासन और जवाबदेही को लेकर पहले से कहीं अधिक सजग हो रही हैं। देखना यह होगा कि अन्य राज्य इस फैसले से क्या सीख लेते हैं।