
नई दिल्ली | 22 अगस्त 2025, शुक्रवार
दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों (Stray Dogs) को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट अहम आदेश सुनाने जा रहा है। तीन-न्यायाधीशों—जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया—की पीठ सुबह 10:30 बजे से फैसला सुनाना शुरू करेगी। 14 अगस्त को विस्तृत सुनवाई के बाद पीठ ने निर्णय सुरक्षित रखा था। अब कोर्ट स्पष्ट करेगा कि आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में रखने के निर्देशों पर लगी अंतरिम व्यवस्था जारी रहेगी या उस पर रोक लगेगी।
क्या है मामला?
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की दो-जजों की बेंच ने आदेश दिया था कि दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखा जाए और उनका रिकॉर्ड, नसबंदी व टीकाकरण सुनिश्चित हो।
इस आदेश के खिलाफ अपील पर तीन-जजों की बेंच बनी, जिसके सामने यह मांग रखी गई कि शेल्टर-होम वाले निर्देशों पर अस्थायी रोक लगाई जाए। आज का फैसला इसी पर केंद्रित है।
दो-जजों की बेंच के प्रमुख निर्देश (पूर्व आदेश)
एनसीटी दिल्ली, एमसीडी और एनडीएमसी संवेदनशील और बाहरी इलाकों से आवारा कुत्तों को उठाने की प्रक्रिया तेज करें।
पकड़े गए कुत्तों को शेल्टर होम में रखा जाए और रिकॉर्ड-रखरखाव अनिवार्य हो।
दो महीने में शेल्टरों के बुनियादी ढांचे पर रिपोर्ट दाखिल करें।
शेल्टर में नसबंदी व टीकाकरण के लिए पर्याप्त स्टाफ रहे।
कुत्तों को दोबारा सड़कों/कॉलोनियों/सार्वजनिक स्थानों पर न छोड़ा जाए; निगरानी के लिए CCTV लगाए जाएं।
कुत्तों को उठाने से रोकने वाले व्यक्तियों/संगठनों पर कार्रवाई हो।
डॉग-बाइट पीड़ितों के लिए हेल्पलाइन/सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।
आंकड़ों में तस्वीर
सरकारी पक्ष के अनुसार, वर्ष 2024 में देशभर में 37.15 लाख डॉग-बाइट केस दर्ज हुए—यानि रोज़ाना औसतन ~10,000 मामले।
WHO के मुताबिक 2023 में कुत्तों के काटने से 305 मौतें दर्ज हुईं।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि कोर्ट मानव सुरक्षा के साथ-साथ कुत्तों के जीवन के प्रति भी सहानुभूति रखता है—यानी संतुलित समाधान की तलाश में है।
आज क्या बदल सकता है?
अंतरिम आदेश बरकरार: शेल्टर-होम में रखने और रिकॉर्ड/नसबंदी/टीकाकरण संबंधी दिशानिर्देश यथावत रहेंगे; एजेंसियों को अनुपालन तेज करना होगा।
अंतरिम आदेश पर रोक/संशोधन: कोर्ट कुछ शर्तों में ढील दे सकता है या वैकल्पिक व्यवस्था (जैसे ABC कार्यक्रम को प्राथमिकता, क्षेत्र-वार जोखिम आँकड़ों के आधार पर चरणबद्ध कार्रवाई) सुझा सकता है।
समग्र नीति की रूपरेखा: दिल्ली-NCR के लिए एक एकीकृत कार्ययोजना—शेल्टर क्षमता, बजट, NGO-भागीदारी, मॉनिटरिंग और पारदर्शिता—पर विस्तृत दिशानिर्देश आ सकते हैं।
प्रभाव: नागरिकों, डॉग-लवर्स और एजेंसियों पर
नागरिक: स्कूल-कॉलेज, हाउसिंग सोसायटी, बाजार और परिवहन केंद्र जैसे क्षेत्रों में सुरक्षा प्रोटोकॉल सख्त हो सकते हैं; शिकायत/रिपोर्टिंग प्रक्रियाएं सरल होने की उम्मीद।
डॉग-लवर्स/NGOs: रेस्क्यू, फोस्टर-केयर, एडल्शन और पोस्ट-ऑप केयर में संस्थागत साझेदारी बढ़ेगी; फीडिंग-ज़ोन/रेहैब के स्पष्ट मानक तय हो सकते हैं।
स्थानीय निकाय (MCD/NDMC/पुलिस): समर्पित टीमें, डेटा-ट्रैकिंग, CCTV-निगरानी और समयबद्ध रिपोर्टिंग अनिवार्य; उल्लंघन पर जवाबदेही तय।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं? (मुख्य बहस के बिंदु)
सार्वजनिक स्वास्थ्य बनाम पशु कल्याण: भीड़भाड़ वाले इलाकों में इंसान की सुरक्षा प्राथमिक, पर मानवीय तरीके से ABC (Animal Birth Control), ARV (Anti-Rabies Vaccination) और एथिकल शेल्टरिंग जरूरी।
कैप्चर-एंड-होल्ड की क्षमता: शेल्टरों की सीमित क्षमता और पोस्ट-ऑप केयर biggest bottleneck; बिना क्षमता-वृद्धि के बड़े पैमाने पर शिफ्टिंग से क्रूरता/ओवरक्राउडिंग का जोखिम।
डेटा-ड्रिवन नीति: बाइट-हॉटस्पॉट, प्रजनन-दर, टीकाकरण कवरेज और नागरिक शिकायतों के जियो-मैपिंग से बेहतर तैनाती संभव।
क्या करें अगर डॉग-बाइट हो?
घाव को तुरंत बहते पानी और साबुन से साफ करें (कम से कम 10–15 मिनट)।
नज़दीकी अस्पताल/डिस्पेंसरी में जाकर एंटी-रेबीज़ ट्रीटमेंट शुरू करवाएं; देरी न करें।
स्थानीय निकाय/पुलिस/हेल्पलाइन पर घटना रिपोर्ट करें; स्थान, समय और कुत्ते का विवरण/फोटो (यदि सुरक्षित हो) साझा करें।
उपचार की रसीद/रिकॉर्ड सुरक्षित रखें।
आगे की राह
आज का फैसला नीतिगत दिशा तय करेगा—क्या प्राथमिक जोर बड़े पैमाने पर शेल्टरिंग पर रहेगा या ABC+ARV के साथ समुदाय-आधारित प्रबंधन पर। कोर्ट जो भी व्यवस्था तय करेगा, उसकी सफलता एजेंसियों की क्षमता-वृद्धि, पारदर्शी निगरानी और नागरिक-भागीदारी पर निर्भर करेगी।