
नई दिल्ली। बिहार में स्पेशल इन्टेन्सिव रिवीजन (SIR) के तहत चल रही वोटर लिस्ट अपडेट प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई की। हालांकि, अदालत ने फिलहाल वोटर लिस्ट के मसौदे प्रकाशन पर कोई रोक लगाने से इनकार कर दिया और अगली सुनवाई मंगलवार तक टाल दी। अब कोर्ट तय करेगा कि इस संवेदनशील मामले पर विस्तृत बहस कब होगी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे। कोर्ट ने पूछा कि वोटर की पहचान के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी को स्वीकार किया जाएगा या नहीं। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि “दुनिया का कोई भी दस्तावेज पूरी तरह फर्जी से मुक्त नहीं होता, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि किसी दस्तावेज को पूरी तरह अविश्वसनीय माना जाए।”
चुनाव आयोग ने जवाब में कहा कि वह वोटर ID और आधार नंबर को स्वीकार कर रहा है, लेकिन राशन कार्ड पर उसे आपत्ति है क्योंकि इसे आसानी से फर्जी बनाया जा सकता है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार, नागरिकता का प्रमाण नहीं है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट पूर्व में कह चुका है।
इस मुद्दे पर राजनीतिक माहौल भी गर्म है। प्रियंका गांधी समेत विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। इससे पहले बिहार में महागठबंधन द्वारा बंद का आह्वान भी किया गया था।
आयोग ने विपक्ष के धांधली के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अब तक 91.69% मतदाताओं ने SIR फॉर्म जमा किया है, जिसमें से 22 लाख मृतक, 36 लाख प्रवासी और 7 लाख डुप्लीकेट नाम हटाए गए हैं। ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 1 अगस्त को जारी होगी, जिसके बाद आपत्ति और दावे दर्ज कराए जा सकते हैं।