सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, लाइफ पार्टनर के मान-प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाना मानसिक क्रूरता, इस आधार पर हो सकता है तलाक

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नई दिल्ली /सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक अहम फैसले में कहा कि अगर कोई शख्स अपने जीवनसाथी के मान-सम्मान को चोट पहुंचाता है तो यह मानसिक क्रूरता के समान है और यह तलाक का आधार भी बन सकता है। सेना के एक अधिकारी और उसकी पत्नी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि लाइफ पार्टनर के खिलाफ मान-प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाली शिकायतें करना और उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना मानसिक क्रूरता के दायरे में आएगा  यह कहते हुए शीर्ष अदालत ने उस सैन्य अधिकारी की तलाक की अर्जी को स्वीकार कर लिया जिसकी पत्नी ने वरिष्ठ अधिकारियों और महिला अधिकारों से संबंधित निकायों में पति के खिलाफ कई शिकायतें की थी।

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  जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस दिनेश महेश्वरी और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पीठ ने माना कि पत्नी द्वारा इस तरह का अपमान निश्चित रूप से पुरुष पर क्रूरता करना है और वैवाहिक कानूनों के तहत तलाक का आधार है।पीठ ने फैसले में कहा है कि जब जीवनसाथी की प्रतिष्ठा उसके सहयोगियों, वरिष्ठों और एक हद तक समाज में तार-तार हो जाती है तो प्रभावित पक्ष से इस तरह के आचरण के लिए माफी देने की उम्मीद करना मुश्किल है। इस तरह की परिस्थितियों में अन्याय करने वाला पक्ष यह उम्मीद नहीं कर सकता कि उसका वैवाहिक जीवन बना रहे।पीठ ने कहा है कि जब जीवनसाथी के आचरण के कारण किसी का कॅरिअर और प्रतिष्ठा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाए तो इस बात की उम्मीद करना बेमानी है कि वे साथ-साथ रहें।

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कोर्ट में कहा कि मानसिक क्रूरता को तलाक का एक आधार माना गया है। क्रूरता को समझने के लिए पृष्ठभूमि व शिक्षा के स्तर पर भी गौर किया जाना चाहिए। सहिष्णुता का पैमाना एक दंपती का दूसरे दंपती से अलग होता है। इसका कोई एकसमान मानक निर्धारित नहीं किया जा सकता है। सेना के एक अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर पत्नी के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था और इस आधार पर तलाक की मांग की थी। पत्नी एक पीजी कॉलेज में फैकल्टी मेंबर हैं। दोनों की शादी 15 साल पहले 2006 में हुई थी। शादी के बाद दोनों कुछ महीने साथ रहे लेकिन इसके बाद मतभेद पैदा हो गए। दोनों में 2007 में अलगाव हुआ। याचिकाकर्ता ने कहा कि पत्नी ने उसे मानसिक पीड़ा पहुंचाया और तमाम जगहों पर उसके मान-सम्मान को ठेस पहुंचाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई अपने लाइफ पार्टनर के मान-सम्मान को उसके सहकर्मियों और समाज में अन्य लोगों के बीच नुकसान पहुंचाता है तो फिर वह मानसिक क्रूरता के दायरे में आएगा।

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