‘फेक न्यूज’ पर सुप्रीम कोर्ट सख्त , कहा – मीडिया निभाए जिम्मेदार भूमिका ,  झूठी खबरों पर रोक लगाने का दिया निर्देश

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नई दिल्ली। देशभर में जारी लॉकडाउन के दौरान लाखों की संख्या में लोगों के पलायन के लिए फेक न्यूज तथा भ्रम फैलान वाले संदेशों को जिम्मेदार ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के आदेश दिए हैं। 

चीफ जस्टिस एसए बोब्डे और जस्टिस नागेश्वर राव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मंगलवार को कोरोना मामले पर सुनवाई की थी, जिसमें सॉलिसिटर जनरल ने कोरोना को लेकर सरकार की कोशिशों और स्थिति का ब्योरा रखा था। इस दौरान सरकार की ओर से कहा गया था कि पलायन की वजह से व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। इस पर कोर्ट ने कहा था कि पलायन की एक बड़ी वजह है डर, और डर की वजह है झूठी खबरें, यानी फेक न्यूज़। ऐसे में जरूरी है कि सरकार फेक न्यूज़ फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करे।

चीफ जस्टिस बोब्डे ने कहा कि मजदूरों के पलायन के पीछे एक बड़ी वजह डर है, जो वायरस से भी ज्यादा खतरनाक है। इस प्रकार की झूठी सूचना प्रचारित करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उऩ्होंने कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, 2005 की धारा-54 में ऐसे व्यक्ति को दंडित करने का प्रावधान है जो झूठी सूचना देकर लोगों को परेशान करता है। ऐसे व्यक्ति को एक साल जेल की सजा अथवा अर्थदण्ड का प्रावधान है। साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग सरकार की बात नहीं मान रहे हैं उनके खिलाफ आईपीसी की धारा-188 के तहत भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

इस दौरान कोर्ट ने मीडिया को लेकर भी स्पष्ट जिम्मेदारी दर्शाने के निर्दश दिए। दोनों जजों ने कहा, ‘हमें विश्वास हैं और उम्मीद करते हैं कि देश के सभी संबंधित अर्थात् राज्य सरकारें, सार्वजनिक प्राधिकरण और नागरिक ईमानदारी से सार्वजनिक सुरक्षा के हित में पत्र एवं भावना के साथ भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों, सलाहों और आदेशों का पालन करेंगे।’ 

चीफ जस्टिस ने कहा कि विशेष रूप से हम उम्मीद करते हैं कि मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सामाजिक) जिम्मेदारी की एक मजबूत भावना को बनाए रखते हुए यह सुनिश्चित करेगी कि लोगों में डर का माहौल समाप्त हो। इसके लिए जरूरी है कि मीडिया संस्थान सत्यापित खबरों को ही प्रकाशित करें जिससे समस्या की इस घड़ी में हम सभी राहत पहुंचाने में सहायक हो सकें। उन्होंने कहा कि मीडिया की स्वतंत्र चर्चा में हस्तक्षेप न करते हुए उन्हें सिर्फ महामारी के घटनाक्रम के बारे में आधिकारिक संस्करण को संदर्भित और प्रकाशित करने के लिए निर्देशित किया जाता है।