दिल्ली / रायपुर: सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ में बढे हुए आरक्षण की मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार की मांग पर कोई स्पष्ट निर्देश का उल्लेख नहीं होने से एक बार फिर आरक्षण का मुद्दा चर्चा में है। कानून के जानकारों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के आदेश में सिर्फ भर्ती प्रक्रिया-नियुक्ति एवं पदोनत्ति को जारी रखने का दिशा निर्देश है। लेकिन आरक्षण के प्रतिशत को लेकर अदालत ने अभी अपने आदेश में कुछ भी नहीं कहा है।
बिलासपुर हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप जौहरी ने न्यूज़ टुडे से चर्चा करते हुए अदालती फैसले की गहराई से व्याख्या करने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि किसी राजनैतिक दल विशेष के बहकावे में आने के बजाए बुद्धिजीवियों और अभिभावकों को अदालती फैसले का बारीकी से अध्यनन करना चाहिए।
जौहरी ने कहा कि इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट की मंशा साफ़ झलक रही है, उनके मुताबिक छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सरकारी महकमे में कमी का हवाला देते हुए,नई भर्ती,पदोनत्ति और नियुक्तियों पर लगे विराम से अदालत को अवगत कराया था। लिहाजा कोर्ट ने अपने फैसले में ऐसी प्रक्रियाओं को जारी रखने में अपनी सहमति दी है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि उपरोक्त सभी प्रक्रिया इस याचिका के निर्णय से बाध्य होंगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के इस ताजा फैसले को लागू किए जाने के मामले में छत्तीसगढ़ शासन की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।