दिल्ली : छत्तीसगढ़ में राजकीय कांग्रेस के रंग में रंगे IAS ,IPS और स्टेट सर्विस के अफसरों के कारनामे सुनकर सुप्रीम कोर्ट हैरत में है | ऐसे अफसरों को कोर्ट ने नोटिस जारी किया है | दरअसल ,आरोपोंनुसार अखिल भारतीय और राज्य सेवाओं के कुछ अफसरों ने मिलकर प्रदेश में कोहराम मचा रखा है | ये अफसर आए दिन कोई ना कोई आपराधिक घटनाओ को अंजाम दे रहे हैं | आईएएस अफसरों के निर्देश पर स्टेट सर्विस के कई अफसर भी अपने पद और अधिकारों का दुरूपयोग कर रहे है |
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ये मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आते ही चर्चा में आ गया है | ऐसे सरकारी मुलाजिमों से पीड़ित लोग अब इंसाफ की गुहार लेकर अदालत का दरवाजा खटखटा रहे है | एक ताजा मामले में इन अफसरों के कामकाज को देख कर सुप्रीम कोर्ट भी हैरानी जता रहा है | फिलहाल उसने इन्हे नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है |
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मामला छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व अफसर अशोक चतुर्वेदी और उनके परिवार को प्रताड़ित करने से जुड़ा है | बताया जाता है कि एक फर्जी प्रकरण तैयार कर पुलिस ने अशोक चतुर्वेदी के आवास पर दबिश दी थी | उनके परिजनों को घंटो नजरबन्द रखा गया था | मामला यही नहीं थमा ,पुलिस कर्मी बगैर नोटिस और सर्च वारंट के उनके आवास में वक्त-बेवक्त दाखिल होने लगे थे |
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प्रदेश के ख़ुफ़िया विभाग ने चतुर्वेदी और उनके परिजनों पर अघोषित पहरा बैठा दिया था | पुलिस की लगातार प्रतड़ना झेल रहे अशोक चतुर्वेदी ने जब मामले की पड़ताल कि तो पता चला कि मुख्यमंत्री बघेल की करीबी अफसर सौम्या चौरसिया के निर्देश पर मुसीबत उनके गले आन पड़ी है | अशोक चतुर्वेदी ने दबंगता का परिचय देते हुए कांग्रेसी रंग में रंगे अफसरों की कार्यशैली से सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया है |
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उनकी याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आधा दर्जन से ज्यादा अफसरों को नोटिस जारी किया है | इन अफसरों को तलब किए जाने के पीछे उनकी आपराधिक कार्यशैली चर्चा में है|
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सुप्रीम कोर्ट ने जिन अफसरों को नामजद तलब किया है ,उसमे पहला नाम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की खासम खास उपसचिव सौम्या चौरसिया का नाम शामिल है ,उनके अलावा एएसपी अभिषेक माहेश्वरी, आईपीएस प्रशांत अग्रवाल ,वरिष्ठ आईएएस और ACS सुब्रत साहू को नामजद नोटिस जारी हुआ है | जबकि आईपीएस आनंद छाबड़ा ,DGP अशोक जुनेजा व अन्य थानेदारो को पदनाम से नोटिस जारी किया गया है |
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बताया जाता है कि पीड़ित पक्ष ने इन अफसरों की कार्यप्रणाली पर आपत्ति जताते हुए ,उन्हें आपराधिक षड़यंत्र में शामिल होना बताया है | आरोप लगाया गया है कि ये अफसर सिविल सेवा आचरण संहिता की सरेआम धज्जियाँ उड़ा रहे है | बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के तत्कालीन अफसर अशोक चतुर्वेदी को प्रताड़ित करने के लिए उक्त तमाम अफसरों ने अपने पद और प्रभाव का बेजा इस्तेमाल किया|
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इन अफसरों ने किसी गिरोह की तर्ज पर अशोक चतुर्वेदी के आवास पर बार -बार दबिश दी | इसके लिए कई थानों के पुलिस अफसरों को मैदान में उतारा गया था | अशोक चतुर्वेदी के आवास में निवासरत कर्मियों को अमानवीय यातनाए दी गई थी | सूत्रों के अनुसार अशोक चतुर्वेदी के मोबाइल फोन की अवैध रूप से रिकॉर्डिंग भी की गई थी | ताकि उनकी लोकेशन समेत तमाम गतिविधियों को मॉनिटर किया जा सके |
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मामला यही नहीं थमा,उनके आवास में निवासरत लोगो के साथ लगातार बदसलूकी की खबरे सुर्खियों में रही थी | बताया जाता है कि इस दबंग अफसर ने मुख्यमंत्री बघेल के सामने आख़िरकार घुटने नहीं टेके | खबर अनुसार उन्होंने उन अफसरों के गैर कानूनी कृत्यों से घटनावार सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया है | उधर अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ शासन के वकीलों की फौज नदारद बताई जा रही है|
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बताया जाता है कि राज्य शासन और आरोपी अफसरों की ओर से वकीलों के पेश नहीं होने के चलते सुनवाई अगली तिथि तक खिसक गई |सुप्रीम कोर्ट में अशोक चतुर्वेदी की ओर से पैरवी कर रहे छत्तीसगढ़ के चर्चित वकील आशुतोष पांडे ने मामले को गंभीर बताया है | उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के सरंक्षण में अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की मनमानी सिविल सेवा आचरण संहिता का खुला उल्लंघन है |
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उनके मुताबिक याचिका में सबूत पेश करने से अपराधों में भागीदार अफसरों की कलई खुल गई है | उन्होंने कहा कि कोर्ट के समक्ष अखिल भारतीय सेवाओं के अफसरों की कार्यप्रणाली का अभी नमूना मात्र पेश किया है | आगे जो सबूत पेश करेंगे वे ऐसे अफसरों के लिए सबक होगा | फिलहाल कोर्ट का नोटिस चर्चा में है |