सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने बागी विधायकों के निलंबन संबंधित शिवसेना (Shiv Sena) की याचिका पर सुनवाई के लिए अपनी रजामंदी देते हुए शुक्रवार को कहा कि अदालत ने अपनी आंखें बंद नहीं की हैं और वो इस मामले की जांच करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के नवनियुक्त मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) सहित शिवसेना के 16 विधायकों को निलंबित करने और विधानसभा में प्रवेश नहीं करने देने का निर्देश दिए जाने संबंधी शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु (Sunil Prabhu) की याचिका पर सुनवाई करने की मंजूरी दे दी है.
सुनील प्रभु की तरफ से दायर की गई थी याचिका
सुनील प्रभु के वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे बी पारदीवाला की अवकाश पीठ के समक्ष याचिका पेश की थी. सिब्बल ने कहा कि शिंदे गुट ने भारतीय जनता पार्टी में विलय नहीं किया है और जैसे ही शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली वैसे ही उन्होंने संविधान के 10वें अनुच्छेद का उल्लंघन किया.
‘कोर्ट ने बंद नहीं की अपनी आंखें’
सिब्बल ने कहा कि वो पार्टी नहीं हैं बल्कि यह लोकतंत्र का नाच है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अदालत ने अपनी आंखें बंद नहीं की हैं और अदालत इस मामले की जांच करेगी. सुप्रीम कोर्ट 11 जुलाई को इस मामले में सुनवाई करेगा. इसके अलावा 11 जुलाई को ही शिंदे गुट की याचिका पर भी सुनवाई होनी है, जिसमें उन्होंने अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ याचिका दायर की है.
खंडपीठ ने कहा- इसकी होगी जांच
सिब्ब्ल ने कहा कि किसने सचेतक को माना जाएगा. दोनों पक्ष अपना सचेतक नियुक्त करेंगे. असली शिवसेना कौन है, इसका निर्णय चुनाव आयोग करेगा. अगर ऐसा है तो विश्वास प्रस्ताव के दौरान वोटों की गिनती कैसे होगी. खंडपीठ ने कहा कि वो देखेगी कि क्या प्रक्रिया है और क्या यह गलत है. इसकी जांच होगी.