
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पराली जलाने की समस्या पर कड़ा रुख अपनाते हुए चेतावनी दी कि यदि इसे रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो दिल्ली और एनसीआर की हवा लगातार जहरीली बनी रहेगी। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने कहा कि किसानों का देश में सम्मान है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्हें पराली जलाने की अनुमति दी जाए। उन्होंने दंड, जुर्माना और गिरफ्तारी जैसे कठोर प्रावधानों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता बताई।
मुख्य न्यायाधीश ने सवाल उठाया कि अब तक किसानों पर प्रभावी दंडात्मक कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि केवल अपील करने से समस्या हल नहीं होगी। यदि कुछ किसानों को सख्त दंड मिले, तो यह सही संदेश देगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि पर्यावरण संरक्षण के वास्तविक प्रयास के लिए जुर्माना और दंड लागू करना अनिवार्य है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पराली जलाना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वच्छ पर्यावरण के मौलिक अधिकार का भी हनन है। अदालत ने पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारों की आलोचना की कि वे अब तक नाममात्र के जुर्माने और आधी-अधूरी कार्रवाई तक सीमित रही हैं, जिससे अपराधियों को रोकने में विफलता रही।
अदालत ने अधिकारियों और राज्य सरकारों को निर्देश दिए कि वे फसल अवशेष प्रबंधन, वैकल्पिक खेती और जनजागरूकता अभियानों को और मजबूत करें। आयोग फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को भी सख्ती से निगरानी रखने के लिए कहा गया। मुख्य न्यायाधीश गवई ने चेतावनी दी कि सर्दियों में प्रदूषण का स्तर हमेशा बढ़ता है और पराली जलाने से यह और बढ़ेगा। जब तक कठोर कार्रवाई नहीं होगी, यह समस्या जस की तस बनी रहेगी।