CAA विरोधियों को सुप्रीम कोर्ट का तगड़ा झटका , रोक लगाने से कोर्ट का इंकार , केंद्र को जारी किया जवाब देने के लिए नोटिस , चार हप्तों की मोहलत 

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नई दिल्‍ली वेब डेस्क / CAA को लेकर कांग्रेस समेत इसके विरोधियों को तगड़ा झटका लगा है | बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने CAA पर किसी भी तरह की रोक लगाने से इंकार कर दिया | अलबत्ता केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार हप्तों में जवाब पेश करने के निर्देश दिए गए है | CAA विरोधियों को उम्मीद थी कि इस पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल जायेगा | उधर सुनवाई के दौरान वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्‍बल की तरफ से सुनवाई के दौरान कहा गया कि इस मामले को सुनवाई के लिए किसी बड़ी बेंच के पास भेजा जाए | नागरिकता संशोधन कानून को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई | सुप्रीम कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद नागरिकता कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया |  न्‍यायालय ने कहा कि बिना केंद्र का पक्ष सुने कोई भी आदेश नहीं दे सकते | न्यायालय के इस रुख से विरोधियों के तेवर ढीले पड़ गए | 

सुनवाई के दौरान वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्‍बल की तरफ से कहा गया कि इस मामले को सुनवाई के लिए किसी बड़ी बेंच के पास भेजा जाए | उन्‍होंने मांग की कि कानून पर 3 महीने तक रोक लगे | एक बार नागरिकता मिलने के बाद नागरिकता नहीं छीनी जा सकती| वहीं, कोर्ट रूम में भारी भीड़ के बीच अटॉर्नी जनरल की तरफ से आपत्ति जताई गई | उन्होंने कहा कि सरकार ने इसकी प्रक्रिया को शुरू कर दिया है | उत्तर प्रदेश में यह प्रकिया भी शुरू हो गई है | AG ने 3 महीने तक कानून पर रोक लगाने का विरोध किया | सिब्बल ने मांग उठाई कि इसी मुद्दे पर जल्द फरवरी में कोई तारीख सुनवाई के लिए तय हो | 

AG ने अदालत को बताया कि इस मामले में 144 याचिकाएं दायर हुई हैं, जिसमें से सरकार के पास 60 की ही सूचना मिली है | उन्‍होंने कहा कि कि हमें सभी 144 याचिकाओं पर जवाब देना है | वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट को कहना चाहिए कि अब कोई नई याचिका दायर नहीं होगी | अगर किसी को कोई बात कहनी होगी तो इंटरवेंशन एप्लीकेशन दायर कर सकता है | 

इस मामले को लेकर अदालत खचाखच भरी थी | सुनवाई से पहले कोर्ट नंबर 1 पूरी तरफ से भर चूका था | इसे देखते हुए कोर्ट के तीनों दरवाज़े खोलने पड़े | हालांकि दरवाज़े के बाहर भी भीड़ मौजूद थी | हर कोई सुनवाई से वाकिफ होने के लिए अंदर जाना चाहता था | इस कानून पर शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए आज 140 याचिकाएं लिस्टेड थी | इनमें से 131 याचिकाएं इस कानून के खिलाफ दायर हुई हैं, जबकि एक याचिका समर्थन में और एक केंद्र सरकार की याचिका है | 

चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एक अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने सीएए से संबंधित 144 याचिकाओं पर सुनवाई की। सीएए की संवैधानिक वैधता को इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग, पीस पार्टी, असम गण परिषद, ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन, जमायत उलेमा ए हिन्द, जयराम रमेश, महुआ मोइत्रा, देव मुखर्जी, असददुद्दीन ओवेसी, तहसीन पूनावाला व केरल सरकार सहित अन्य ने चुनौती दी थी।

CAA के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने अभी तक जवाब दाखिल नहीं किया है | केंद्र सरकार के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में 60 से ज्यादा और नई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई हैं, लिहाजा सभी याचिकाओं को देखना होगा कि उसमें क्या मांग की गई है | सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार सभी याचिकाओं का विरोध करेगी | केंद्र सरकार का दावा है कि नागरिकता संसोधन क़ानून किसी के मौलिक अधिकारों का हनन और उल्लंघन नहीं करता |