RSS के मार्च को सुप्रीम कोर्ट से मिली मंजूरी, स्टालिन सरकार को SC से झटका, लगाई फटकार

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नई दिल्ली : RSS सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को राज्य में मार्च करने की अनुमति दी गई थी. सु्प्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में RSS की प्रस्तावित रूट यात्रा को हरी झंडी दे दी है. जस्टिस वी रामा सुब्रह्मण्यम और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने फैसला सुनाया है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार 6 जिलों में मार्च को इजाजत नहीं दे सकती है. क्योंकि इन इलाकों में PFI और बम ब्लास्ट का खतरा है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के रुख की आलोचना की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार किसी के लिए लोकतंत्र की भाषा बोलती है और किसी के लिए सत्ता की भाषा बोलती है. सुप्रीम कोर्ट का रुख देखते हुए उस समय RSS पांच मार्च का प्रस्तावित मार्च टालने को सहमत हो गया था.

बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने तीन मार्च को उच्चतम न्यायालय में कहा था कि वह पांच मार्च को राज्य भर में RSS के प्रस्तावित ‘रूट मार्च’ और जनसभाओं की अनुमति देने के पूरी तरह खिलाफ नहीं है, हालांकि राज्य सरकार ने खुफिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए यह भी कहा कि यह कार्यक्रम प्रदेश के हर गली, नुक्कड़ में आयोजित करने नहीं दिया जा सकता है.

गौरतलब है कि मद्रास उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को तमिलनाडु में फिर से निर्धारित तिथि पर अपना मार्च निकालने की 10 फरवरी को अनुमति देते हुए कहा था कि विरोध प्रदर्शन मजबूत लोकतंत्र के लिए जरूरी है. एकल न्यायाधीश के चार नवंबर, 2022 को पारित आदेश को निरस्त करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय ने दस फरवरी को दी गई अपनी व्यवस्था में 22 सितंबर, 2022 के आदेश को बहाल किया जिसमें तमिलनाडु पुलिस को जुलूस आयोजित करने और एक जनसभा आयोजित करने की अनुमति से संबंधित आरएसएस के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया था.

हालंकि, एकल न्यायाधीश के आदेश में प्रस्तावित राज्यव्यापी रूट मार्च पर शर्तें लगाई गई थीं और इसे बंद जगह में आयोजित करने को कहा गया था. इसके बाद कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को रूट मार्च/शांतिपूर्ण जुलूस आयोजित करने के उद्देश्य से तीन अलग-अलग तिथियों के साथ राज्य के अधिकारियों से संपर्क करने को कहा तथा राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इन तीन तिथियों में से एक चयनित तिथि पर उन्हें रूट मार्च/शांतिपूर्ण जुलूस आयोजित करने की अनुमति दें.