रायपुर / बिलासपुर: छत्तीसगढ़ की सुपर सीएम सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका पर बिलासपुर हाई कोर्ट में आज गुरूवार को सुनवाई के आसार है, माना जा रहा है कि इसी दिन ED, सौम्या चौरसिया के भ्रष्टाचारों के ताबूत पर आखिरी कील ठोकेगी। सूत्र बताते है कि इसके बाद एजेंसियां बिलासपुर या रायपुर में सिर्फ “सीरियस मीडिया” से रूबरू हो सकती है। अदालत के गलियारों में कोल खनन परिवहन घोटालो के आरोपियों और संदेहियों के बचावी दांव पेंचो की चर्चाएं जोरो पर है।
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जानकारी के मुताबिक, ED ने “गुनाहो की देवी” के तमाम काले कारनामो से अदालत को रूबरू कराया है। जबकि बचाव पक्ष की ओर से लिखित में ED के तमाम आरोपों का जवाब दाखिल किया गया है,देश के सर्वाधिक महंगे वकीलों की टीम सौम्या चौरसिया की ओर से पैरवी के लिए दस्तक दे रही है।
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बताते है कि सौम्या चौरसिया की ओर से प्रत्येक पेशी पर लगभग डेढ़ करोड़ रूपए खर्च किए जा रहे है। यह भी बताया जाता है कि रायपुर की निचली अदालत,हाई कोर्ट बिलासपुर से लेकर सुप्रीम कोर्ट दिल्ली तक कानूनी सलाह में सौम्या चौरसिया एंड कंपनी रोजाना बड़े पैमाने पर पानी की तरह रकम बहा रहे है। देश की कई अदालतों में डिप्टी कलेक्टर स्तर की इस महिला अधिकारी के रोजाना कई मामले सुनवाई के दौर में है,महीनो में दर्जनों पेशी पर खर्च होने वाली करोडो की रकम का स्रोत भी हैरान करने वाला बताया जाता है।
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बता दें कि,सरकारी तंत्र में डिप्टी कलेक्टर स्तर के पदों के लिए वेतनमान शासन द्वारा निर्धारित है,इसके तहत वैधानिक रूप से अभियुक्त सौम्या चौरसिया को लगभग 80 हजार रूपए मासिक वेतन प्राप्त होता है। ऐसे में कोर्ट कचहरी पर रोजाना करोडो रूपए व्यय किए जाने का मामला चर्चा में है।सौम्या चौरसिया की लगभग 170 करोड़ की संपत्ति ED अटैच कर चुकी है,अरबो की बेनामी संपत्ति की जांच अधर में बताई जा रही है। यह भी बताया जा रहा है कि राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसियों को सहयोग करने के बजाए उसका विरोध किया जा रहा है। इस बाबत छत्तीसगढ़ कैडर के कई जिम्मेदार अधिकारीयों की कार्यप्रणाली भी खूब सुर्खियां बटोर रही है।
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छत्तीसगढ़ के कोल खनन परिवहन घोटालो में कई घोटाले दर्ज हो रहे है,इसकी बानगी गौरतलब है,DMF घोटाला इसी कड़ी से जुड़ा बताया जा रहा है,जबकि दोनों ही घोटालो के संदेही आबकारी घोटाले में भी शामिल बताए जा रहे है।
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ED को संदेहियों से पूछताछ के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है,राज्य के तमाम घोटालो और अपराधों के प्रमुख सूत्रधार के रूप में सौम्या चौरसिया का नाम सुर्ख़ियों में है। एजेंसियों ने ऐसे ठोस सबूतों से अदालत को रूबरू कराया है,जो सरकारी मशीनरी के जरिए राजनेताओ और नौकरशाहों द्वारा अंजाम दिए जा रहे संगठित अपराधों की तस्दीक कर रहे है।
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बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में PCS स्तर की 2008 बैच की डिप्टी कलेक्टर सौम्या चौरसिया मुख्यमंत्री पद के संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर रही थी। बावजूद इसके मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उसकी रोक थाम करने के बजाए महिला अधिकारी को बढ़ावा और संरक्षण जारी रखा था। सूत्र बताते है कि सैकड़ो दस्तावेजी प्रमाणों के साथ एजेंसियों ने अभियुक्त सौम्या चौरसिया की कई काली करतूतों का खुलासा किया है।
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बताते है कि मुख्यमंत्री कार्यालय से ही तमाम घोटालो के लिए सौम्या चौरसिया अपने गुर्गो को निर्देशित कर रही थी। उसकी कार्यप्रणाली से वाकिफ होने के बावजूद मुख्यमंत्री कार्यालय और सरकार के तमाम जिम्मेदार अधिकारी भी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।
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बताया जाता है कि राज्य के एंटी करप्शन और आर्थिक अपराध शाखा में वर्ष 2018 से सौम्या चौरसिया की काली करतूतों की शिकायत लगातार की जा रही थी। लेकिन विभाग के किसी भी अधिकारी ने उस पर शिकंजा कसने की हिम्मत तक नहीं जुटाई थी। बताते है कि यही हाल मुख्य सचिव कार्यालय और पुलिस मुख्यालय का था। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि जेल की हवा खाने से पूर्व सौम्या चौरसिया और उसके संरक्षक ने छत्तीसगढ़ शासन के संज्ञान में लाई गई,तमाम शिकायतों को नष्ट कर दिया है।
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अदालत के गलियारों में सौम्या चौरसिया की तीमारदारी के चर्चे भी खूब रहे,बताते है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सबसे करीबी सौम्या पर रोजाना लाखो रूपए सरकारी तिजोरी से व्यय होते थे। उसके भिलाई स्थित आवास पर पुलिस के लगभग 18 और प्राइवेट कंपनियों के लगभग 22 जवान तैनात किए गए थे। उसकी सुरक्षा में 1 महिला सब इंस्पेक्टर समेत 4 महिला पुलिस कर्मी चौबीसो घंटे निगरानी में रहते थे।
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सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि एजेंसियों को सौम्या चौरसिया का सुरक्षा घेरा तोड़ने में जमकर पसीना बहाना पड़ा था। बताते है कि सौम्या के ठिकानो पर छापेमारी के दौरान एक IPS अधिकारी उसका मोबाइल तक ले भागा था, ताकि “जनाब” की पोल ना खुल जाए। बताते है कि एजेंसियों ने छापेमारी के दौरान राज्य सरकार के कुछ नुमाइंदो की हरकतों से भारत सरकार को भी अवगत कराया है।
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बहरहाल,गुरूवार का दिन सौम्या चौरसिया के अगले पड़ाव की राह तय करेगा। कानून के जानकार बताते है कि जमानत याचिका को लेकर ED बनाम बचाव पक्ष का यह अंतिम बार आमना-सामना हो सकता है,उनके मुताबिक अदालत में पेश सबूत मुख्यमंत्री कार्यालय को कटघरे में खड़ा करते हुए सीएम बघेल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है,अंदेशा है कि एजेंसियां किसी बड़े खुलासे की ओर बढ़ रही है। सूत्र बताते है कि भ्रष्टाचार के “सौम्य” चेहरे से उतरता नकाब “जनाब” के लिए मुसीबतो का पैगाम लाने वाला साबित हो सकता है।
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जानकारी के मुताबिक अदालत में अपना पक्ष रखने के उपरांत एजेंसियां मीडिया का रुख कर सकती है,बताते है कि बिलासपुर या रायपुर में कभी भी मीडिया का जमावड़ा लगने के आसार बढ़ गए है। फिलहाल तो सौम्या चौरसिया को “जेल या बेल” पर लोगो को अदालत के फैसले का इंतज़ार है।