दिल्ली/रायपुर: छत्तीसगढ़ में सीबीआई की छापेमारी से पूर्व प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 15 हज़ार करोड़ के महादेव ऐप सट्टा घोटाले में कई आईपीएस अधिकारियों के लेनदेन के पुख्ता सबूतों के हासिल होने के बाद खुद ECIR ना दर्ज करते हुए EOW को मामला सौंप दिया था। EOW ने पूर्व मुख्यमंत्री बघेल समेत अन्य के खिलाफ नामजद अपराध पंजीबद्ध किया था। लेकिन इस FIR में आईपीएस अधिकारियों का नाम दर्ज नहीं किया गया था। सूत्र तस्दीक करते है कि तत्कालीन उच्चाधिकारियों ने राजनैतिक दबाव में फैसला करते हुए आधा दर्जन आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज करने के मामले में कोताही बरती थी। बताया जाता है कि इसके एवज में दागी आईपीएस अफसरों ने मोटी रकम नेता-नगरी में चढ़ाई थी।

महादेव ऐप सट्टा संचालित करने वाले आईपीएस अधिकारियों के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी के बाद कड़ी कार्यवाही के आसार जाहिर किये जा रहे है। इन दिनों कई अधिकारियों से सीबीआई की पूछताछ जारी है। इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि कई आईपीएस अधिकारी पूछताछ में बगले झांकने से बचने के लिए नए-नए नुस्खे आजमा रहे है। वे अचानक अपने स्वास्थ्य में गिरावट भी महसूस कर रहे है। ऐसे ही अधिकारियों में आनंद छाबड़ा का नाम भी शुमार बताया जाता है।
सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि कांग्रेस राज में ED की छापेमारी के दौरान तत्कालीन ख़ुफ़िया प्रमुख और आईजी रायपुर ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए एजेंसियों के वाहनों पर चलानी कार्यवाही करते हुए अपने कब्जे में ले लिया था। इससे ईडी की जहाँ छापामार कार्यवाही बाधित हुई थी, वही महादेव ऐप घोटाले के संदेहियों ने अपने ठिकानों से कई सबूत इधर से उधर कर दिए थे। यही नहीं छाबड़ा ने ख़ुफ़िया प्रमुख रहते ईडी की जासूसी भी करवाई थी। ईडी ने जासूसी में लिप्त एक कर्मी को स्वयं धर दबोच कर आपत्ति भी दर्ज कराई थी। यही नहीं पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री बघेल के निर्देश पर पुलिस तंत्र का दुरुपयोग करते हुए घोटालेबाजों से सांठ-गांठ कर ईडी के अफसरों पर दबाव भी बनाया था।

उनके खिलाफ रायपुर के एक थाने में FIR दर्ज कराने की कवायत छाबड़ा के निर्देशन में अंजाम देना बताया गया था। छाबड़ा दंपति की कार्यप्रणाली आल इंडिया सर्विस के कोड ऑफ़ कंडक्ट के उल्लंघन के दायरे में बताई जाती है। छाबड़ा ने एक मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए हार्ट में स्टंट डाले जाने का प्रसंग सुनाया है। उन्होने इस प्रसंग में अंदेशा जाहिर किया है कि पूछताछ से उनका तनाव बढ़ेगा. तनाव से बीपी बढ़ेगा, फिर बीपी शूट होने से हार्ट अटैक आएगा ? ऐसे में उनकी नहीं बल्कि मुसीबत सीबीआई की होगी ? वरिष्ठ आईपीएस की ऐसी दलीलों को सिर्फ चालबाजी के रूप में देखा जा रहा है।

सूत्र तस्दीक करते है कि छाबड़ा पर भी एजेंसियों का शिकंजा कस सकता है। जानकारी सामने आ रही है कि रोजाना सुबह 5KM तक दौड़ लगाने का दावा करने वाले 2001 के आईपीएस आनंद छाबड़ा अचानक दिल की बीमारी से ग्रसित हो गए है। सीबीआई ने हालिया, छाबड़ा के ठिकानों में छापेमारी की थी। इस दौरान जब्त सबूतों को लेकर उन से भी पूछताछ का दौर शुरू हो गया है। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि 2005 बैच के आईपीएस शेख आरिफ, 2008 बैच के प्रशांत अग्रवाल और 2013 बैच के अभिषेक पल्लव से पूछताछ जारी है। महादेव ऐप सट्टा घोटाले के अलावा समस्त स्रोतों से अधिकारियों और उनके नाते-रिश्तेदारों तक की नामी-बेनामी संपत्ति खंगाली जा रही है। पूछताछ के दौर में एजेंसियां पुख्ता सबूतों के आधार पर घोटालों से जुड़ी दास्तान की विवेचना कर रही है।

सूत्र तस्दीक कर रहे है कि आनंद छाबड़ा पूछताछ तक से भाग खड़े हुए है। उन्होंने अपनी ख़राब सेहत का हवाला देते हुए उपस्थिति दर्ज नहीं कराई है। बल्कि वकीलों की फौज आगे कर दी है। पूछताछ तक में उनकी अनु उपस्थिति का कारण हैरतअंगेज बताया जाता है। सूत्र यह भी तस्दीक करते है कि छाबड़ा को स्वयं की उपस्थिति दर्ज कराने के लिए दोबारा समन जारी किया गया है। उनका मेडिकल सर्टिफिकेट एजेंसियों के गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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बीते 5 सालों में छप्पड़ फाड़कर धन कमाने वालों में आईपीएस-आईएफएस अधिकारियों में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल के करीबी छाबड़ा दंपति का नाम आपराधिक जगत में जोर-शोर के साथ लिया जाता है। उनके ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी से सटोरियों के अलावा रायपुर से लेकर दिल्ली के कई रियल एस्टेट कारोबारियों में हड़कंप है। सूत्र तस्दीक करते है कि दिल्ली एनसीआर और गुड़गांव में छाबड़ा दंपति ने जमीन जायजाद और विभिन्न कारोबार में बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी निवेश की है।

महादेव ऐप सट्टा कारोबार की रीढ़ की हड्डी के रूप में छाबड़ा का नाम लिया जाता है। सटोरियों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनके ही निर्देश पर अवैध रूप से फ़ोन टेपिंग तक की जाती थी। इसमें तत्कालीन ख़ुफ़िया प्रमुख छाबड़ा के अलावा ASP माहेश्वरी का नाम शामिल बताया जाता है। बताते है कि अब दोनों ही अधिकारी सीबीआई से कन्नी काट रहे है। छाबड़ा जहाँ मेडिकल सर्टिफिकेट के जरिये बच निकलने के जुगाड़ में है, वही ASP माहेश्वरी भी लंबे समय से नदारद पाए गए। उनके ठिकानों पर छापेमारी के दौरान परिजन उपस्थित रहे। लेकिन माहेश्वरी का दूर-दूर तक कोई पता नहीं पड़ पाया। हालांकि अब उनके भी उपस्थित होने के आसार बढ़ गए है।

ताजा मामला 2001 बैच के आईपीएस अधिकारी आनंद छाबड़ा के रूख से सामने आया है। जानकारी के मुताबिक इस अधिकारी के ठिकानों पर छापेमारी के बाद कई डिजिटल सबूत एजेंसियों को मिले हैं। छाबड़ा को सीबीआई ने तलब भी किया था। लेकिन वे सीबीआई के पास तक फटकने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। रायपुर के तत्कालीन आईजी और प्रदेश के खुफिया प्रमुख रहे आनंद छाबड़ा को उनके दोहरे प्रभार के चलते महादेव ऐप सट्टा संचालकों द्वारा प्रतिमाह 40 लाख से ज्यादा की रकम सौंपी जाती थी।
इसके बदले में तत्कालीन ख़ुफ़िया प्रमुख और आईजी रायपुर को सट्टे की रोकथाम के बजाय सिर्फ महादेव ऐप सट्टा कारोबार का कानूनी संरक्षण भर प्रदान करना होता था। बताते है कि आईजी के निर्देश पर पुलिस तंत्र बेरोक-टोक सट्टे के कारोबार में जुटा था। छाबड़ा ने स्थानीय थानों तक इसका नेटवर्क स्थापित किया था। ईडी की गिरफ्त में आए कई आरोपियों ने इसकी तस्दीक करते हुए अपने बयान भी दर्ज कराये थे।

यह भी बताया जाता है कि संदेही आईपीएस छाबड़ा महादेव ऐप सट्टा संचालन के लिए सरकारी तंत्र और अपने पद का जमकर दुरुपयोग कर रहे थे। उनका काला चिट्ठा बतौर सबूत एजेंसियों के पास उपलब्ध बताया जाता है। ईडी के चंगुल से बच निकले छाबड़ा अब सीबीआई के निशाने पर बताये जाते है। यह भी बताया जा रहा है कि क़ानूनी दांवपेचों को आजमा कर उन्होंने ईडी की तर्ज पर सीबीआई की जांच को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। वे सट्टा घोटाले की सीबीआई जांच में असहयोग कर रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक छाबड़ा ने अंदेशा जाहिर कर दो टूक साफ किया है कि सीबीआई की पूछताछ के दौरान उन्हें दिल का दौरा पड़ सकता है। उनकी जान पर बन सकती है, इसकी पूरी जवाबदारी छाबड़ा ने एजेंसी पर मढ़ दी है। छाबड़ा ने एक मेडिकल रिपोर्ट का हवाला देते हुए हार्ट में स्टंट डाले जाने का प्रसंग सुनाया है। उन्होने इस प्रसंग में अंदेशा जाहिर किया है कि पूछताछ से उनका तनाव बढ़ेगा. तनाव से बीपी बढ़ेगा, फिर बीपी शूट होने से हार्ट अटैक आएगा ? ऐसे में उनकी नहीं बल्कि मुसीबत सीबीआई की होगी ? छाबड़ा के तर्कों से एजेंसियां कितनी संतुष्ट है, इसकी जानकारी नहीं लग पाई है ? लेकिन सीबीआई के गलियारों में छाबड़ा की दलीलों ने एक नई चर्चा छेड़ दी हैं।
इसे पुलिस अधिकारी की बचकाना हरकत करार दिया जा रहा है। यह भी बताया जाता है कि आईपीएस बनने से पूर्व छाबड़ा ने एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टरी पेशे में भाग्य आजमाया था। UPSC में छत्तीसगढ़ कैडर आवंटित होने के बाद वे जांजगीर समेत अन्य जिलों में एसपी रहे। वर्ष 2018 में प्रदेश में बीजेपी सरकार की रवानगी के बाद छाबड़ा दंपति ने तत्कालीन मुख्यमंत्री बघेल का दामन थाम लिया था।

एक जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में दागी अफसर अपनी नौकरशाह पत्नी के घोटालों तक पर पर्दा डालने के लिए अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग करते थे। ऐसे दंपति में 2005 बैच के आईपीएस शेख आरिफ के अलावा छाबड़ा का भी नाम लिया जाता है। 2001 बैच की उनकी आईएफएस पत्नी शालिनी रैना की भी कार्यप्रणाली सुर्ख़ियों रही है। कवर्धा शुगर मिल घोटाले में शालिनी रैना का नाम सामने आया था। लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में इस दंपति के खिलाफ की गई तमाम शिकायतें रद्दी की टोकरी में फेंक दी गई थी। यह भी बताया जाता है कि बघेल गिरोह में शामिल होने के बाद आनंद छाबड़ा को मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया के “अर्दली” का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था।

उन्होंने सौम्या के निर्देश पर कई गैर-क़ानूनी गतिविधियों को अंजाम दिया था। इसमें SS फंड के दुरुपयोग और अवैध फ़ोन टेपिंग जैसे आपराधिक प्रकरण भी शामिल है। हालांकि ऐसे मामलों की प्रस्तावित जांच तत्कालीन मुख्यमंत्री के निर्देश पर रफा-दफा कर दी गई थी। कांग्रेस राज में छाबड़ा ने खाकी वर्दी छोड़कर भूपे कांग्रेस का दुपट्टा ओढ़ लिया था। नतीजतन, पुलिस तंत्र का राजनैतिक इस्तेमाल जोर-शोर से शुरू हो गया था। अवैध उगाही के लिए छाबड़ा ने पुलिस तंत्र को महादेव ऐप समेत कई घोटालों में सहभागी बना दिया था। यह भी बताया जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री बघेल छाबड़ा दंपत्ती के “कश्मीरी जायके” के शौकीन थे। राजनैतिक संरक्षण प्राप्त इस दंपत्ती के काले कारनामों से ऑल इंडिया सर्विस के प्रति निष्ठा सवालों के घेरे में है। फ़िलहाल, ईडी और सीबीआई के गलियारों में छाबड़ा दंपति के रुख को लेकर चिंतन-मनन जारी है। न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने मामलों को लेकर इस दंपति से प्रतिक्रिया लेनी चाही, लेकिन कोई प्रति उत्तर प्राप्त नहीं हो सका।