रायपुर। छत्तीसगढ़ में आम जनता बिजली की बढ़ी हुई कीमतों के भुगतान को लेकर अपने घर खर्चों में कटौती कर रही है , ताकि बिजली दरों का उचित भुगतान संभव हो सके। वहीं दूसरी ओर प्रदेश के बड़े उद्योगपति और स्टील कारोबारी बिजली की बढ़ी हुई दरों के भुगतान को लेकर आनाकानी कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि विष्णुदेव साय सरकार पर दबाव बनाने के लिए बड़े उद्योगपतियों की बैठकें पांच सितारा होटलों में संपन्न हो रहीं हैं। दुनिया की महँगी करोड़ों की गाड़ी में उनकी आवाजाही ,देखकर जनता हैरत में हैं।आलीशान होटलों में इन बैठकों पर लाखों का खर्च आ रहा है, उद्योगपति उसका हाथों हाथ भुगतान किया जा रहा है, लेकिन उनके पास बिजली बिलों के समुचित भुगतान के लिए पैसा नही है।
रायपुर के एक निजी होटल में स्पंज आयरन मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन और फेरो एलॉयज़ एसोसिएशन से जुड़े उद्योगपतियों की बैठक सुर्खियों में है। बताया जा रहा है कि स्टील उद्योगपतियों ने अपने संस्थानों में तालाबंदी कर रखी है, ताकि विष्णुदेव साय सरकार को घेरा जा सके, उस पर दबाव बनाया जा सके। सब्सिडी के चक्कर में मजदूरों की रोज़ी-रोटी छीनने का चक्कर भी चलाया गया है।सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति तैयार करने के लिए आलिशान होटलें इन दिनों मुकम्मल ठिकाना बनी हुई हैं। बताया जाता है कि पिछले सात सालों से लगातार बिजली सब्सिडी का लाभ उठा रहे स्टील उद्योगपतियों ने मौजूदा बीजेपी सरकार से भी सब्सिडी जारी रखने की गुहार लगाई है।
स्टील उद्योगपतियों का मानना है कि सब्सिडी उनका अधिकार है, यदि इसे जारी नही रखा गया तो वे अपने स्टील प्लांट बंद कर देंगे। इससे सरकार उनकी मन माँगी मुराद पूरी कर देगी।बताते है कि बस, इसी कश्मकश में कारख़ानों पर ताले लगाए जा रहे है।कभी मजदूरों की रोजी रोटी तो कभी टैक्स से होने वाले नुक़सान का हवाला देकर पूर्वबर्ती भूपे सरकार की नीतियों को जारी रखने की माँग कर उद्योगपति राज्य की बीजेपी सरकार पर चौतरफा दबाव बना रहे हैं।
उधर भूपे कांग्रेस भी उद्योगपतियों का साथ और हाथ मजबूत करने में जुटी है। उसके रुख़ को लेकर जनता हैरत में है।दरअसल,राज़्य की बीजेपी सरकार ने स्टील कारोबारियों की सब्सिडी ब्रेक कर सरकार के अनावश्यक खर्चो पर लगाम कस दी है।बताते है कि सरकार की सख़्ती का असर पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल के “नोटबैंक” पर भी पड़ा है,इस करारी चोट से भूपे ख़ेमा तिलमिलाया हुआहै। सूत्र तस्दीक़ करते है कि पूर्व सीएम भूपे,उद्योगपतियों को सालाना बिजली बिलों में ३०० सौ करोड़ की छूठ देकर १५० करोड़ वसुल लिया करते थे।
उनका नारा एक हाथ लो,दूसरे हाथ लो,काफ़ी चर्चित रहा है।लेकिन मौजूदा साय सरकार ने एक ही झटके में बघेल के नोट बैंक को दिवालिया बना दिया है।बताते है कि सरकारी तिजोरी पर पड़ने वाले सालाना लगभग 300 करोड़ के भार को कम कर सरकार ने फ़िज़ूलखर्ची पर रोक लगाई है। सरकारी तिजोरी के भारमुक्त होने से बचने वाली रक़म अब विकास योजनाओं में खर्च की जा सकेगी।
उधर धन्ना सेठों की खाली होती तिजोरी देखकर भू-पे पशोपेश में बताये जाते है।उन्होंने उद्योगपतियों को सब्सिडी जारी रखने का भरोसा दिलाया है।हालाँकि कांग्रेस का आरोप है कि व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है। पार्टी प्रवक्ता प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्टील कारोबारियों को कांग्रेस शासन् काल में जारी सब्सिडी अभी भी यथावत जारी रखने की मांग की है।उनका आरोप है कि बीजेपी सरकार उद्योगपतियों को परेशान कर रही है।
उन्होंने कहा कि बिजली बिल बढ़ोत्तरी के कारण स्टील उद्योगों में एक हफ्ते से तालाबंदी की स्थिति है, लाखो मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट आ गया है। बताते है कि भू-पे कांग्रेस ने बिजली बिलों के भुगतान को लेकर उस आम जनता के लिए कोई पहल नही की है , जो अपने घर खर्चों पर कटौती कर बिजली बिलों का समुचित भुगतान कर रहे हैं। पीड़ित जनता तस्दीक कर रही है कि पूर्व मुख्यमंत्री भू-पे बघेल का हाथ उद्योगपतियों के साथ है।
यह भी बताया जाता है कि स्टील कारोबार को मिलने वाली सब्सिडी का कोई लाभ राज्य की जनता को नही मिल पा रहा है। उसे स्टील अंतर्राष्ट्रीय बाजार भाव की दरों के आधार पर ही ख़रीदना पड़ता है,ऐसे में किस लिये सब्सिडी प्रदान की जा रहीहै ? लोहा, सरिया के उपभोक्ता यह सवाल विपक्ष से भी कर रहा ह ग्राहकों के मुताबिक स्टील उद्योगपतियों के प्रदूषण की मार झेलने और सरकारी तिजोरी से सब्सिडी मिलने के बावजूद प्रदेश में उन्हें महंगा और ऊँची दरो पर स्टील खरीदना पड़ता है। उनके मुताबिक स्थानीय स्तर पर स्टील निर्माण के बावजूद महंगा लोहा, सरिया बाजार भाव के अनुसार खरीद कर वे कंगाल हो रहे है, लाभ उद्योगपति उठा रहे हैं, उनकी तो जेबें ढीली हो रहीं हैं।
फिलहाल रायपुर की पांच सितारा होटलों में आलिशान मंहगी गाड़ियों में स्टील उद्योगपतियों की सवारी देखते ही बन रही है। यह देखना ग़ौरतलब होगा कि राज्य की विष्णुदेव साय सरकार स्टील उद्योगपतियों के दबाव के आगे किस तरह का प्रस्ताव पेश करती है। बताते हैं कि स्टील कारोबारियों और उद्योगपतियों को राहत देने के लिए सब्सिडी का मामला सरकार की तकनीकी कमिटी को सौंप दिया गया है। विचार – मंथन जारी है , इस पर जल्द ही फैसला लेने की सम्भावना जताई जा रही है।