छत्तीसगढ़ में भ्रष्ट्राचार के रणनीतिकार पीएचई मंत्री रूद्र कुमार गुरु के इस्तीफे की अटकले , ENC को बलि का बकरा बनाये जाने की भी कवायत तेज , पीएचई विभाग में लगभग 10 हजार करोड़ के टेंडर निरस्त होने के बाद निगाहें मुख्यमंत्री के अगले कदम पर , रायपुर से लेकर दिल्ली तक सरकारी रकम की बंदरबांट और भ्रष्ट्राचार के चर्चे जोरों पर 

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रायपुर / छत्तीसगढ़ में सरकार ने लगभग 10 हजार करोड़ का टेंडर निरस्त तो कर दिया , लेकिन चौबीस घंटे बाद भी ना तो राज्य के पीएचई मंत्री ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया और ना ही शासन ने इस विभाग के मुख्य कर्ताधर्ता ENC के खिलाफ कोई वैधानिक कदम उठाया | घोटले  के इस बड़े और सुनियोजित मामले को लेकर राज्य की कांग्रेस सरकार सवालों के घेरे में है | अब लोग पूछने लगे है कि क्या सरकार को भ्रष्ट्राचार पसंद है ? दरअसल पीएचई विभाग को राज्य के विभिन्न जिलों में नल-जल योजना और जल आपूर्ति के लिए केंद्रीय और राज्य वित्तीय सहायता के तहत लगभग 15 हजार करोड़ की योजना की मंजूरी दी गई थी | लेकिन विभाग ने इस महती योजना को भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ाने के लिए सुनियोजित रूप से ठोस कदम उठाये थे | इसके तहत मोटर पार्ट्स और पाइप बेचने वालों को इम्पैनल कर उन्हें करोड़ों का काम सौंप दिया गया था | बगैर टेंडर और वर्क आर्डर के कई ठेकेदारों ने कागजों में काम कर सरकारी धन की लूटपाट के लिए फर्जी बिल भी सरकार को सौप दिए थे |फ़िलहाल इस घोटाले को लेकर पीएचई मंत्री से इस्तीफा मांगे जाने की चर्चा जोरो पर है | सूत्र यह भी बता रहे है कि मंत्री जी की कुर्सी बचाने के लिए विभागीय ENC को बलि का बकरा बनाये जाने की कवायद भी तेज हो गई है |  

बताया जाता है कि करोड़ों के बिलों के भुगतान के लिए विभाग के मंत्री और ENC की कार्यप्रणाली चर्चा में है | मामले के खुलासे के बाद मुख्यमंत्री  और उनकी कैबिनेट ने सोमवार को सभी टेंडर निरस्त कर दिए | लेकिन इस कार्रवाई के बाद पीएचई मंत्री रूद्र गुरु का ना तो इस्तीफा मांगा गया और ना ही ENC के खिलाफ कोई वैधानिक कदम उठाया गया | बताया जाता है कि मौजूदा ENC को कई माह पहले ही पाइप घोटाले में निलंबित किया जा चूका था | लेकिन विभागीय मंत्री की व्यक्तिगत रूचि के चलते कायदे कानूनों को दरकिनार कर उन्हें चीफ इंजीनियर के पद से बहाल करते हुए सीधे ENC बना दिया गया | मंत्री जी की कृपा से इस निलंबित अफसर ने अभी तक पाइप घोटाले को लेकर अपने खिलाफ जारी आरोप पत्र का जवाब नहीं दिया है | 

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उधर भ्रष्ट्राचार की भेंट चढ़ रही नलजल योजना और जल जीवन मिशन के तहत संचालित होने वाले कई प्रोजेक्ट पर नए सिरे से मंथन की जरूरत महसूस की जा रही है | ताकि लोगों को स्वच्छ जल मुहैया हो सके | इस बीच राज्य के पीएचई मंत्री रूद्र गुरु के इस्तीफे की अटकले तेज हो गई है | बताया जा रहा है कि कई विभागीय अफसरों ने टेंडर और फर्जी भुगतान के मामलों की जानकारी जिम्मेदार विभागीय मंत्री रूद्र कुमार गुरु को दी थी | लेकिन मंत्री जी ने उसे नजर अंदाज कर दिया था | आखिर में जब न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने मामले का खुलासा किया , तब भी घोटाले को रफादफा करने के मामले में मंत्री जी ने सक्रियता दिखाई | न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ ने अगस्त माह में ही  भ्रष्ट्राचार के इस मामले का खुलासा किया था | इस दौरान प्रकाशित समाचारों को इस लिंक पर जरूर पढ़े | 

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सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि कई बड़े कांग्रेसी नेताओं ने पीएचई मंत्री रूद्र कुमार गुरु से इस्तीफा मांगे जाने पर जोर दिया है | इन नेताओं ने जहां सरकार के सभी टेंडर निरस्त करने की कार्रवाई को जायज ठहराया है वही रूद्र गुरु को मंत्री मंडल में बनाये रखने पर अपनी आपत्ति भी जाहिर की है | उनके मुताबिक भ्रष्टाचार और सरकारी धन की बंदरबांट वाली योजना तैयार करने की जवाबदारी तय की जानी चाहिए | इन नेताओं ने यह भी साफ़ किया है कि कांग्रेस सरकार में भ्रष्ट्राचार को कतई बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए | इस मामले को लेकर मंत्री रूद्र कुमार की विदाई से सरकार की छवि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा |

 हालांकि इस्तीफे की अटकलों के बीच पीएचई मंत्री रूद्र कुमार गुरु ने अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की है | करोड़ों के टेंडर निरस्त होने के बाद पीएचई मंत्री से संपर्क करने की कई कोशिशे उस वक्त नाकाम रही जब न्यूज़ टुडे संवाददाता ने मंत्री जी के बंगले और दफ्तर पर आवंटित सरकारी-गैरसरकारी नंबरों पर संपर्क किया | 

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छत्तीसगढ़ में पीएचई विभाग के इस सुनियोजित भ्रष्ट्राचार के मामले की चर्चा रायपुर से लेकर दिल्ली तक सुनाई दे रही है | राजनैतिक गलियारों में पीएचई मंत्री से इस्तीफा मांगे जाने की चर्चा भी जोरो पर है | बताया जा रहा है कि विभागीय मंत्री होने के नाते मंत्री जी ने सभी टेंडरों और नियम प्रक्रिया को मंजूरी दी थी | इसके बाद ही ENC ने समस्त टेंडर जारी किये थे | बताया जा रहा है कि तत्कालीन सचिव ने घोटाले और भ्रष्ट्राचार वाले टेंडरों को लेकर अपनी आपत्ति भी जाहिर की थी | लेकिन मंत्री जी ने नियमनुसार वर्क्स डिपार्टमेंट के लिए तय मेनुअल को लागू करने के बजाये विभागीय सचिव अविनाश चंपावत को ही विभाग से रुखशत कर दिया था | इस मामले को लेकर ENC और विभागीय मंत्री रूद्र कुमार गुरु दोनों ही कटघरे में है |  फ़िलहाल देखना होगा कि फर्जीवाड़े पर आंशिक रोक लगेगी या फिर राज्य सरकार की टेंडर निरस्त करने वाली प्रक्रिया सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगी |    

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