इंदिरा गांधी की 102 वीं जयंती पर विशेष : कठिन फैसलों ने इंदिरा को बनाया आयरन लेडी | 

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न्यूज डेस्क / आयरन लेडी ऑफ इंडिया इंदिरा गांधी की आज जयंती है। भारतीय राजनीति में इंदिरा गांधी की अलग ही पहचान रही है। अपने कार्यकाल के दौरान इंदिरा गांधी ने कुछ ऐसे फैसले लिए जिन्होंने उन्हें दुनिया का ताकतवर नेताओं में शामिल कर दिया। आज भी दुनिया में उन्हें राजनीतिक दृढ़ता और उनकी प्रतिभा के लिए जाना जाता है।

इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 में इलाहाबाद में हुआ था। उनका पूरा नाम इंदिरा प्रियादर्शनी गांधी था। इंदिरा भारत की तीसरी प्रधानमंत्री थी। इंदिरा गांधी जिस तरह आज भी अपने ठोस फैसलों के लिए जानी जाती है उसी तरह वह अपने विचारों के लिए भी जानी जाती है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आज 102वीं जयंती है | तेज तर्रार और निडर होकर फैसले लेने  वाली देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आयरन लेडी के खिताब से नवाजा गया था | इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान के दो टुकड़े करने और पंजाब में फैले उग्रवाद को उखाड़ फेंकने के लिए कड़ा फैसला लेते हुए स्‍वर्ण मंदिर में सेना भेजने का साहस दिखाया था | 

 वह प्रभावी व्यक्तित्व वाली मृदुभाषी महिला थीं और अपने कड़े से कड़े फैसलों को पूरी निर्भयता से लागू करने का हुनर जानती थीं | राजनीतिक स्‍तर पर भले ही उनकी कई मुद्दों को लेकर आलोचना होती हो, लेकिन उनके विरोधी भी उनके कठोर निर्णय लेने की काबलियत को दरकिनार नहीं करते हैं | यही चीजें हैं जो उन्‍हें आयरन लेडी के तौर पर स्‍थापित करती हैं | 

बता दें कि इंदिरा गांधी ने सक्रिय राजनीति में अपने पिता जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद कदम रखा | उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल में सूचना और प्रसारण मंत्री का पद संभाला था | इसके बाद शास्त्री जी के निधन पर वह देश की तीसरी प्रधानमंत्री चुनी गईं | इंदिरा गांधी को वर्ष 1971 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया  |  इंदिरा गांधी ने 1966 से 1977 के बीच लगातार तीन बार देश की बागडोर संभाली और उसके बाद 1980 में दोबारा इस पद पर पहुंचीं और 31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई | 

इंदिरा गांधी भारत के लिहाज से ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के परिप्रेक्ष्य में भी बेहद अहम थीं | अहम सिर्फ इसलिए नहीं कि वह भारत की पहली ऐसी सशक्त महिला प्रधानमंत्री थी , जिनके बुलंद हौसलों के आगे पूरी दुनिया ने घुटने टेक दिए थे | इंदिरा के बुलंद हौसले ही थे जिसकी बदौलत बांग्‍लादेश एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र के रूप में अस्तित्‍व में आया और पाकिस्तान को पूरी तरह से पस्त कर दिया था | इंदिरा गांधी ने जून, 1984 में अमृतसर में सिखों के पवित्र स्थल स्वर्ण मंदिर से आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया था | 

फैसले, जिनसे देश में आया बड़ा बदलाव

भारतीय राजनीति के इतिहास में इंदिरा गांधी को एक तेज तर्रार और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता वाली नेता के रूप में याद किया जाता है | वह देश ही नहीं, दुनिया की सबसे ताकतवर नेताओं में शुमार की जाती हैं | इंदिरा ने अपनी जिंदगी में जो फैसले लिये, उसने देश की तस्वीर बदल दी. डालते हैं कुछ ऐसे ही फैसलों पर नजर –

20 सूत्री कार्यक्रम 

प्रधानमंत्री बनने के बाद इंदिरा गांधी ने 1975 में देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र से गरीबी हटाने के लिए 20 सूत्री कार्यक्रम की शुरुआत की थी |  इसमें गरीबी हटाओ, रोजगार और शिक्षा महत्वपूर्ण मुद्दे थे | ये वैसे मुद्दे थे, जिनसे उस समय ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र जूझ रहे थे |   

बैंकों का राष्ट्रीयकरण 

इंदिरा गांधी ने 1969 में 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया. तत्कालीन वित्त मंत्री मोराजी देसाई ने इसे अस्वीकार कर दिया | बाद में 19 जुलाई, 1969 को एक अध्यादेश के जरिये बैंकों के स्वामित्व राज्य के हवाले कर दिये गये | उस समय बैंक के पास देश की 70 प्रतिशत जमापूंजी थी | 

महाराजाओं की मान्यता समाप्त 

लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए इंदिरा गांधी ने राजा-महाराजाओं की मान्यता समाप्त करने हेतु एक प्रस्ताव लोकसभा से 23 जून, 1967 को पारित करवाया | इस प्रस्ताव को राज्यसभा में ठुकरा दिया गया था, लेकिन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन ने इस प्रस्ताव को अनुमति दे दी |  

भारत-पाकिस्तान युद्ध 

पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर को भारत से अलग करना चाहता था | 1971 में इंदिरा गांधी के शासनकाल में भी पाकिस्तान ने युद्ध छेड़ा. इंदिरा जी उस समय सशक्त निर्णय लेने वाली प्रधानमंत्री थीं | उनके नेतृत्व में भारत ने ऐसी जंग लड़ी, जिसमें पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी |  

पोखरण परमाणु परीक्षण  

18 मई, 1974 को सुबह आठ बजकर पांच मिनट पर भारत ने पोखरण में एक भूमिगत परमाणु परीक्षण किया | इस परमाणु परीक्षण को इंदिरा गांधी के आदेश पर किया गया था तथा इस परीक्षण के बाद भारत पूरे विश्व की नजरों में आ गया |  साथ ही, भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश भी बन गया | 

बांग्लादेश का उदय 

आजादी से पहले अंग्रेजों ने हिंदू बंगालियों के लिए प बंगाल और मुस्लिम बंगालियों के लिए पूर्वी पाकिस्तान बना दिये थे |  1971 में जब बांग्ला शरणार्थी भारत आ रहे थे, तब पाक सेना ने जंग छेड़ दी | भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया | 16 दिसंबर को भारतीय सेना ढाका पहुंची और पाक फौज को आत्मसमर्पण करना पड़ा | इसके बाद नये देश बांग्लादेश का उदय हुआ | 

एशियाई खेलों का आयोजन 

इंदिरा गांधी ने 1982 में एशियाई खेलों का आयोजन कर पूरी दुनिया को बता दिया कि भारत भी एशियाई खेलों का आयोजन कर सकता है | इन खेलों के आयोजन के लिए इंदिरा गांधी ने स्वयं बहुत मेहनत की थी |  हर चीज की जांच और व्यवस्था उन्होंने खुद करवायी थी | 

हरित क्रांति 

एक समय ऐसा भी था, जब देश अकाल और भुखमरी से जूझ रहा था. उस समय भी इंदिरा गांधी ने धैर्य के साथ इस मुसीबत का सामना किया | उन्होंने अमेरिका के साथ मिलकर हरित क्रांति पर काम किया | देश में बैंकों का राष्ट्रीयकरण करके किसानों को कम ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराये |  

गरीबी हटाओ 

आजादी के बाद से ही देश में गरीबी और बेरोजगारी थी |  इंदिरा गांधी ने पीएम रहते हुए भारत की गरीबी हटाने का निश्चय किया | उनके गरीबी हटाओ के नारे ने ही उन्हें दूसरी बार चुनावों में भारी मतों से विजयी बनाया |  भारत की जनता की चहेती पीएम इंदिरा ने गरीबी हटाने के अथक प्रयास किये | 

इमरजेंसी 

देश के आंतरिक हालात को बिगड़ता देख देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी |  26 जून, 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया गया |  विरोधियों की गिरफ्तारी के आदेश दे दिये | पूरे देश में आपातकाल लगाया गया |  इस आपातकाल का असर उनके चुनावी परिणाम पर हुआ जिसमें उनकी हार हुई | 

भारतीय सेना से था विशेष लगाव

इंदिरा जी सिर्फ कठोर फैसले लेने वाली एक नेता नहीं थीं, उनके व्यक्तित्व के अनेक पहलू थे. कभी वह प्रकृति प्रेमी के रूप में नजर आतीं, तो कभी किसी कठिन मिशन में लोगों के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी हो जातीं |  भारतीय सेना के साथ उनका लगाव अद्भुत था | इंदिरा गांधी किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं करती थीं | सभी धर्मों को वह बराबर सम्मान देती थीं | वैष्णो देवी के दर्शन करने गुफा में जातीं इंदिरा गांधी | इंदिरा गांधी को प्रकृति से बड़ा प्रेम था | पशुओं से वह बहुत स्नेह रखती थीं | बाघों की घटती संख्या पर उन्होंने प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत की |