जम्मू : – वैष्णो देवी यात्रा अब अचानक कठिन हो गई है, यात्रा मार्ग पर कई जगह जलभराव और पहाड़ खिसकने का सिलसिला जारी है। हालांकि बचाव और राहत कार्य भी जोरो पर है। इस बीच हादसे का शिकार हुए 35 तीर्थ यात्रियों के शव बरामद किये गए है, अभी भी कुछ लापता बताये जाते है। सवाल उठ रहा है कि मौसम विभाग के अलर्ट के बावजूद प्रशासन ने आखिर यात्रा पर रोक क्यों नहीं लगाई ? अगर बोर्ड एडवाइजरी मान लेता, तो इतने अधिक लोग नहीं मारे जाते। कटरा से लेकर यहां के कई इलाकों में भू -स्खलन अभी भी जारी है। बादल फटने और बाढ़ की आशंका के चलते इलाके के ज्यादातर स्कूल, कॉलेज, एवं अन्य इंस्टीट्यूट सब कुछ बंद हैं। बताया जाता है कि मौसम विभाग के अलर्ट के बावजूद श्राइन बोर्ड ने बगैर गंभीरता दिखाए सोमवार (25 अगस्त) को तीर्थ यात्रियों के एक जत्थे को मंदिर – भवन भेजे जाने की अनुमति दी थी। जबकि हादसे की आशंका के नजर आते ही लगभग एक-डेढ़ घंटे पहले अचानक यात्रा बंद करने की चेतावनी दी। तब तक भारी लापरवाही बरती जा चुकी थी। नतीजतन घटना में दर्जनों तीर्थ यात्रियों की जान चली गई।

वैष्णो देवी जाने वाले ट्रैक के करीब निवासरत बलदेव ठाकुर ने दावा किया है कि घटना श्राइन बोर्ड की लापरवाही से हुई है, वे कटरा की पुष्पांजलि पंचायत में रहते हैं, यही उनका घर है। उनके मुताबिक 26 अगस्त को उनके घर के पास अर्धकुंवारी में बादल फटने से लैंडस्लाइड हुआ, इस दौरान कई लोग मारे गए। बलदेव इसके लिए श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड को जिम्मेदार मानते है। उनके मुताबिक श्राइन बोर्ड वैष्णो देवी मंदिर के कर्ता – धर्ताओं की लापरवाही सामने आई है, मैनेजमेंट को खतरों को देखना चाहिए था। उन्होंने कहा कि मौसम अलर्ट के बावजूद यात्री जत्था इस मार्ग में भेजा गया।
