वैज्ञानिकों ने हिमालय की बर्फीली वादियों में दबे हुए प्राचीन वायरसों की खोज की है. 20,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर मौजूद गुलिया ग्लेशियर से 1,705 वायरसों के जीनोम बरामद हुए हैं. इनमें से कुछ प्रजातियां 41,000 साल से भी ज्यादा पुरानी हैं. इन वायरसों के बारे में जानकारी 26 अगस्त को Nature Geoscience जर्नल में छपी स्टडी में दी गई है. यह स्टडी अमेरिका की ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में पैलियोक्लाइमेटोलॉजिस्ट और ग्लेशियोलॉजिस्ट लोनी थॉम्पसन के नेतृत्व में चली.
थॉम्पसन और उसकी टीम ने जिन 1705 जीनोम की खोज की, वे सभी प्रोकैरियोट्स के वायरस से हैं. ऐसे वायरस, बैक्टीरिया और आर्किया को संक्रमित करते हैं. मनुष्यों, जानवरों या यहां तककि पौधों को भी इनसे संक्रमण का खतरा नहीं. लेकिन ये प्राचीन माइक्रोब्स किसी समय में स्थानीय पर्यावरण के लिए बेहद अहम थे.
160 साल से लेकर 41 हजार साल पुराने वायरस
वैज्ञानिक ग्लेशियर के 310 मीटर लंबे आइस कोर से जितना DNA निकाल सकते थे, सब निकाल लाए. हर सैंपल अलग समय और जलवायु काल का है. सबसे युवा नमूना 160 वर्ष पहले का था, तथा सबसे पुराना नमूना 41,000 वर्ष से भी अधिक पुराना था.
पिघलता हुआ म्यूजियम हैं ग्लेशियर
अतिरिक्त एनालिसिस से अनेक वायरसों के संभावित मेजबानों के बारे में पता चला. वैज्ञानिकों ने अपने नमूनों की तुलना ज्ञात वायरल रिकॉर्ड से की और सूक्ष्मजीवों की जैवभौगोलिक उत्पत्ति का आकलन किया. उन्होंने पाया कि बर्फ के कोर से एकत्रित किए गए अधिकांश पहचाने गए वायरस – 70 प्रतिशत से अधिक – गुलिया ग्लेशियर के लिए अद्वितीय हैं और पृथ्वी पर कहीं और नहीं पाए गए हैं. कुल वायरसों में से केवल 12 प्रतिशत ही एशिया के बाहर से पाए गए हैं, और एक प्रतिशत से भी कम गैर-ग्लेशियर वातावरण में दर्ज किए गए हैं.