नई दिल्ली / नए किसान बिल के विरोध तमाम किसान संगठन पिछले एक महीने से ज्यादा समय से दिल्ली और आस पास के राज्यों की सीमाओं में डटे हुए. किसानों को मनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार किसान यूनियन से बातचीत कर रही है | आज किसानों और सरकार के बीच आज छठे दौर की बातचीत दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई | सरकार की तरफ से तीन केंद्रीय मंत्रियों ने किसान यूनियन से बात की. किसान आज भी कृषि बिल वापसी की मांग पर अड़े रहे, लेकिन सरकार ने साफतौर पर किसानों की बिल वापसी की मांग ठुकरा दिया और उन्हे एक कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया |
किसानों और सरकार के बीच 5 घंटे चली बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिहं तोमर ने कहा कि किसानों की चार में से 2 मांगों पर रजामंदी हो गई है। पराली और बिजली पर सरकार ने किसानों की बात मान ली है। उन्होंने कहा कि MSP जारी रहेगी इस पर सरकार लिखित में देने को तैयार है। कृषि कानून और MSP पर बातचीत जारी रहेगी। साथ ही तोमर ने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई नहीं होगी।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में फिर सरकार के मंत्रियों की तरफ से किसानों को साफ कहा गया है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का कोई इरादा नहीं है। सरकार ने ये भी साफ किया है कि जब तक आप लोग आंदोलन वापस करने का फैसला नहीं करते तब तक सरकार किसी भी सुधार को लेकर आश्वासन नहीं दे सकती। एमएसपी को लेकर किसानों की मांग पर विचार तभी संभव है, जब आंदोलन खत्म करने पर किसान फैसला लें।
बता दें कि छठे दौर की वार्ता 9 दिसंबर को होनी थी। लेकिन इससे पहले गृह मंत्री शाह और किसान संगठनों के कुछ नेताओं के बीच अनौपचारिक बैठक में कोई सफलता नहीं मिलने पर इसे रद्द कर दिया गया था। सरकार को उम्मीद है कि इस छठे दौर की बातचीत के बेहतर परिणाम सामने आएंगे और इस समस्या का एक बेहतर समाधान निकल सकता है और किसान अपना आंदोलन समाप्त करने को राजी होंगे। लेकिन प्रदर्शनकारी किसान संगठनों का मूड देखकर ऐसा लगता नहीं है। किसान तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं।
पत्र में सरकार से की ये 4 मांगें
चालीस किसान यूनियन का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को लिखे पत्र में कहा कि चर्चा केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने पर ही होगी। इसमें आगे कहा गया कि बैठक के एजेंडे में एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश में संशोधन को शामिल किया जाना चाहिये ताकि किसानों को दंडात्मक प्रावधानों से बाहर रखा जा सके।