उपेंद्र डनसेना
सारंगढ़। सारंगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण्य के घने जंगलो से लगा हुआ इलाके में इन दिनो धड़ाधड़ क्रेशर प्लांट की स्थापना हो रही है। खम्हारपाली के पास भालूपानी बैरियर के पास बिल्कुल ही गोमर्डा अभ्यारण्य की सीमा से सटा हुआ ईलाके में क्रेशरो की स्थापना में वन अधिकारियो की संलिप्तता से इंकार नही किया जा सकता है। वही बफर जोन और कोर जोन के बिल्कुल नजदीक इस घने जंगल से सटा हुआ ईलाका में क्रेशर की स्थापना से वन्यप्राणियो को काफी खतरा हो सकता है उसके बाद भी अधिकारियो ने आंख मूंदकर इस क्रेशर को अनुमति प्रदान कर दिया है।
सारंगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण्य के भालूपानी बैरियर के पास खम्हारपाली ग्राम पंचायत स्थापित है। इस पंचायत के पास ही एक क्रेशर स्थापित है जो कि गोमर्डा अभ्यारण्य की सीमा से महज 200 मीटर की दूरी पर स्थापित किया गया है। यह क्रेशर किस नियमो और कानून के तहत स्थापित किया गया है यह समझ से परे है। यहा पर खदान की अनुमति प्रदान करना और भंडारण का लीज प्रदान करने की प्रक्रिया पूर्ण किया गया है अथवा क्रेशर संचालक मनमानी करते हुए इस क्रेशर का संचालन कर रहा है? यह पूर्णता सूक्ष्म जांच का विषय है। वही लगभग 1 वर्ष पूर्व से स्थापित इस क्रेशर के अलावा यहा पर पसरकोल में एक स्थान पर अचानक नया क्रेशर प्लांट की स्थापना किया गया है। गोमर्डा अभ्यारण्य से लगभग आधा किलोमीटर की दूरी पर गांव के खेतो के बीच स्थापित इस क्रेशर के डस्ट से ना सिर्फ सैकड़ो एकड़ खेतो की फसल बर्बाद हो गई है बल्कि बिना कोई अनुमति लिये ही इस क्रेशर को माफिया वर्ग ने स्थापित कर दिया है। वही सूत्रो की माने तो इस क्रेशर संचालक के द्वारा बिना अनुमति के ही सिंचाई के लिये स्थापित ट्रांसफार्मर से ही बिजली का कनेक्शन ले लिया गया है तथा क्रेशर का धड़ल्ले से संचालक किया जा रहा है। वही मल्दा के पास बंजारी मंदिर के पास भी क्रेशर प्लांट की स्थापना हाल ही में किया गया है जहा से गोमर्डा अभ्यारण्य की सीमा महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। सवाल यहा पर यही उठ रहा है कि क्षेत्र मे किसी भी प्रकार की लघु उद्योगो को गोमर्डा अभ्यारण्य होने के कारण से अनुमति प्रदान नही किया जा रहा है और ना ही एनओसी प्रदान किया जा रहा है तो ऐसे में आखिर ऐसे कौन से प्रबल दबाव वन विभाग पर आ गया है कि एक नही दो नही तीन-तीन क्रेशर को गोमर्डा अभ्यारण्य की सीमा पर तैनाती करने पर भी कोई विरोध नही करते हुए उनके स्थापना के लिये गोमर्डा अभ्यारण्य के द्वारा एनओसी प्रदान कर दिया गया है। इस संबंध मे सूत्र बताते है कि परसकोल का क्रेशर पूर्ण रूप से अवैध है तथ ना ही खनिज विभाग से और ना ही वन विभाग से कोई अनुमति या अनुज्ञप्ति क्रेशर संचालक के द्वारा प्राप्त किया गया है। ऐसे में वन्यप्राणियो की सुरक्षा के लिये स्थापित किया गया गोमर्डा अभ्यारण्य मे अब वन्य प्राणी ही सुरक्षित नही रह पायेगें। इन क्रेशरो से निकलने वाली धुल और होने वाली आवाज के अतिरिक्त इन क्रेशरो के लिये जो खदान की स्वीकृति प्रदान किया गया है उसमे किया जाने वाला विस्फोट से गोमर्डा अभ्यारण्य के अंदर तक प्रभावित होगा और वन्यप्राणियो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
बहराहाल प्रशासन के द्वारा गोमर्डा अभ्यारण्य की सीमा से लगा हुआ ईलाका में क्रेशर संचालन की अनुमति विधिवत प्रदान किया गया है अथवा बिना अनुमति और बिना जानकारी के ही क्रेशर संचालको के द्वारा धड़ल्ले से क्रेशर का संचालन किया जा रहा है? यह सूक्ष्म जांच का विषय है।
बडे ग्रामीण नेताओ के है क्रेशर प्लांट
सारंगढ़ के गोमर्डा अभ्यारण्य की सीमा से लगा हुआ ईलाके में स्थापित इन क्रेशरो का संचालक कोई अनजान चेहरा नही है बल्कि क्षेत्र के ग्रामीण नेता के रूप मे जाना पहचाना नाम है। खम्हारपाली में जो क्रेशर बैरियर के पास से सटकर लगा हुआ है उसको बरमकेला के देवगांव के मिनकेतन वर्मा के द्वारा संचालित बताया जा रहा है। मिनकेतन वर्मा अभी देवगांव पंचायत के सरपंच के रूप मे पदस्थ है। वही परसरकोल मे जो क्रेशर प्लांट स्थापित किया गया है उसे भाजपा नेता ज्योति पटेल और उनका भाई मोती पटेल के द्वारा संचालित किया जा रहा है। जबकि मल्दा में बंजारी मंदिर के पास जो क्रेशर प्लांट स्थापित हुआ है उसे भाजपा नेता टीकाराम पटेल के सुपुत्र तथा परसदा के सरपंच कृष्ण कन्हैया पटेल के द्वारा संचालित किया जा रहा है। ऐसे में वन विभाग के अधिकारी और खनिज विभाग के अधिकारी भी इन क्रेशरो पर कार्यवाही करने से कतराते है।
परसकोल का क्रेशर बिना अनुमति के स्थापित हो गया?
परसकोल में भाजपा नेता ज्योति पटेल और उसके भाई मोती पटेल के द्वारा उक्त क्रेशर का संचालन किया जाता है उक्त जानकारी क्रेशर के कार्यालय में उपस्थित एक व्यक्ति ने प्रदान किया। किन्तु उक्त क्रेशर के लिये औद्योगिक विद्युत कनेक्शन के स्थान पर सिंचाई पंप के ट्रांसफार्मर से कनेक्शन लेने की जानकारी सामने आ रही है। वही खनिज विभाग की सूची में परसकोल में कोई भी क्रेशर प्लांट नही होने की जानकारी छनकर सामने आ रही है। ऐसे मे बिना डायवसर्न और बिना लीज के स्थापित अवैध विद्युत कनेक्शन के संचालित इस क्रेशर को लेकर अधिकारियो के कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है। वही इस क्रेशर से आसपास के सैकड़ो एकड़ की फसल बर्बाद होने के कागार पर आ गई है क्योकि क्रेशर से उड़ने वाली धूल से पूरा अंचल दूषित हो रहा है।
गौण खनिज के मद के लिये स्थापित किया गया है क्रेशर?
सारंगढ़ जनपद पंचायत मे गौण खनिज मद के रूप में 10 करोड़ रूपये की राशी प्राप्त होती है। इस राशी का खर्च उत्खनन प्रभावित गांवो के विकास में खर्च किया जाता है। टिमरलगा और गुड़ेली क्षेत्र से सटे हुए दो दजर्न पंचायत को उत्खनन प्रभावित गांव माना जाता है। इस कारण से उस क्षेत्र मे जमकर इस पैसे का उपयोग और दुरूपयोग किया जाता है। उस गौण खनिज की राशी का मल्दा/सालर परिक्षेत्र में भी उपयोग करने के लिये इस क्षेत्र में धड़ाधड़ क्रेशर प्लांट की स्थापना किया जा रहा है जिससे लाभ का लाभ भी मिले और गौण खनिज के रूप में मद भी इस क्षेत्र के ग्राम पंचायतो को प्राप्त हो।