छत्तीसगढ़ में शौचालय को लेकर SDM और SDO आमने-सामने , दोनों पक्षों के बीच बगैर अनुमति शौचालय का उपयोग बना नाक का सवाल , विवाद पहुंचा चीफ सेक्रेटरी तक , जांच शुरू , शासन ने दिया निष्पक्ष कार्रवाई का भरोसा  

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रिपोर्टर-कैलाश यादव /

बिलासपुर / छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है | इस मामले को लेकर राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारियों ने चीफ सेक्रेटरी से मुलाकात कर विवाद की जांच कर निष्पक्ष कार्यवाही की मांग की है। दरअसल एक सब डिविजनल मजिस्ट्रेट ने फारेस्ट SDO के बाथरूम का बगैर उनसे पूछे उपयोग कर लिया | घटना इलाके के प्रसिद्ध जू कानन पेंडारी की है | बाथरूम यूज करने को लेकर दोनों पक्षों के बीच जमकर तकरार हुई | यहां तक कि मामला थाने तक पहुंच गया | आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने प्रशासन के दबाव में फारेस्ट एसडीओ को सबक सिखाने के लिए उनके खिलाफ यातायात चालानी करवाई कर दी | आरोप के मुताबिक एसडीएम साहब ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया और स्थानीय यातायात कर्मियों के जरिये पहले एसडीओं की गाड़ी अपने कब्जे में करवाई फिर सीट बेल्ट ना लगाने के आरोप में एसडीओं के खिलाफ यातायात नियमों के उल्लंघन का जुर्माना लगवाया | इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है | 

बताया जाता है कि पूरा मामला रविवार का था, जब कवर्धा SDM विपुल गुप्ता अपने परिवार के साथ कानन-पेंडारी घूमने गये थे | यहां उन्होंने फारेस्ट विभाग के दफ्तर में SDO विवेक चौरसिया के चैंबर के वाथरूम का इस्तेमाल किया था | बगैर पूछे शौचालय के इस्तेमाल से SDO साहब भड़क गये | उन्होंने एसडीएम के अलावा वहां मौजूद कर्मचारियों को जमकर फटकार लगा दी। बताया जाता है कि एसडीओ के बर्ताव से खिन्न एसडीएम ने इसकी शिकायत अपने साथी व स्थानीय एसडीएम से कर दी। आरोप है कि इस शिकायत के बाद फारेस्ट एसडीओ की गाड़ी जब्त हो गयी और उन्हें घंटों थाने में गुजारना  पड़ा | 

कानन पेंडारी में घटित SDO और SDM के बीच का यह विवाद अब चीफ सिकरेट्री तक पहुंच गया है। राज्य प्रशासनिक संघ के पदाधिकारियों ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है | संघ ने कहा कि  सुप्रीम कोर्ट ने शौचालय प्रयोग के अधिकार को मूलभूत अधिकारों में शामिल किया है | उन्होंने चीफ सिकरेट्री को बताया कि जिलों में पदस्थ राजस्व अधिकारी का ज्यादातर समय शासन प्रशासन के महत्वपूर्ण कार्यों में बीतता है। ऐसे में मूलभूत सुविधाएं के लिए भी यदि इस प्रकार का विवाद उत्पन्न होगा तब जिलों में प्रोटोकॉल व्यवस्था चरमरा जाएगी।

 उधर एसडीओं फारेस्ट की दलील है कि उन्हें बेवजह परेशान किया गया |  उनके मुताबिक  इस विवाद के चलते उन्हें काफी देर तक थाने में वक्त गुजारना पड़ा। ट्रैफिक पुलिस ने उनकी गाड़ी जब्त कर ली और झूठा आरोप लगाया कि उन्होंने सीट बेल्ट नहीं बांधी थी। इधर कई वन संगठन एसडीओं फारेस्ट के समर्थन में कूद पड़े है |फ़िलहाल विवाद की जांच शुरू हो गई है |