शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तिआनजिन पहुंचे, जहां 31 अगस्त और 1 सितंबर को आयोजित होने वाले SCO शिखर सम्मेलन चीन में वे भाग लेंगे। इस दौरान उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी होगी। बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं पर गहन चर्चा की उम्मीद है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-अमेरिका व्यापारिक तनाव और वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियां नई चुनौतियां पेश कर रही हैं।
SCO सम्मेलन क्यों अहम है
इस वार्षिक सम्मेलन में सदस्य देश आतंकवाद, व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर साझा रणनीति बनाएंगे। भारत के लिए यह अवसर है कि वह मध्य एशियाई देशों के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करे। पीएम मोदी की मौजूदगी भारत की सक्रिय भूमिका और एशियाई क्षेत्र में उसकी बढ़ती कूटनीतिक ताकत को रेखांकित करती है।
मोदी-जिनपिंग मुलाकात पर सबकी नजर
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात खास रुचि का विषय है। हाल के महीनों में भारत-चीन संबंधों में कुछ नरमी देखने को मिली है। माना जा रहा है कि इस मुलाकात में व्यापारिक साझेदारी और सीमा पर तनाव कम करने के उपायों पर चर्चा होगी। यह बातचीत दोनों देशों के बीच रिश्तों को नई दिशा दे सकती है।
रूस के साथ रणनीतिक साझेदारी
व्लादिमीर पुतिन से मोदी की बैठक भी उतनी ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है। पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बीच भारत और रूस ऊर्जा, रक्षा और तकनीकी सहयोग को और आगे बढ़ाने पर विचार करेंगे। यह वार्ता रणनीतिक साझेदारी को नई गहराई दे सकती है।
अमेरिका संग बढ़ा तनाव
मोदी का यह दौरा ऐसे वक्त पर हो रहा है जब भारत-अमेरिका रिश्तों में खटास बढ़ी हुई है। हाल ही में अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर भारी टैरिफ लगाए, जिससे तनाव और गहरा गया। ऐसे में SCO का मंच भारत के लिए वैकल्पिक साझेदारी तलाशने और एशियाई देशों से राजनीतिक व आर्थिक संबंध मजबूत करने का एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है।
