
SCO Summit 2025 के लिए चीन का तियानजिन शहर अगले दो दिनों तक वैश्विक राजनीति का केंद्र बना रहेगा। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अहम द्विपक्षीय बैठकें होंगी। भारत के लिए यह वार्ता बेहद अहम है क्योंकि यह ऐसे समय हो रही है जब अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाकर रिश्तों में तनाव बढ़ा दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह चीन यात्रा सात साल बाद हो रही है। आखिरी बार उन्होंने 2018 में वुहान का दौरा किया था, जब डोकलाम विवाद के बाद दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण थे। इस बार हालात अलग हैं। भारत और चीन ट्रंप की व्यापारिक नीतियों से पैदा हुई वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बीच संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं।
सम्मेलन से इतर, मोदी-शी की दो द्विपक्षीय बैठकें और उसके बाद पुतिन से वार्ता होगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि इन बैठकों से अमेरिका को यह संदेश जाएगा कि भारत रूस और चीन के साथ खड़ा है। खासकर तब, जब हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने यूक्रेन युद्ध के बीच रूस से तेल खरीदने पर भारत की आलोचना की है।
2020 की गलवान झड़प के बाद भारत-चीन संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे। लेकिन इस साल चीन ने रिश्तों को “ड्रैगन-हाथी टैंगो” का नाम देकर सहयोग का संदेश दिया है। हाल ही में दिल्ली में हुई वांग यी की यात्रा में दोनों देशों ने वीज़ा सुगमता, सीधी उड़ानों और सीमा व्यापार खोलने पर सहमति जताई थी।
भारत के लिए चीन से स्थिर संबंध अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने और नए बाजार खोलने में मदद कर सकते हैं। ऐसे में, SCO Summit 2025 भारत की कूटनीतिक रणनीति के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।