दिल्ली :- भारत में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना की रफ्तार तेज हो गई है. देश के तमाम राज्यों में संक्रमण के मामले लगातार बढ़ने लगे हैं. ज़्यादातर राज्यों में संक्रमण की दर और मौतों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है. इन राज्यों में अब पाबंदियां और सख्त कर दी गईं हैं. बावजूद इसके कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. देश विदेश के वैज्ञानिको ने कोरोना की तीसरी लहर का अंदेशा काफी पहले ही जाहिर कर कर दिया था. इसके चलते अस्पतालों में स्वास्थ सुविधाओं को बढाने में काफी ध्यान दिया गया. अब ओमिक्रॉन के पीक को लेकर भी तरह-तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं. हाल ही में अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी की डेटा साइंटिस्ट भ्रमर मुखर्जी ने इस वैरिएंट पर कई अहम जानकारियां सांझा की हैं.
उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना के मामलों मे लगातार इजाफा हो रहा है. इसके पीछे की मुख्य वजह ओमिक्रॉन वैरिएंट ही माना जा रहा है. दुनिया भर के वैज्ञानिक और हेल्थ एक्सपर्ट्स इस वैरिएंट को गंभीरता से लेने की चेतावनी दे रहे हैं.अब इसके पीक को लेकर भी तरह-तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं. अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी की डेटा साइंटिस्ट भ्रमर मुखर्जी ने ओमिक्रॉन वैरिएंट पर अहम जानकारी देते हुए कहा है कि कोरोना वायरस हर बार बहुत शांत तरीके से आता है और अचानक से इसका विस्फोट हो जाता है. इस पर पकड़ बनाए रखने के लिए इसके व्यवहार को समझना जरूरी है. उनके मुताबिक़ जब ये धीमी गति से बढ़ रहा हो तभी इस पर रोक लगाने की रणनीति बनानी चाहिए.जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि पहले लोगों को लग रहा था कि ओमिक्रॉन भारत में नहीं आएगा लेकिन ये भारत में आया ही नहीं बल्कि पूरी तरह फैल भी गया है. उनका दावा है कि दिसंबर में भारत में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी थी.
मुखर्जी का कहना है कि भारत में फिलहाल 60 फीसदी आबादी को वैक्सीन की दोनों और 90 फीसदी लोगों को एक डोज लग चुकी है. पहले और दूसरे लहर की तुलना में लोग अब वायरस से ज्यादा सुरक्षित हैं. उनका मानना है कि मौत और अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या काफी कम हुई है. लोगो को अभी ओमिक्रॉन एक हल्का वायरस लग रहा है लेकिन कुछ लोगों के लिए खतरनाक भी हो सकता है. उनका यह भी कहना है कि वैक्सीन भी 100 फीसदी कारगर नहीं है इसलिए हो सकता है कि आने वाले समय में भारत में अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या बढ़ जाए.इसका दबाव हेल्थ सिस्टम पर भी बढ़ सकता है. अमेरिका में ऐसा ही देखने को मिल रहा है. प्रोफेसर मुखर्जी ने एक ट्वीट में लिखा, “मैं रोज सुनती हूं कि ओमिक्रॉन डेल्टा की तुलना में माइल्ड है. ओमिक्रॉन की लहर को लेकर भारत की तैयारी अमेरिका से ज्यादा अच्छी है. हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि हम भले ही बहुत ज्यादा भयावह स्थिति में ना पहुंचे लेकिन हालात तब भी अच्छे नहीं कहे जा सकते.”
A thought on relative statements I hear daily.
— Bhramar Mukherjee (@BhramarBioStat) January 12, 2022
Omicron is milder then Delta.
India's response to the Omicron wave has been better than the US.
We need to think about the performance of the reference category. Being better than very bad can still be bad in absolute terms.
देश विदेश के वैज्ञानिको की ओमिक्रॉन को लेकर अलग-अलग राय है. कोई इस लहर को बहुत खतरनाक बता रहा है तो कोई इसे सामान्य कोरोना की तरह बता रहा है.कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रॉन के साथ ही ये वायरस दुनिया से खत्म हो जाएगा. इसके ठीक उलट कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी और भी नए और खतरनाक वैरिएंट आने बाकी हैं.कई वैज्ञानिकों का कहना है कि शुरूआती डेटा से लग रहा था कि ओमिक्रॉन हल्का है लेकिन अब पता चल चुका है कि ये सबके लिए हल्की बीमारी नहीं है. भारत में कोरोना की पीक को लेकर माथापच्ची ज़ारी है. वैज्ञानिक मानते है कि हम जिस तेज़ी से संक्रमण की ओर बढ़ रहे है उससे लगता है कि इसका पीक करीब है लिहाज़ा सतर्क रहने की आवश्यकता है.