दिल्ली/रायपुर वेब डेस्क – छत्तीसगढ़ में समाज कल्याण विभाग में हुए घोटाले की जांच को लेकर भले ही राज्य सरकार मुंह फेर ले | लेकिन घोटाले की सीबीआई जांच के अदालती फरमान से प्रशानिक हल्कों में खलबली मची हुई है | इस घोटाले को लेकर कई बड़े अफसर जांच के घेरे में है | आर्थिक रूप से मालामाल इन अफसरों को मामले की सीबीआई जांच नागवार गुजर रही है | उन्हें इस बात का अंदेशा है कि यदि सीबीआई ने समाज कल्याण की फाइलों पर नजर दौड़ाई तो अगला-पिछला सब कुछ सामने आ जायेगा | बताया जाता है कि ज्यादातर अफसरों ने अपने परिजनों के अलावा दूर-दराज के रिश्तेदारों के नाम से काफी संपत्ति इक्कठा की है | सरकारी रकम डकारने के संदेही अफसरों को अब इस बात की चिंता सता रही है कि कही अब लेने के देने ना पड़ जाए | हालांकि घोटाले में नामजद किये गए कुछ अफसरों का यह भी दावा है कि उन्हें बेवजह फंसाया गया | जबकि समाज कल्याण विभाग से उनका दूर दूर तक नाता भी नहीं रहा | अदालत में इस घोटाले का पर्दाफाश करने वाले याचिकाकर्ता कुंदन सिंह के वकील देवर्षि ठाकुर ने न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ को बताया कि आखिर किस तरह से सरकारी रकम की बंदरबाट हुई |
उधर समाज कल्याण विभाग घोटाले की सीबीआई जांच के निर्देश के बाद घोटाले में प्राथमिक रूप से नामजद आईएएस अफसरों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है | सुको में दाखिल रिव्यू पिटीशन में अतिशीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई गई है | दरअसल बिलासपुर हाईकोर्ट ने सीबीआई को एक निश्चित समय सफ्ताह भर में चिन्हित अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए है | इस रिव्यू पिटीशन के जरिये क़ानूनी दावपेंचों का भी खेल शुरू हो गया है |
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सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे अफसरों की दलील है कि एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने के पहले हाईकोर्ट ने उन्हें कोई नोटिस तक जारी नहीं किया | तमाम अफसरों ने रिव्यू पिटीशन में अपने बचाव की दलीले दी है | उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया है कि पिछली सरकार ने माना था कि इस मामले में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है | यही नहीं सुप्रीम कोर्ट के अलावा बिलासपुर हाईकोर्ट में भी रिव्यू पिटीशन दायर कर एक आरोपी अफसर और पूर्व ACS बी.एल अग्रवाल ने खुद को बेगुनाह बताया है |
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उधर इस घोटाले को लेकर चल रही क़ानूनी कार्रवाई और दांवपेचों पर पूर्व महाधिवक्ता जुगल किशोर गिल्डा के भी मैदान में कूदने की खबर है | बताया जाता है कि मामले पर उनकी पैनी निगाहे है | दरअसल पूर्व महाधिवक्ता जी.के गिल्डा अफसरों की कार्यप्रणाली से काफी हद तक वाकिफ है | यह भी बताया जाता है कि उनकी मजबूत क़ानूनी पकड़ का फायदा तत्कालीन सरकार को प्राप्त हुआ था | लिहाजा मौजूदा कार्यकाल में वर्तमान महाधिवक्ता और उनके कार्यालय की कार्यप्रणाली को लेकर तुलना और मंथन भी किया जा रहा है |