देश के बहुआयामी भारतमाला प्रोजेक्ट में भी घोटाला, साय सरकार का सीबीआई जांच से इंकार, जांच ईओडब्ल्यू के हवाले, छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष महंत और राजस्व मंत्री टंकराम के बीच भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर सवाल-जवाब का दिलचस्प दौर…..

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में केंद्र सरकार से सरकारी मुआवजा प्राप्त करने के लिए कई नेताओं और नौकरशाहों ने फर्जीवाड़ा किया था। उन्ही के दांवपेचों को आजमाते हुए कई पूंजी-पतियों ने भी सरकार को चूना लगाने में देरी नहीं की। उन्होंने भी जमीनों के नक़्शे और दस्तावेजों में हेरफेर कर नेताओं और नौकरशाहों की तर्ज पर करोड़ों की रकम नंबर एक में अर्जित की थी। रायपुर, महासमुंद, धमतरी, रायगढ़ समेत कई बड़े जिलों में भारतमाला प्रोजेक्ट के अंतर्गत मुआवजा प्राप्ति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया था। मामले के उजागर होने के बाद राजनैतिक गलियारा गरमाया हुआ है।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सीबीआई जांच की मांग पर अड़ी हुई है, जबकि छत्तीसगढ़ सरकार ने घोटाले की EOW से जांच कराने की सिफारिश की है। छत्तीसगढ़ सरकार ने पीएम मोदी सरकार की बहुआयामी सड़क परियोजना भारतमाला प्रोजेक्ट में धांधली की जांच EOW को सौंप दी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार ने पहले विधानसभा में और फिर कैबिनेट में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति के तहत उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए है। राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए तय गाइडलाइन के तहत मुआवजा पाने के लिए प्रदेश के कई जिलों में सरकार की आँखों में धूल झोंका गया था। इसके लिए जमीनों के दस्तावेजों में हेरफेर कर प्रभावशील व्यक्तियों ने गैर-क़ानूनी रूप से करोड़ों का मुआवजा प्राप्त किया था।

शिकायतों की प्रारंभिक तफ्तीश में धांधली की पुष्टि होने के बाद कई नेताओं और नौकरशाहों के काले-कारनामों को लेकर प्रदेश में राजनैतिक और प्रशासनिक हलचल जोरो पर है। होली के पूर्व विधानसभा की कार्यवाही में मामले की सीबीआई जांच की मांग सदन में गूंज रही है। विपक्ष सीबीआई जांच की मांग कर रहा है। जबकि राज्य सरकार ने EOW से जांच का एलान कर विपक्ष की सीबीआई जांच की मांग को दरकिनार कर दिया है। भारतमाला परियोजना के प्रदेश में क्रियान्वयन को लेकर भारी भ्रष्टाचार सामने आया है। विधानसभा में बुधवार का दिन इस मामले को लेकर सरगर्म रहा।

सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद कैबिनेट की एक महत्वपूर्ण बैठक में मामले की जांच EOW से कराये जाने को हरी झंडी दी गई है। कैबिनेट का दावा है कि मामले में शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कैबिनेट ने आगे की जांच ईओडब्ल्यू से कराने की सिफारिश की है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने भारतमाला प्रोजेक्ट में धांधली के आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की थी। नेता प्रतिपक्ष ने सदन में पूछा था कि 6 गांव में 43.19 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान किया गया है, शासन द्वारा क्या कार्रवाई की गई? इस पर राजस्व मंत्री टंकराम ने अपने उत्तर में अनिमियतता स्वीकार करते हुए कहा कि अधिसूचना के बाद रकबे का टुकड़ा किया गया था। अधिकृत भूमि का दोबारा भू-अर्जन किया गया। ट्रस्ट के बदले ट्रस्ट के व्यक्ति को मुआवजा मिला। डिप्टी कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी पर कार्रवाई की गई है।

नेता प्रतिपक्ष महंत ने अगला सवाल किया था कि जिन अफसरों ने गड़बड़ी की उन्हें जेल भेजें? सीबीआई से जांच कराएं, क्योंकि निलंबित आदमी फिर आकर काम करने लगता है? इसके जवाब में मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि, जितनी भी शिकायतें हैं, उनकी जांच की जा रही है। दोषी व्यक्ति को छोड़ेंगे नहीं। लेकिन मंत्री के जवाब से असंतुष्ट नजर आ रहे चरणदास महंत ने सवाल दोहराते हुए कहा कि पिछली सरकार की जांच की बात कर रहा हूं, क्या इसकी जांच सीबीआई को सौपेंगे? इस पर मंत्री टंकराम ने कहा कि – राजस्व मंत्री अच्छे से जवाब दे रहे हैं। जांच में शिकायत होगी तो कहिएगा, वैसे सीबीआई को तो आप लोगों ने ही बैन करके रखा था।

मंत्री के जवाब के साथ कटाक्ष सुनते ही नेता प्रतिपक्ष के हावभाव बदलते नजर आये। हालांकि खुद को नियंत्रित करते हुए महंत ने सदन को अवगत कराया कि वे राज्य की जांच एजेंसियों से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने विधायकों की समिति गठित कर मामले की जांच कराने की मांग की। इसे ख़ारिज होते देख फ़ौरन चरणदास महंत ने साफ़ किया कि वे मंत्री के उत्तर, सत्तापक्ष और सीएम के व्यवहार से संतुष्ट नहीं है। चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि, मैं हाईकोर्ट जाऊंगा। यही नहीं जवाब से असंतुष्ट विपक्ष के कदम वॉकआउट की ओर बढ़ गए।

इस पर स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने मंत्री की ओर इशारा करते हुए पूछा कि, क्या मंत्री जी विधायकों की समिति से जांच कराने को सहमत हैं। जवाब में मंत्री टंकराम वर्मा ने कहा कि, महोदय इसकी जांच के लिए हमारे लिए संभागीय आयुक्त ही पर्याप्त हैं। फ़िलहाल छत्तीसगढ़ विधानसभा होली के मौके पर अगली कार्यवाही तक स्थगित है, जबकि दूसरी ओर भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद प्रशासनिक और राजनैतिक गलियारा गरमाया हुआ है।