छत्तीसगढ़ में धर्मांतरित ईसाई को दफनाने के स्थान के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खंडित फैसला सुनाया। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि छत्तीसगढ़ में एक धर्मांतरित ईसाई का अंतिम संस्कार परिवार की निजी कृषि भूमि पर किया जा सकता है। न्यायमूर्ति एससी शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरित ईसाई का अंतिम संस्कार निर्धारित स्थान पर ही किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि धर्मांतरित ईसाई का अंतिम संस्कार निर्धारित स्थान पर किया जाना चाहिए, क्योंकि शव सात जनवरी से शवगृह में रखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने उस पादरी को ईसाइयों के लिए निर्दिष्ट स्थान पर दफनाने का निर्देश देते हुए सोमवार को खंडित फैसला सुनाया। पादरी का शव सात जनवरी से छत्तीसगढ़ के एक शवगृह में रखा है। पीठ ने कहा कि पादरी का शव उसे दफनाने के स्थान को लेकर विवाद के कारण सात जनवरी से शवगृह में रखा है और इसी बात को ध्यान में रखते हुए वह इस मामले को वृहद पीठ को नहीं भेजेगी। उसने निर्देश दिया कि शव को उस निर्दिष्ट स्थान पर दफनाया जाए, जो राज्य के छिंदवाड़ा गांव से 20 किलोमीटर दूर है।
पीठ ने राज्य सरकार को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। इससे पहले कोर्ट ने 22 जनवरी को कहा था कि उसे पादरी के शव को दफनाने के मामले में सौहार्दपूर्ण समाधान निकलने और पादरी का सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार किये जाने की उम्मीद है। कोर्ट ने पादरी के बेटे की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
पीठ ने रमेश बघेल नाम के व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने रमेश के पादरी पिता के शव को गांव के कब्रिस्तान में ईसाइयों को दफनाने के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में दफनाने के अनुरोध संबंधी उसकी याचिका का निपटारा कर दिया था।