छत्तीसगढ़ में सबसे बड़े मेडिकल घोटाले में सौम्या चौरसिया स-शरीर शामिल, कई कंपनियों में साइलेंट पार्टनर, पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के राज में सरकारी अस्पतालों से घटिया दवाओं का वितरण,  करोड़ों के घोटाले का खुलासा, ब्लैकलिस्ट कंपनी मोक्षित कॉर्पोरेशन की फाइल से कई दस्तावेज गायब, सवालों के घेरे में कार्यवाही……..   

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था और उनपर जनता का विश्वास पुनः कायम करना राज्य की बीजेपी सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। दरअसल बीते 5 सालों में स्वास्थ सेवाएं जहाँ लचर हुई है, वही गुणवत्ताविहीन और घटिया दवाओं को बाजार भाव से 500 गुना अधिक कीमत पर सरकार को सालाना खपाया गया है। गुणवत्ताविहीन दवाओं की खरीदी सीधे तत्कालीन मुख्यमंत्री की उप सचिव सौम्या चौरसिया खुद किया करती थी। जांच में यह भी पाया गया है कि दवाओं की खरीदी को लेकर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री TS सिंहदेव की सहमति के बगैर सरकारी प्रस्तावों की प्रक्रिया पूरी कराई जाती थी।

वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर कनिष्ठ अधिकारियों को खरीदी संबंधी प्रक्रिया का पालन यह कहकर फ़ौरन कराया जाता था कि मुख्यमंत्री का आदेश है। नतीजतन स्वास्थ्य विभाग के गोदामों में घटिया दवाओं का अम्बार लगना रोजमर्रा की बात हो गई थी। उधर घटिया दवाओं की आपूर्ति से मरीजों को ना तो अपेक्षित स्वास्थ्य लाभ मिला और ना ही उनके मर्ज ठीक हुए। छत्तीसगढ़ में पिछली भूपे बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा  अंजाम दिए गए अरबों के मेडिकल घोटाले की परतें अब निकलने लगी है।

सरकारी दस्तावेज बताते है कि बाजार में पांच से दस रुपये में मुहैया मेडिकल उपकरण भूपे राज में दो – दो हजार रुपये में खरीदे गए थे। इसके अलावा चिकित्सा परीक्षणों में उपयोग किए जाने वाले रसायन भी बाजार दर से हजारों गुना अधिक कीमत पर खरीदे गए। जरुरत ना होने के बावजूद भी इसकी बेजा खरीदी की गई थी। भूपे सरकार के दौरान स्वास्थ्य सेवा में अरबो के घोटालों से स्वास्थ्य विभाग का पूरा स्ट्रक्चर चरमरा गया है। तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारियों ने एक्शन लेते हुए इस घोटाले के मास्टरमाइंड मोक्षित कॉर्पोरेशन को ब्लैकलिस्ट तो कर दिया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के सीएमएससीएल के अधिकारियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

बताते है कि जेल में बंद सौम्या चौरसिया ने अपने विश्वासपात्र अधिकारियों से संपर्क कर मामले की फाइल से कई दस्तावेज उड़वा दिए है। सूत्रों के मुताबिक दस्तावेजों में दवाओं की खरीदी से जुड़ी प्रशासनिक स्वीकृति भी शामिल है। बताया जाता है कि आधे अधूरे इन दस्तावेजों में तत्कालीन विभागीय मंत्री टीएस सिंहदेव के फर्जी हस्ताक्षर भी हो सकते है। सूत्र तस्दीक कर रहे है कि सीएमएससीएल में दवाओं की खरीदी से जुड़ी फाइल सौम्या चौरसिया खुद डील करती थी। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि कई विभागीय स्वीकृति में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपे बघेल के फर्जी हस्ताक्षर उनके पुत्र और सौम्या चौरसिया के ही है। हालांकि मामले का खुलासा उच्च स्तरीय जांच के बाद ही होगा।  

छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग में तमाम घोटाले और भ्रष्टाचार इतने बड़े पैमाने पर अंजाम दिए गए है कि उसका पूरा आंकड़ा कलकुलेटर तक में नही आ पा रहा है। बताते है कि मोक्षित कारपोरेशन की साइलेंट पार्टनर की भूमिका में सौम्या चौरसिया कार्य कर रही थी। इसके चलते इस कंपनी ने घटिया सामग्री की आपूर्ति ऊंचे दामों पर जारी रखी थी। जबकि बगैर जांच पड़ताल के घटिया माल सीएमएससीएल के माध्यम से गोदामों में भर दिया जाता था। इसके बाद जरुरत ना होने पर भी उसकी साल दर साल खपत दिखाई जाती थी।

हालांकि इस घोटाले के भूपे राज में उजागर होते ही उनकी उप सचिव ने मोर्चा संभाल लिया था। शिकायत के बावजूद मामले की जांच तक नहीं कराई गई थी। विधानसभा सत्र में इस मामले को लेकर तत्कालीन अंबिकापुर विधायक ने सवाल भी उठाया था।

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बताते है कि ध्यानाकर्षण भी लगा पर सौम्या के हस्तक्षेप से अभी तक इसका जवाब तक नहीं भेजा गया। CGMSC में पदस्थ कई पुराने अधिकारी का मोक्षित कारपोरेशन से सीधा आर्थिक लेन – देन बताया जाता है। बताते है कि यही स्टाफ सौम्या के इशारे पर बड़े पैमाने पर स्वास्थ विभाग में केमिकल समेत अन्य दवाओं की ख़रीदी का ब्यौरा तैयार करता था।

जानकारी के मुताबिक Reag 197 etda tube adlt जो कि खुले बाजार में अधिकतम 8.50 रुपए में उपलब्ध है, उसे मोक्षित कार्पोरेशन से 2352 रुपए में प्रति नग लिया गया। स्वास्थ्य विभाग की 2022 जनवरी से 31 अक्टूबर 2023 तक अरबो रुपये की खरीदी मोक्षित कार्पोरेशन से साठ-गांठ कर  खरीदी गई थी। इसमें राज्य सरकार को हजारो करोड़ की चपत लगी। बताते है कि स्वास्थ्य विभाग ने अपने बजट राशि से 4 गुना अधिक राशि का रीएजेंट खरीदा है। इसकी भी जांच लंबित रखी गई है।

शिकायतकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन में बीते 5 वर्षों की खरीदी की जांच की मांग की है। शिकायत के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री भूपे बघेल के करीबी नाते – रिश्तेदारों को अकेले स्वास्थ्य विभाग से बतौर कमीशन हर माह करोड़ो मिलते थे। जबकि तत्कालीन उप सचिव सौम्या चौरसिया दवाओं की आपूर्ति का बिल पास कराने के लिए दिन रात एक कर देती थी। माना जा रहा है कि नए स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी की नई सरकार गरीबों और जरुरतमंदों तक गुणवत्ता वाली दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने में जोर देगी।