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लंग्स कैंसर के इलाज के लिए US के बजाये सिंगापूर जाने की तैयारी में संजू बाबा, थर्ड स्टेज एडवांस कैंसर से जूझ रहे बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त ने अपने फैंस से जल्द स्वस्थ होकर मिलने का किया वादा, इन 6 कारणों से किसी को भी हो सकता है फेफड़ों का कैंसर, पढ़े लक्षण और बचाव

मुंबई वेब डेस्क / बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे हैं | डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें थर्ड स्टेज का एडवांस कैंसर है | यह काफी खतरनाक माना जाता है | रिपोर्ट्स के मुताबिक, संजय दत्त ने इलाज के लिए अमेरिका जाने की तैयारी की थी | लेकिन वहां फैले कोरोना संक्रमण और वीजा संबंधी दिक्कतों के चलते अब सिंगापूर जाने पर भी विचार हो रहा है | हालाँकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया कि वे कहाँ के लिए उड़ान भरेंगे | डॉक्टरों के मुताबिक फेफड़ों का कैंसर एक बेहद खतरनाक बीमारी है | यदि इसे समय पर नहीं पहचाना गया तो यह जानलेवा साबित हो जाती है |

उनका मानना है कि संजय दत्त एक वारियर एक्टर है | उनका जुझारूपन और संकल्प बहुत ठोस होता है | उन्हें उम्मीद है कि यही दोनों शक्ति इस कैंसर से लड़ने में उनकी मदद करेगी | डॉक्टरों का मानना है कि फेफड़े के कैंसर से हर साल पूरी दुनिया में लाखों लोगों की मौत होती है | संजय दत्त के फैंस उन्हें कैंसर होने की खबर जानकर बेहद निराश हैं | वे उनके जल्द ठीक होने की दुआ कर रहे हैं | वही संजू बाबा ने कहा है कि जल्द ठीक होकर वे वापिस लौटेंगे |

आखिर क्यों होता है, लंग्स कैंसर ? बीमारी के लक्षण, कारण और रोकथाम पर एक नजर –

डॉक्टरों के मुताबिक प्रत्येक इंसान के सीने में दो स्पॉन्जी ऑर्गेन्स फेफड़े होते हैं | ये शरीर को ऑक्सीजन देने और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने का काम करते हैं | डॉक्टर बताते है कि धूम्रपान करने से फेफड़ों के कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है | हालांकि ये बीमारी अब उन लोगों में भी देखी जा रही है, जिन्होंने जीवन में कभी धूम्रपान नहीं किया | धूम्रपान करने वाले और इसके धुएं के संपर्क में आने वाले लोग इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं |

जानकारों के मुताबिक फेफड़ों में कैंसर के लक्षण शुरुआती चरण में पता नहीं चलते | उनके मुताबिक अक्सर इसके लक्षण बीमारी के एडवांस स्टेज पर पहुंचने के बाद ही सामने आते है | इसमें अक्सर होने वाली खांसी, खांसी में खून का आना, बलगम, दर्द, सांस में तकलीफ, गला बैठना, वजन घटना, हड्डियों में दर्द और सिरदर्द इसके प्रमुख लक्षण हो सकते हैं |

डॉक्टर बताते हैं कि धूम्रपान फेफड़ों की कोशिकाओं को डैमज कर कैंसर का खतरा पैदा करता है | जब आप सिगरेट पीते हैं तो ‘कार्सिनोजेंस’ नाम का पदार्थ लंग्स टिशू को तेजी से बदलना शुरू कर देता है | शुरुआत में आपकी बॉडी इस डैमेज को रिपेयर कर सकती है, लेकिन बार-बार धुएं के संपर्क में आने से फेफड़ों की कोशिकाएं डैमेज होने लगती हैं | इसके बाद कोशिकाओं के असामान्य रूप से काम करने के कारण कैंसर हो जाता है | मेडिकल साइंस में फेफड़ों के कैंसर को दो बड़े हिस्सों में विभाजित किया गया है | इसमें ‘स्मॉल सेल लंग कैंसर’ और ‘नॉन स्मॉल सेल लंग कैंसर’ के आधार पर ही डॉक्टर्स तय करते हैं कि आपको किस तरह के इलाज की जरूरत है |

इसके अलावा रेडॉन गैस के संपर्क में आने से भी यह कैंसर हो सकता है | अर्सेनिक, क्रोमियम और निकेल जैसे कैमिकल एलिमेंट के संपर्क में आने से भी आप इसका शिकार हो सकते हैं | कई मामलों में फेफड़ों का कैंसर परिवार की हेल्थ हिस्ट्री पर भी निर्भर करता है |फेफड़ों के कैंसर से बचने के लिए डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि लोगों को धूम्रपान का त्याग कर धूम्रपान के संपर्क में आने से बचना चाहिए | उनके मुताबिक हाई रेडॉन इलाकों से दूर रहना, कार्यस्थल पर कार्सिनोजेंस जैसे जहरीले कैमिकल से भी दूर रहना चाहिए | डाइट में फल और हरी सब्जियों को शामिल करना और सप्ताह में नियमित रूप से एक्सरसाइज कर इस इस खतरे को टाला जा सकता हैं |

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