मुम्बई:- “वाइन शराब नहीं है”, समझ गए आप। कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना भी मान चुकी है कि वाइन शराब नहीं है। हालाकि तीनो ही पार्टियों ने दोनों के बीच क्या अंतर होता है,ये नहीं बताया है? बस दो टूक कह दिया है कि, वाइन शराब नहीं है। इसलिए आप भी समझ जाइए और शराब के सहज उपलब्ध होने की नीतियों को सरकार के रचनात्मक कदमों के रूप में देखे।
फिलहाल वो दिन दूर नहीं जब किसानों के वोट बैंक को कब्जाने के लिए राजनैतिक दल गांजा,अफीम,चरस और दूसरे नशीले पदार्थों की खेती के लिए प्रोत्साहन योजना लेकर आ जाएं। फिर दलील दें कि इससे किसानों की आमदनी दुगुनी-चौगुनी होगी.अभी तक उड़ता पंजाब ही चर्चा में रहा है महाराष्ट्र की ये नीति कारगर रही तो अब उड़ेगा देश। सामाजिक कार्यकर्ता इसका स्वागत करें वर्ना विरोध करने पर चलेगा क़ानून का डंडा….
महाराष्ट्र में सुपर मार्केट और आम दुकानों में वाइन की बिक्री की इजाजत दे दी है। इसकी बिक्री के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है। शिवसेना नेता संजय राउत ने आज कहा कि महाराष्ट्र सरकार के राज्य में सुपर मार्केट और वॉक-इन दुकानों पर वाइन की बिक्री की अनुमति देने के फैसले से किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। एक समाचार एजेंसी ने संजय राउत के हवाले से कहा, “वाइन शराब नहीं है। अगर वाइन की बिक्री बढ़ती है, तो इसका फायदा किसानों को मिलेगा। हमने किसानों की आय को दोगुना करने के लिए ऐसा किया है।”
संजय राउत ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के फैसले की आलोचना करने के लिए विपक्षी भाजपा पर भी निशाना साधा है। संजय राउत ने कहा, “भाजपा केवल विरोध करती है लेकिन किसानों के लिए कुछ नहीं करती है।” गुरुवार को महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने सुपर मार्केट और वॉक-इन दुकानों पर वाइन की बिक्री की अनुमति देने का प्रस्ताव पारित करते हुए कहा कि इससे फलों पर आधारित वाइनरी को बढ़ावा मिलेगा जो किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करती हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, “शेल्फ-इन-शॉप” पद्धति को उन सुपरमार्केट और स्टोरों द्वारा अपनाया जा सकता है, जिनका क्षेत्रफल 1,000 वर्ग फुट या उससे अधिक है और जो महाराष्ट्र शॉप्स एंड एस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकृत हैं। हालांकि, पूजा स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों के पास के सुपरमार्केट को शराब बेचने की अनुमति नहीं होगी। जिन जिलों में शराबबंदी लागू है, वहां भी शराब की बिक्री की इजाजत नहीं होगी।
हालांकि, भाजपा ने इस फैसले की निंदा की है और आरोप लगाया है कि राज्य सरकार शराब के सेवन को बढ़ावा दे रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “हम महाराष्ट्र को मद्य-राष्ट्र नहीं बनने देंगे।” उन्होंने कहा, “शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार ने महामारी के दो साल के दौरान लोगों की मदद नहीं की, लेकिन इसकी प्राथमिकता शराब की बिक्री को बढ़ावा देना है।”