साला मैं तो साहब बन गया, गडकरी ने कसा तंज- ’45 साल में एक कुत्ता भी स्वागत करने नहीं आया’, खरी-खोटी लेकिन हकीकत जानकर लोग हैरान…      

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ठाणे: देश में सड़कों के जाल और आवागमन को सुचारु बनाने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अथक प्रयास रंग ला रहे है। देश के कई राज्यों में विकास की गंगा बहाने के मामले में गडकरी जैसा कोई नहीं। ऐसा मानने वालों की संख्या देश-विदेश में बहुतायत देखी जाती है। अब गडकरी भी अपने अंदाज में हकीकत बया करने में नहीं हिचकिचाते। मुंबई से सटे ठाणे जिले में सुधीर गाडगिल के 75वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए ब्रम्हला वरिष्ठ नागरिक संघ को गडकरी ने गदगद कर दिया। नितिन गडकरी ने नेताओं पर तंज भी कसा।

उन्होंने कहा, ’45 साल तक कोई कुत्ता मेरा स्वागत करने नहीं आया. लेकिन अब कुत्ता आने लगा है. मैंने अपने जीवन में पोस्टर लगाने के लिए एक भी रुपया खर्च नहीं किया है. मैं ऐसा नहीं करूंगा.’ गडकरी आगे मंच पर जम गए। उन्होंने कहा, ‘अब ‘जेड प्लस’ सुरक्षा की वजह से कुत्ता आने लगा है. लेकिन, मौजूदा राजनीतिक पदाधिकारियों को अगर कोई छोटा पद भी मिल जाता है तो वे पोस्टर लगाना शुरू कर देते हैं, जिसमें लिखा होता है, ‘साला मैं तो साहब बन गया’.’ इसके बाद उन्होंने रतन टाटा की यादें ताजा की.

उन्होंने कहा, ‘मेरा एक्सीडेंट हुआ था. तब रतन टाटा मुझसे मिलने आने वाले थे. लेकिन उन्हें मेरे घर का पता नहीं मिल पाया तो उन्होंने मुझसे संपर्क किया. मैंने कहा, ‘अपने ड्राइवर को मेरा मोबाइल नंबर दे दो. तो उन्होंने कहा, मैं गाड़ी चला रहा हूं. इतने बड़े लोग कितने सरल थे.’ उन्होंने सुधीर गाडगिल को याद करते हुए कहा कि गाडगिल ने कई शख्सियतों की अच्छी बातें बताकर उन्हें चर्चा में ला दिया. जीवन के उतार-चढ़ाव, सफलता-असफलता, खुशी-दुख के पल, उनके निर्णय लेने के तरीके का गहराई से अध्ययन करने के बाद गाडगिल साक्षात्कार लेते थे. उनके द्वारा लिए गए साक्षात्कार लोगों के लिए ज्ञानवर्धक हैं.

गडकरी ने कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग करके नई पीढ़ी को उन साक्षात्कारों को दिखाना आवश्यक है. क्योंकि इन पीढ़ियों के बीच का अंतर बहुत बड़ा है. मराठी में अलग-अलग तरह की कलाएं हैं. महाराष्ट्र में रहते हुए कभी भी इसका महत्व महसूस नहीं होता. लेकिन जब हम मराठी लोग देश और दुनिया के हर कोने में जाते हैं, तो हमें एहसास होता है कि हम अलग क्यों हैं. बंगाल और महाराष्ट्र में जो साहित्य, संस्कृति और कला है, वह कई राज्यों में देखने को नहीं मिलती. महाराष्ट्र ने देश और दुनिया को कई महान कलाकार दिए हैं. इन सबकी वजह से मराठी लोगों का गौरव ऊंचा है। बहरहाल, कार्यक्रम ख़त्म होने के बाद गडकरी तो नागपुर रवाना हो गए। लेकिन उनके अनुभव और उसे समझाने का तरीका लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।