दिल्ली : रूस -यूक्रेन से भारत लौटे हजारो छात्रों के अरमानो पर पानी फिर गया है | बताया जाता है कि यहाँ लगभग 20 हजार भारतीय स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे थे | इन्हे रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी में युद्ध शुरू होने के बाद वापस भारत लौटना पड़ा था |
ये छात्र अब अपनी पढाई को लेकर मुश्किल में है | यूक्रेन से भारत लौटने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स को भारत के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन देने से कानूनी अड़चने सामने आई है | इस मामले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई | इस दौरान केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि इन छात्रों को भारत में एडमिशन दे पाना कानून संभव नहीं है |
केंद्र का कहना है कि यह लोग अपने यूक्रेन के कॉलेज से सहमति लेकर किसी अन्य देश के कॉलेज में डिग्री पूरी कर सकते हैं. सरकार ने इसकी मंजूरी दी है| केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा कि यूक्रेन से लौटे छात्र या तो NEET में कम अंक मिलने के चलते वहां गए थे या फिर सस्ती पढ़ाई से आकर्षित होकर | दलील दी गई कि अब अगर उनको भारत के बड़े कॉलेजों में जगह दी गई तो यह दूसरे प्रतिभाशाली छात्रों के साथ गलत होगा. फिर उनकी तरफ से मुकदमे दाखिल होंगे |
हाल ही में 7 सितंबर को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने यूक्रेन से लौटे छात्रों के एडमिशन को लेकर आदेश जारी किया था | इसमें यूक्रेन द्वारा पेश किए गए एकेडमिक मोबिलिटी प्रोग्राम को मान्यता देने के लिए सहमति दी गई थी |
हालांकि इन छात्रों को यूक्रेन की मूल यूनिवर्सिटी से ही डिग्री प्रदान करने का हवाला देते हुए इन छात्रों को दुनिया की किसी भी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने की अनुमति दे दी गई थी | हालाँकि रूस की कई यूनिवर्सिटीज भी भारतीय स्टूडेंट्स को उनकी पढ़ाई में मदद देने के लिए आगे आई हैं |