
भारत-रूस संबंध: तेल और रक्षा सहयोग मजबूत
नई दिल्ली। रूस ने बुधवार को स्पष्ट किया कि अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबंध और टैरिफ भारत को तेल आपूर्ति प्रभावित नहीं करेंगे। वरिष्ठ रूसी अधिकारियों ने कहा कि मॉस्को के पास विशेष तंत्र है जो ऊर्जा व्यापार पर बाहरी दबाव को नाकाम कर सकता है।
रूस रक्षा क्षेत्र में भी भारत का प्रमुख साझेदार बना हुआ है। मई में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान एस-400 वायु रक्षा प्रणाली का सफल परीक्षण रूस-भारत रक्षा सहयोग की सफलता साबित हुआ। रूस के प्रभारी राजदूत रोमन बाबुश्किन ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल के अंत में वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आएंगे।
भारत चीन के बाद रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है। देश की कुल ऊर्जा आपूर्ति का लगभग 40% हिस्सा रूस से आता है। पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत और रूस ने ऊर्जा व्यापार को सुचारु बनाए रखा है। वाडिनार रिफाइनरी, जिसमें रोसनेफ्ट की 49.13% हिस्सेदारी है, यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के बावजूद चालू और स्थिर है।
बाबुश्किन ने कहा कि पिछले वर्षों में रूस ने यूरोपीय सेवाओं पर निर्भरता कम कर दी है, जिससे तेल व्यापार पर प्रतिबंधों का असर सीमित रहेगा। कीमतों में 5% तक उतार-चढ़ाव संभव है, लेकिन यह बातचीत से नियंत्रित किया जाएगा। भारत और रूस 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं।