नई दिल्ली:- जेएनयू की नई वाइस चांसलर प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुडी पंडित के नाम से बने अनवेरिफाइड ट्विटर अकाउंट से किए गए ट्वीट को लेकर बवाल हो गया। इस ट्विटर हैंडल से जामिया मिल्लिया इस्लामिया और सेंट स्टीफंस कॉलेज को ‘सांप्रदायिक परिसर’ बताया गया था और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को ‘दिमागी रूप से बीमार जिहादी’ बताया गया था। प्रोफेसर धुलीपुडी ने स्पष्ट किया है कि उनका कोई ट्विटर अकाउंट नहीं है। ये ट्वीट किसी ने फर्जी अकाउंट बनाकर किए थे।इस ट्वीट के बारे में तभी पता चला जब उसके स्क्रीनशॉट आने लगे। मैं ट्विटर पर नहीं हूं इसलिए जल्दी पता भी नहीं चल पाया।
प्रोफेसर पंडित ने कहा, मेरी बेटी साइबर सिक्यॉरिटी इंजिनियर है। मेरा कभी कोई ट्विटर अकाउंट नहीं रहा। 6 साल पहले उसने मेरे सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिए थे। ‘आखिर मुझे क्यों निशाना बनाया जा रहा है।’मैं भी यहां की स्टूडेंट रही हूं। जेएनयू मेरे लिए मां की तरह है। यहां सब लोकतांत्रिक तरीके से होगा। यहां सभी विचारधाराओं का सम्मान होना चाहिए।‘मेरे साथ प्रेस मे भी बुरा व्यवहार हो रहा है। मैंने क्या अपराध कर दिया है। केवल इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने लेफ्ट को धराशायी कर दिया और वे ऐसा नहीं कर सके।’ ‘ हो सकता है कि जेएनयू के अंदर के ही किसी शख्स ने यह सब किया हो क्योंकि मैं यहां पहली महिला वीसी हूं और इससे बहुत सारे लोग खुश नहीं हैं।’