नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किये जाने के बाद विपक्षियों ने बवाल खड़ा कर दिया है | कांग्रेस के नेता ओट वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने इसे न्यायपालिका की मर्यादा से जोड़ दिया है | उन्होंने कहा कि सरकार ने उन्हें इनाम दिया है | उधर सत्ताधारी बीजेपी ने विपक्ष के तमाम आरोपों को स्तरहीन करार दिया है | बीजेपी के मुताबिक अच्छा कार्य करने वाले लोगों को राज्यसभा में भेजे जाने की दशकों पुरानी परंपरा है | सिर्फ रामजन्म भूमि विवाद सुलझाने को नहीं बल्कि कई बड़े प्रकरणों में फैसला देने वाले पूर्व CJI देश में बतौर जस्टिस एक मिसाल के रूप में देखे जाते है | यह पहला मौका नहीं है जब कोई जस्टिस राज्यसभा के लिए नामित हुआ हो | इसके पूर्व भी कई जस्टिस राज्यसभा और राजभवनों की शोभा बढ़ा चुके है |
हालांकि उनके मनोनयन पर तमाम विपक्षी दल सवाल खड़ा कर रहे हैं। जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर खड़े हो रहे सवाल के बीच आखिरकार सीजेआई रंजन गोगोई ने इसपर अपनी चुप्पी तोड़ी है। पत्रकारों से बात करते हुए जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने राज्यसभा नामांकन पर उठ रहे सवालों पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि पहले मुझे राज्यसभा के सदस्य के तौर पर शपथ ग्रहण करने दीजिए।
जस्टिस गोगोई ने कहा कि राज्य सभा के सदस्य के तौर पर शपथ ग्रहण करने के बाद मैं जवाब दूंगा कि आखिर क्यों मैंने इसे स्वीकार किया। सोमवार की शाम को सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में इस बात की जानकारी दी गई कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व सीजेआई जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के सदस्य के लिए मनोनीत किया है। इस खबर के आने के बाद सियासी गलियारों में चर्चा का दौर तेज हो गया है | बीजेपी विरोधी तमाम दल इस मनोनयन को लेकर कई तरह के सवाल खड़े कर रहे है | राजनेता सीजेआई गोगोई को मनोनीत किए जाने के पीछे राजनीतिक मंशा खोजने लगे है ।
जस्टिस गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि जस्टिस गोगोई न्यायपालिका और खुद की ईमानदारी से समझौता करने के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने ट्वीट करके लिखा कि जस्टिस गोगोई को सरकार द्वारा बचाए जाने, सरकार के साथ खड़े रहने, खुद की और न्यायपालिका की अस्मिता के साथ समझौता करने की वजह से राज्यसभा के लिए नामित किया गया और इसके लिए वह याद किए जाएंगे।
जस्टिस
गोगोई की बात करें तो फरवरी 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज बनाए गए। 2011 में वो पंजाब और हरियाणा
हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस बने। अप्रैल 2012 को वह सुप्रीम कोर्ट में आए, जिसके बाद 3 अक्टूबर 2018 को वह सुप्रीम कोर्ट के मुख्य
न्यायाधीश बने और 17 नवंबर
2019 तक इस पद पर आसीन रहे। उनकी
अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने अयोध्या भूमि विवाद में फैसला सुनाकर अपना नाम
इतिहास में दर्ज करा लिया।जस्टिस गोगोई ही थे जिन्होंने 10 जनवरी 2018 को तीन अन्य वरिष्ठ जजों के
साथ मिलकर तब के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ संयुक्त प्रेस वार्ता की
थी। जजों ने आरोप लगाया था कि जस्टिस मिश्रा न्यायपालिका की स्वयात्तता से खिलवाड़
कर रहे हैं।