रायपुर / छत्तीसगढ़ में आरएसएस पर प्रतिबंध लगाए जाने के आसार है। राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ताजा बयानों से तो यही लग रहा है। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि आने वाले दिनों में बघेल कोई सख्त फैसला ले सकते है। दरअसल छत्तीसगढ़ में माओवादियों – नक्सलियों के तमाम संगठनों के खिलाफ प्रतिबन्ध है। ऐसे संगठनों को UAPA अर्थात ऑन लॉफूल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट के तहत प्रतिबंधित किया गया है। ऐसे में मुख्यमंत्री के बयानों से आरएसएस पर भी प्रतिबन्ध को लेकर चर्चा छिड़ गई है।
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गणत्रंत दिवस के दौरान बघेल का हालिया बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राज्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में हुए नेतृत्व बदलाव के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरएसएस की तुलना नक्सलियों से की है। उन्होंने कहा, जैसे नक्सलियों के बड़े कमांडर आंध्र और तेलंगाना में रहते हैं और यहां के लोग केवल बंदूक चलाते हैं। उसी प्रकार से आप आरएसएस में भी देखेंगे कि उसके सारे लोग नागपुर के हैं। यहां के लोग केवल अफवाह फैलाने की मशीन की तरह काम करते हैं।
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गणत्रंत दिवस समारोह में हिस्सा लेने के लिए बस्तर रवाना होने के दौरान मुख्यमंत्री ने आरएसएस पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि आरएसएस के कार्यकर्ता नागपुर के बंधुआ मजदूर हो गए हैं। वे इससे उबर नहीं पा रहे हैं। बिसराराम जी स्थानीय व्यक्ति थे। छत्तीसगढ़ के माटीपुत्र थे। अब उनको भी हटा दिया गया। अब यहां आरएसएस का कोई आदमी स्थानीय स्तर पर कुछ बड़ा नहीं बोल सकता। हालाँकि संघ के संविधान के अनुसार तीन साल में निर्वाचन होता है। पिछले नौ वर्ष से बिसराराम यादव प्रांत संघचालक थे। उनका कार्यकाल पूरा होने पर रविवार को निर्वाचन हुआ, जिसमें अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना प्रांत संघचालक चुना गया है।