रायपुर: छत्तीसगढ़ में सैकड़ों मॉल, काम्प्लेक्स, व्यावसायिक हितो से जुड़े सेंटर और भवनों में फायर फाइटिंग सिस्टम के नियमों के तहत ना तो सेफ कॉरिडोर की व्यवस्था है और ना ही ऐसी बिल्डिंगों में आग से निपटने और जनता को सुरक्षित बाहर निकालने के कोई ठोस संसाधन। राज्य में आगजनी की दर्जनों घटनाओं के सामने आने के बाद सरकार का अग्निशमन विभाग अब सक्रिय हो गया है। उसने जिला प्रशासन के संज्ञान में ऐसी खतरनाक बिल्डिंगों और व्यावसायिक परिसरों में आपातस्थिति में जनता के निकास के लिए नियमों के तहत पुख्ता बंदोबस्त किये जाने से जुड़े कई तथ्य संज्ञान में लाये है।
बताया जा रहा है कि खतरनाक परिसरों में फायर फाइटिंग के नियमों के तहत निर्माण ना करा कर, उस स्थान में दुकाने और व्यावसायिक उपयोग के श्रोत बना लिए गए है। इसके चलते आपात-परिस्थिति में ग्राहकों को परिसर से बाहर निकालने के निकास मार्ग अवरुद्ध कर दिए गए है। उपरोक्त परिस्थिति में जनता को जान-माल के भारी नुकसान का अंदेशा भी जाहिर किया गया है।
यह भी प्रशासन के संज्ञान में लाया गया है कि स्थानीय निकायों द्वारा ऐसे परिसरों के निर्माण की अनुमति फायर फाइटिंग से जुड़े समुचित नियमों के सुनिश्चित करने के उपरांत ही प्राप्त होती है। लेकिन ज्यादातर बिल्डरों और कारोबारियों ने नियमों के विपरीत निर्माण कर निकासी के समस्त मार्ग अवरुद्ध कर दिये है।
इन स्थानों पर दुकाने-दफ्तर और कारोबार के अन्य प्रतिष्ठान स्थापित कर लिए गए है। सूत्रों के मुताबिक चिन्हांकित किये गए, आवासीय एवं व्यावसायिक भवनों, शॉपिंग मॉल, कमर्शियल सेंटर, छोटे-बड़े अस्पतालों पर दीपावली के बाद वैधानिक कार्यवाही के आसार जाहिर किये जा रहे है।
दरअसल, राज्य सरकार के अग्निशमन सेवा विभाग ने समस्त जिलों के कलेक्टरों और नगरीय निकायों के प्रभारियों को फायर फाइटिंग सिस्टम के नियमों का पालन कड़ाई के साथ सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किये है। माना जा रहा है कि नियमों का पालन सुनिश्चित करने के दौरान कई नामचीन परिसरों पर भारी तोड़फ़ोड़ हो सकती है। यही नहीं उन कारोबारियों पर भी गाज गिर सकती है, जो ‘सेफ कॉरिडोर’ में काबिज होकर विभिन्न गतिविधियों को संचालित कर रहे है।
गौरतलब है कि रायपुर के कई अस्पतालों, होटलों और अन्य व्यावसायिक परिसरों में आगजनी की घटनाये आम है। कई लोग गाहे-बगाहे अपनी जान गंवा रहे है। हाल ही में शनिवार को एक आवासीय-सह-व्यावसायिक इमारत में आग लगने से एक महिला समेत दो लोगों की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए थे। देवेंद्र नगर थाना क्षेत्र के अंतर्गत मिनी माता चौक के करीब स्थित उस इमारत की दूसरी मंजिल पर आग की जोरदार लपटें देखी गईं थी। पुलिस और अग्निशमन दल घटनास्थल पर घंटों अवरुद्ध मार्गों से दो-चार होता रहा। उसने कड़ी मशक्कत के बाद अवरुद्ध मार्गों को खोलकर पीड़ितों को राहत पहुंचाई थी।
यह भी बताया जाता है कि दमकल और एम्बुलेंस के साथ स्थानीय पुलिस के अधिकारी समय पर मौके पर पहुंचे थे। उन्होंने राहत और बचाव अभियान शुरू करने में जरा भी देरी नहीं की, बावजूद इसके अवरुद्ध स्थलों के चलते लंबे समय तक उन्हें पीड़ितों तक पहुंचने में जूझना पड़ा था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक परिसर में प्रवेश करने पर घना धुआं था, हवा तक की निकासी-वेंटिलेटर भी नहीं था, मौके पर एक पुरुष और महिला बेहोश पड़े थे, दोनों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। उनके मुताबिक दो अन्य लोगों को रक्षक दल द्वारा बचा लिया गया था। इस अधिकारी ने तस्दीक करते हुए कहा कि यदि इस परिसर में फायर फाइटिंग का समुचित प्रबंध होता तो इतनी बड़ी घटना सामने नहीं आती।
रायपुर के राजधानी हॉस्पिटल में आगजनी के दौरान आधा दर्जन से ज्यादा मरीजों की मौत की घटना सामने आई थी। इस मामले की जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया था कि भवन को मंजूरी दो फ्लोर की थी, लेकिन प्रशासन की आँखों में धूल झोंक कर तीन फ्लोर बना लिए गए थे। अस्पताल के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट भी नहीं था। हालांकि तत्कालीन भूपे सरकार ने सौदा पटने के बाद लेन-देन करते हुए दोषी प्रबंधन और डॉक्टरों को राहत देते हुए इस मामले को रफा-दफा कर दिया था। बताते है कि ऐसे ही कई मामलों में हीला-हवाली के चलते जनता की जान जोखिम में है। कई परिसरों में रोजाना हज़ारों ग्राहकों और कर्मचारियों की आवाजाही होती है।
बताया जा रहा है कि अकेले रायपुर में दर्जनों परिसरों के खिलाफ जल्द कार्यवाही के आसार है। जयस्तंभ चौक स्थित रविभवन, जयराम काम्प्लेक्स, लाल गंगा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, श्याम प्लाजा, पंडरी स्थित कई व्यावसायिक परिसरों के अलावा अन्य चिन्हांकित परिसरों की सूची भी प्रशासन को साझा की गई है। सूत्रों के मुताबिक जल्द ही ऐसे चिन्हांकित परिसरों को खतरनाक घोषित कर उसमे फायर फाइटिंग के नियमों के तहत वैधानिक कार्यवाही किये जाने के आसार है।