छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से निवेदन : अदालत इस समाचार को स्वतः संज्ञान लेते हुए बतौर जनहित याचिका स्वीकार करे ! छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग ने रैपिड किट का बगैर टेस्ट किये लगभग ढाई करोड़ की खरीदी का वर्क ऑर्डर जारी किया , जनता और कोरोना संक्रमित संदिग्धों की जान जोखिम में 

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रायपुर / कई बार माननीय अदालत , हाईकोर्ट अथवा सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाशित समाचारों को संज्ञान में लेकर उसे बतौर जनहित याचिका स्वीकार किया है | यही नहीं मात्र 15 पैसे के डाक घर के पोस्ट कार्ड पर लिखी गई शिकायतों को भी पर्याप्त आधार मानकर अदालत ने उसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है | अतः बिलासपुर हाईकोर्ट से निवेदन है कि इस समाचार के तथ्यों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया जाए | 

1.छत्तीसगढ़ में कोरोना का संक्रमण फैला है |विभिन्न अस्पतालों में संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है | कई लोग क्वारंटाइन है | इस बीच राज्य में कोरोना का संक्रमण रोकने और ज्यादा से ज्यादा स्वास्थ्य परीक्षण के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने दिनांक 13.04.2020 को रैपिड टेस्ट किट खरीदने के लिए टेंडर जारी किया था | इस तिथि के ठीक तीसरे दिन दिनांक 16.04.2020 को प्रतियोगिता के द्वारा प्रति किट 337 रूपये की दर से लगभग 75 हजार रैपिड किट की सप्लाई का आर्डर एसडी बायोसेंसर नामक कंपनी को दे दिया गया |

2. यह कि रैपिड किट की खरीदी का मामला जन स्वास्थ्य और सरकारी धन के व्यय से जुड़ा है , माननीय अदालत का ध्यान इस ओर दिलाया जाता है कि इस रैपिड किट की खरीदी और संबंधित एसडी बायोसेंसर नामक कंपनी को सप्लाई ऑर्डर देने से पूर्व उस किट की नमूना जांच को लेकर कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई | जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग की टेंडर स्वीकृत करने वाली कमेटी और सप्लाई ऑर्डर जारी करने से पूर्व सरकारी अधिकारीयों ने इस किट की गुणवत्ता और उसके रिजल्ट की विश्वसनीयता को लेकर कोई जांच प्रक्रिया नहीं अपनाई | 

3. छत्तीसगढ़ में सप्लाई होने वाली इस रैपिड किट से किसी भी कोरोना संक्रमित मरीज अथवा संदिग्ध मरीज के परीक्षण के लिए कोई नमूना जांच नहीं की गई | न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने इस ओर ध्यान दिलाते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के संज्ञान में यह तथ्य लाया | बावजूद इसके कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं की गई | 

4. यह कि रैपिड किट की विश्वसनीयता कितनी खरी है ? मरीजों की नमूना जांच के लिए कितने मरीजों का चयन किया गया ? इस हेतु कितने मेडिकल विशेषज्ञों अथवा डॉक्टरों की मौजूदगी में सप्लाई होने वाली मेडिकल किट का परीक्षण किया गया , इन तथ्यों के अनुपालन संबंधी कोई प्रावधान खरीदी प्रक्रिया के दौरान नहीं अपनाये गए | 

5. यह कि कोई व्यक्ति मात्र 10 रूपये वाली एक सामान्य पेन की खरीदी करता है , तो उससे कागज पर लिखकर देखता है कि वह चलती भी है की नहीं | लेकिन छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग ने लगभग ढाई करोड़ की लागत से 75 हजार रैपिड किट खरीदने के ऑर्डर जारी करने से पूर्व ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई और ना ही इसे अपनाने हेतु टेंडर-निविदा में कोई शर्त रखी | नतीजतन यह अनदेखी कोरोना संक्रमण की रोकथाम की दिशा में मरीजों और आम जनता की जान जोखिम में डालने जैसी जान बूझकर बरती गई चूक है | 

6. कोरोना के संक्रमण की गंभीरता से रोक के बजाये स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने स्वः हित पर ध्यान देते हुए संबंधित कंपनी को फौरन वर्क ऑर्डर जारी कर दिया | यह तथ्य भी सामने आया है कि दिनांक 11.04.2020 को ICMR अर्थात (Indian Council of Medical Research) दिल्ली की वेबसाइट पर “एसडी बायोसेंसर” नामक कंपनी विचार योग्य नहीं की श्रेणी पर दर्ज है |  “The following submissions in response to the ICMR EOI dated 11th April, 2020 for Rapid Test kit are not considered due to lack of one or more or all of the reasons cited below” 16 नंबर कॉलम पर दर्ज है | लेकिन इस कंपनी ने छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग रायपुर के टेंडर में दिनांक 13.04.20 को यह जानकारी छिपाते हुए भाग लिया और दिनांक 16.04.20 को रैपिड किट सप्लाई का वर्क आर्डर हासिल कर लिया | टेंडर प्रक्रिया से साबित होता है कि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली संदिग्ध है और अनियमितता की ओर इशारा करती है | 

7. यह कि उपरोक्त तथ्यों को स्वास्थ्य विभाग के संज्ञान में लाने पर बजाये पारदर्शिता और वैधानिक प्रक्रिया का परिचय देने के जनसंपर्क विभाग के जरिये प्रकाशित समाचार पर फेक न्यूज का थप्पा लगाया गया | राज्य सरकार के जनसंपर्क विभाग ने फेक न्यूज की मुहर लगाने से पूर्व ना तो न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ को प्रकाशित समाचार के बारे में तथ्य रखने का मौका दिया और ना ही समाचार को लेकर खुद कोई पड़ताल की | बगैर ठोस आधार के उसने फेक न्यूज फ़ैलाने का आरोप न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ पर लगाया | जबकि समाचार के साथ ही ICMR और CGMSC के दस्तावेज संलग्न किये गए थे | 

8. यह कि रैपिड किट की विश्वसनीयता को लेकर राजस्थान और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों ने सवाल खड़े किये थे | रैपिड किट के रिजल्ट पर की गई आपत्ति के बाद ICMR ने देशभर के तमाम राज्यों में रैपिड किट से होने वाले टेस्ट पर दो दिनों तक पाबंदी लगाई है | न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ यह स्पष्ट करना चाहता है कि वो रैपिड किट की खरीदी और सप्लयार कंपनी के खिलाफ नहीं है | बल्कि खरीदी की वैधानिक  प्रक्रिया अपनाये जाने और किट की विश्वसनीयता बरकरार और कायम रखने का पक्षधर है | जनहित में जितनी जल्दी जांच की जरूरत है , उतनी ही रिजल्ट के भरोसेमंद होने की | 

9. यह कि स्वास्थ्य विभाग छत्तीसगढ़ शासन अपनी चूक और गलतियों पर पर्दा डालते हुए न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ पर दबाव बना रहा है कि उसकी कार्यप्रणाली को लेकर किसी भी तरह के समाचार प्रकाशित-प्रसारित ना किये जाए | वर्ना फेक न्यूज का हवाला देकर संस्थान के खिलाफ FIR दर्ज करने की धमकी दी जा रही है | पुलिस थानों में झूठी शिकायतें की जा रही है |  

10. यह कि न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ ने बगैर किसी द्वेष और दुर्भावना के जनहित में खबरों का प्रकाशन किया है | संस्थान के पत्रकारों ने अपव्यय रोकने और संक्रमण की जांच के लिए विश्वसनीय रैपिड किट की खरीदी पर जोर देते हुए सरकार का ध्यान आक्रस्ट किया है | इसके बावजूद जनता की आवाज दबाने के लिए उसे प्रताड़ित किया जा रहा है | अतः अदालत से निवेदन है कि टीएस सिंहदेव स्वास्थ्य मंत्री छत्तीसगढ़ शासन , सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण , छत्तीसगढ़ शासन , पुलिस अधीक्षक बिलासपुर , डीजीपी छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय रायपुर और सचिव-आयुक्त जनसंपर्क को पक्षकार बनाते हुए जनहित याचिका स्वीकार करने की कृपा करे | निवेदक : साजिद हाश्मी संपादक न्यूज टुडे छत्तीसगढ़ रायपुर