
सुप्रीम कोर्ट का सख्त संदेश: “कोई भी कानून से ऊपर नहीं”
रेणुकास्वामी हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कन्नड़ एक्टर दर्शन थुगुदीपा, पवित्रा गौड़ा और पांच अन्य आरोपियों की जमानत रद्द कर दी।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि यह फैसला साफ संदेश देता है कि चाहे आरोपी कितना भी बड़ा हो, वह कानून से ऊपर नहीं है।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जेल में किसी आरोपी को विशेष या “पांच सितारा” सुविधाएं नहीं मिलनी चाहिए।
क्या है रेणुकास्वामी मर्डर केस?
- पीड़ित: 33 वर्षीय ऑटो चालक रेणुकास्वामी
- घटना: 9 जून 2024 को शव बरामद
- आरोप: पवित्रा गौड़ा के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी करने पर, दर्शन ने कथित रूप से अपने फैंस से रेणुकास्वामी को पकड़ने और अपहरण करने को कहा।
- नतीजा: कथित हमले में लगी चोटों से रेणुकास्वामी की मौत।
दर्शन की गिरफ्तारी और जमानत का विवाद
- गिरफ्तारी: 11 जून 2024
- अंतरिम जमानत: 30 अक्टूबर 2024 को कर्नाटक हाई कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर 6 हफ्ते की अंतरिम जमानत दी।
- हाई कोर्ट का तर्क: अभियोजन पक्ष ठोस और विशिष्ट गिरफ्तारी के आधार पेश करने में विफल रहा।
- कर्नाटक सरकार की अपील: 6 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई।
- सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: हाई कोर्ट का आदेश रद्द, सभी आरोपियों की जमानत रद्द।
कोर्ट का कानूनी और नैतिक संदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्याय प्रणाली का दायित्व है कि कानून का शासन हर कीमत पर सुनिश्चित किया जाए।
यह फैसला एक मिसाल है कि सेलिब्रिटी स्टेटस या राजनीतिक दबाव कानून के सामने कोई मायने नहीं रखता।