
वाराणसी। भारत के प्रतिष्ठित शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा का गुरुवार, 2 अक्टूबर को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनकी उम्र 91 वर्ष थी। लंबे समय से बीमार चल रहे पंडित मिश्रा का उपचार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदरलाल अस्पताल में चल रहा था। उनकी बेटी नम्रता मिश्रा ने मीडिया को उनके निधन की पुष्टि की।
पंडित मिश्रा का पार्थिव शरीर मिर्जापुर से वाराणसी ले जाया जाएगा और उनका अंतिम संस्कार शाम को मणिकर्णिका घाट पर होगा, जो अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। उन्होंने जीवन के अंतिम दिनों में दिल से संबंधित समस्याओं, कम हीमोग्लोबिन और बेड सोर्स जैसी कठिनाइयों का सामना किया।
हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में उनका योगदान अविस्मरणीय रहा। पंडित मिश्रा ख्याल, ठुमरी और भजनों के अपने भावपूर्ण प्रदर्शनों के लिए प्रसिद्ध थे। उनके संगीत ने न केवल भारत बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी लोगों को मंत्रमुग्ध किया। उन्हें 2010 में पद्मभूषण और 2020 में पद्मविभूषण सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें शिरोमणि पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और बिहार संगीत शिरोमणि पुरस्कार जैसे सम्मान भी प्राप्त हुए।
बॉलीवुड में भी उनका योगदान यादगार रहा। उन्होंने 2011 में आयी फिल्म आरक्षण के लिए लोकप्रिय गीत “सांस अलबेली” और “कौन सी डोर” गाए, जो दर्शकों द्वारा खूब पसंद किए गए।