Site icon News Today Chhattisgarh

NEWS TODAY BREAKING : छत्तीसगढ़ में राजकुमारों के रजिस्ट्रेशन को लेकर बवाल, भ्रष्टाचार की मूर्ति के सरकारी धरोहर की चर्चा अदालत में भी, जुड़वा बच्चो ने सुनाई आधे अधूरे-कटे फटे निलंबन आदेश की दास्तान, बताया पापा-मम्मी, आंटी और ED…

रायपुर / दिल्ली : छत्तीसगढ़ में बिलासपुर हाई कोर्ट से लेकर राज्य के समस्त सरकारी और गैर-सरकारी दफ्तरों में दो पांडुलिपियो के मालिकाना हक़ को लेकर लगाई जा रही गुहार और दावे सुर्खियों में है। इस कीमती सरकारी धरोहर की देखभाल के लिए भ्रष्टाचार की मूर्ति ने अपनी जमानत याचिका स्वीकृत करने की गुहार अदालत से लगाई है।

बताते है कि जेल या बेल पर अदालती फैसला जल्द आने के आसार है, लेकिन पांडुलिपियों को लेकर इस प्रभावशील महिला की अदालत से गुहार चर्चा का विषय बन गई है।

बताया जा रहा है कि दो नन्हे सरकारी राजकुमारों की रक्षा के लिए प्रदेश की चर्चित एक महिला ने जेल से बाहर आने की ख्वाइश जाहिर की है। देवलोक से मुंबई का सफर तय कर किराये की एक कोख ने छत्तीसगढ़ के राजकुमारों का पूरे नौ महीने तक पालन पोषण किया था। बताया जा रहा है कि करीब ढाई साल पहले रहस्यों के गर्भ से ढकी दो पांडुलिपियां प्रगट तो हो गई है, लेकिन अदालत में उनका जिक्र आने के बाद नई समस्या का भी पता चला है।

बताते है कि पांडुलिपियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर विभागीय अमला दो-चार हो रहा है। जानकारों के मुताबिक सरोगेसी के जरुरी दस्तावेज अस्पताल से लेकर दफ्तरों तक नजर नहीं आ रहे है, फ़िलहाल तो DNA के बाद ही साफ हो पायेगा की पांडुलिपियां आखिर किसकी है ?  उनका आनुवंशिकी अर्थात जैविक पिता कौन है ? बताया जा रहा है कि मैडम ने इसी सरोगेसी को लेकर सत्ता का दामन थामा हुआ है।

बताते है कि पांडुलिपियों के फर्जी रजिस्ट्रेशन के चलते उन अधिकारियो की मुसीबत बढ़ गई है, जिन्होंने अवैध रूप से कराई गई सरोगेसी को अपनी मंजूरी दी थी। सूत्र बताते है कि सरोगेसी कानून का पालन नहीं कराये जाने के चलते ही कभी पत्रकारों की तो कभी उद्योगधंधों और कारोबारियों की फजीहत हो रही है। पत्रकार अवैध वाहनों के मालिकों का पता कर सरकार की सहायता करना चाहते है, तो सरकार है कि उनका ही गैरेज बंद करवाने में तुली है। 

बताया जा रहा है कि पांडुलिपियां निर्माण में स्पर्म की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है, इसके DNA टेस्ट से ही जेनेटिक फादर का पता चलता है। कानून के जानकारों के मुताबिक सरोगेसी एक्ट के पालन को लेकर केंद्र सरकार ने समय-समय पर राज्यों को दिशा निर्देश भी जारी किये है, इसके बावजूद भी पढ़े लिखे और उच्च सरकारी पदों पर काबिज अधिकारी ही कानून की धज्जियाँ उड़ा रहे है। 

न्यूज़ टुडे छत्तीसगढ़ की पड़ताल में सामने आया है कि किराये की कोख और सरोगेसी से जुडा कारोबार भी अपराध की शक्ल लेने लगा है। इससे जुड़े  कायदे कानून का पालन कराने वाले लोग ही प्रभावशील लोगो को कभी अवैध गर्भपात तो कभी अवैध सरोगेसी की राह दिखा रहे है।

यही नहीं कई जुनूनी लोग तो अपने प्यार की निशानी युगो तक कायम रखने की कसमे वादे लेकर सरोगेसी का फैसला ले रहे है, बताते है कि शौकिया सरोगेसी का मामला गंभीर ही नहीं बल्कि सामाजिक संक्रमण की तस्दीक कर रहा है। जानकारो की दो टूक है, SURROGACY IS FOR NEEDY PEOPLE, NOT FOR GREEDY PEOPLE 

उधर बगैर वैधानिक प्रक्रिया अपनाये अदालतों में किये जा रहे सरोगेसी के दावे कितने ठोस है, इसकी आधिकारिक पुष्टि छत्तीसगढ़ शासन के कर्णधार भी नहीं कर रहे है। उनके मुताबिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन में भी चेचिस, इंजन नंबर होता है, आरसी बुक से वाहन की पहचान, कंपनी का नाम और गुणवत्ता का पूरा ब्यौरा दर्ज किये जाने के उपरांत ही शोरूम से वाहनों की निकासी होती है, जबकि ये तो पाण्डुलिपि का मामला है। 

उनके मुताबिक यहां तो कोई रिकॉर्ड मेंटेन नहीं है, आखिर क्यों ? पत्रकारों से प्रतिप्रश्न कतिपय जिम्मेदार सरकारी अधिकारी ही कर रहे है, उनकी माने तो यह अति गोपनीय संवेदनशील मामला है, इसकी जानकारी देने पर सरकार रासुका तक लगा सकती है, अधिकारियो का खौफ बता रहा था कि दाल में काला नहीं अपितु पूरी दाल ही काली है।   

Exit mobile version