नई दिल्ली:- सैन्य पृष्ठभूमि पर बनी फिल्मों को मंजूरी देने के लिए सेना को 1 जनवरी 2021 से 31 जनवरी 2022 तक कुल 18 प्रस्ताव सरकार को प्राप्त हुए थे. इनमें से एक को खारिज कर दिया गया और एक अभी भी लंबित है. सरकार के मुताबिक डिफेंस के मुद्दों पर बनी फिल्मों को मंजूरी देने की प्रक्रिया मनमानी या भेदभावपूर्ण नहीं है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं है. प्रत्येक मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा, भारत की रक्षा, देश व विभिन्न राज्यों के कानून, सैन्य सेवा के लोकाचार जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया जाता है.
गौरतलब है कि कुछ फिल्मों को एनओसी न देना संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं है. इसी अनुच्छेद में साफ लिखा हुआ है कि भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता उचित शर्तों के अधीन है. वे शर्तों क्या हैं, इनका संविधान में वर्णन किया गया है.जनवरी में फिल्म मेकर ओनिर ने कहा था कि उनके एक आवेदन को आर्मी ने खारिज कर दिया. उनकी यह फिल्म भारतीय सेना के एक रिटायर्ड अफसर के ऊपर थी.
इस विषय पर रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने संसद में बताया कि, एनओसी देने से इनकार करने का कारण कश्मीर में सेवा करने वाले एक सेना के जवान और एक स्थानीय लड़के के बीच एक रोमांटिक रिश्ते का चित्रण है. इससे भारतीय सेना की इमेज खराब होती है और कई गंभीर सिक्योरिटी इश्यूज भी खड़े हो जाते हैं.