वरुथिनी एकादशी पर पढ़ लें यह स्‍तोत्र, मां लक्ष्‍मी खुश होकर देंगी सुख-समृद्धि का वरदान….

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Varithini Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि के दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु-मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. इसमें वैशाख कृष्‍ण एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं. हिंदू धर्म-शास्‍त्रों के अनुसार वरूथिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति की सभी चिंताएं दूर होती है और उसकी झोली खुशियों से भर जाती है. इस साल 24 अप्रैल 2025 को वरूथिनी एकादशी है. इस दिन भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्मी की पूजा करते समय तुलसी जी की भी पूजा करें. साथ ही तुलसी स्तोत्र का पाठ करें. इससे भगवान विष्‍णु और मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होंगे और अपार धन-समृद्धि देंगे.

तुलसी माता स्तोत्रम्
जगद्धात्रि नमस्तुभ्यं विष्णोश्च प्रियवल्लभे.
यतो ब्रह्मादयो देवाः सृष्टिस्थित्यन्तकारिणः॥१॥

नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णुप्रिये शुभे.
नमो मोक्षप्रदे देवि नमः सम्पत्प्रदायिके॥२॥

तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भ्योऽपि सर्वदा.
कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम्॥३॥

नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम्.
यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषात्॥४॥

तुलस्या रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम्.
या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरैः॥५॥

नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वाञ्जलिं कलौ.
कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथाऽपरे॥६॥

तुलस्याः नापरं किञ्चिद् दैवतं जगतीतले.
यथा पवित्रितो लोको विष्णुसङ्गेन वैष्णवः॥७॥

तुलस्याः पल्लवं विष्णोः शिरस्यारोपितं कलौ.
आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके॥८॥

तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यतः.
अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान् देवान् समर्चयन्॥९॥

नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे.
पाहि मां सर्वपापेभ्यः सर्वसम्पत्प्रदायिके॥१०॥

इति स्तोत्रं पुरा गीतं पुण्डरीकेण धीमता.
विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलैः॥११॥

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी.
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनःप्रिया॥१२॥

लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला.
षोडशैतानि नामानि तुलस्याः कीर्तयन्नरः॥१३॥

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्.
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया॥१४॥

तुलसि श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे.
नमस्ते नारदनुते नारायणमनः प्रिये॥१५॥

॥ इति श्रीपुण्डरीककृतं तुलसीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

तुलसी जी के मंत्र (Tulsi Mantras)

तुलसी नमस्कार मंत्र

महाप्रसाद जननी सर्वसौभाग्यवर्धिनी.
आधिव्याधिहरा नित्यं तुलसी त्वं नमोऽस्तुते.

तुलसी माता ध्यान मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी.
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमनःप्रिया॥
लभते सुतरां भक्तिं, अन्ते विष्णुपदं लभेत्.
तुलसी भूर्महालक्ष्मीः पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया॥

तुलसी नामाष्टक मंत्र

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी.
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्णजीवनी॥
एतद् तुलस्यष्टकं स्तोत्रं नामार्थं संयुतम्.
यः पठेत् तां च सम्पूज्य सौश्रमेघं फलं लभेत्॥

(Disclaimer – प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. News Today इसकी पुष्टि नहीं करता है.)