रायपुर / रायपुर विकास प्राधिकरण ने प्रदेश में शिल्प कला मंदिर के रूप में विख्यात ‘पंडरी हाट बाजार’ को तोड़ कर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स निर्माण की योजना तैयार की है। छत्तीसगढ़ शासन ने 15 दिनों में इसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए है। दिल्ली हाट की तर्ज पर तैयार किया गया पंडरी हाट को लेकर आरडीए की दलील है कि यहाँ असामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता है। उसके मुताबिक “हाट में वर्ष में एक या दो बार ही प्रदर्शनी लगती है, जबकि बाकी समय यह खाली रहता है। इससे यहाँ असामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता है।
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बताया जाता है कि आरडीए के अध्यक्ष सुभाष धुप्पड़ शासन को पत्र लिखकर कहा है कि ऐसी स्थिति में बोर्ड को आबंटित हाट बाजार को अन्यत्र स्थानांतरित किया जाना उचित होगा। पंडरी का यह इलाका सबसे व्यस्ततम प्रमुख बाजार है, और यहां अगर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण होता है तो एक बड़ी राशि आरडीए को उपलब्ध हो सकेगी। छत्तीसगढ़ हाट की भूमि का स्वामित्व आरडीए के पास ही है, अतः आरडीए की समस्या को दृष्टिगत रखते हुए यहां व्यावसायिक परिसर के निर्माण की अनुमति दी जाए।”
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जानकारी के मुताबिक देवेंद्र नगर पंडरी में छत्तीसगढ़ हाट के लिए आरडीए ने हस्तशिल्प विकास बोर्ड को 4 एकड़ भूमि सन 2002 में 30 वर्ष के पट्टे पर दी थी। पंडरी हाट बाजार में देश प्रदेश की पारंपरिक शिल्प कला को सहेजने और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए शासन द्वारा संचालित किया जाता है। यहां देश के कोने-कोने से आने वाले शिल्पियों की कला को अच्छा बाजार मिलता है। यहाँ की नैसर्गिक सुंदरता के बीच कांक्रीट का जंगल बसाने की योजना सुनकर शिल्पकार और आम जनता हैरत में है। हस्तशिल्प विकास बोर्ड के महाप्रबंधक एस.एल. धुर्वे के मुताबिक छत्तीसगढ़ हाट के निर्माण में 8 करोड़ की लागत आई। इसमें केंद्र सरकार का योगदान 70 प्रतिशत का था।
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उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ हाट के सन 2007 में निर्माण के साथ ही यहां प्रदर्शनी की संख्या बढ़ती गई। अब हर वर्ष यहां 6 से 7 प्रदर्शनियां लगती हैं। हाट की सफलता को देखते हुए ही भारत सरकार के हस्तशिल्प वस्त्र मंत्रालय ने यहां पूरे साल प्रदर्शनी लगाने की अनुमति दे दी है। उनके मुताबिक छत्तीसगढ़ हाट में पूरे समय सुरक्षा कर्मियों की तैनाती रहती है,इसके चलते यहां आवारा तत्वों का जमावड़ा नहीं लगता। छत्तीसगढ़ हाट के स्थान पर कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना सुनकर उन्होंने हैरानी जताई।