RBI MPC Announcement: नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं, एमपीसी की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर ने किया एलान….

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नई दिल्ली: RBI MPC Announcement: भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को एमपीसी 51वीं बैठक में चर्चा के बाद 6.5% पर बरकरार रखा गया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने तीन दिनों तक चली एमसीसी की बैठक के बाद यह एलान किया। रुख को न्यूट्रल रखने पर एमपीसी के सभी सदस्यों ने सहमति दिखाई। केंद्रीय बैंक के गवर्नर के अनुसार आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि लचीले मौद्रिक नीति ढांचे ने 8 साल पूरे कर लिए हैं, यह एक प्रमुख संरचनात्मक सुधार है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ कर दिया। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने लगातार 10वीं बार बेंचमार्क ब्याज दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि लचीले मौद्रिक नीति ढांचे ने 8 साल पूरे कर लिए हैं, यह एक प्रमुख संरचनात्मक सुधार है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति के रुख को बदलकर ‘तटस्थ’ कर दिया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने लगातार 10वीं बार बेंचमार्क ब्याज दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।

आरबीआई ने सामान्य मानसून को देखते हुए वित्त वर्ष 2025 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। दास ने कहा, “अच्छे मानसून और पर्याप्त बफर स्टॉक के कारण इस वर्ष के अंत में खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आएगी।” दास ने कहा कि प्रतिकूल आधार और खाद्य कीमतों में तेजी के कारण सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति में बड़ी उछाल आने की आशंका है। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने ब्याज दर पर यथास्थिति रखने के पक्ष में 5:1 से फैसला किया।

7 अक्तूबर 2024 को शुरू हुई एमपीसी की बैठक पर बाजार का ध्यान बना रहा। केंद्रीय बैंक ने पिछले नौ लगातार बैठकों से रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा था। पिछली बैठकों में आरबीआई ने मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं को आर्थिक विकास की आवश्यकता के साथ संतुलित करने का रुख अपनाया था। इस बार एमपीसी ने जिन प्रमुख कारकों पर विचार किया, उनमें लगातार बढ़ती महंगाई का दबाव, खासकर खाद्य कीमतों के अलावा वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं शामिल रही।