बलात्कार – दुष्कर्म के झूठे केस में फंसा कर युवक का जीवन तबाह करने वाली लड़की को अदालत की फटकार, झूठे मामले की सच्चाई पर अदालत की मुहर, अब लड़की को चुकाना होगा पीड़ित युवक को 15 लाख रुपये, झूठा केस बनाने वाले पुलिस कर्मियों पर भी होगी कार्रवाई

0
4

चेन्नई / कहा जाता है कि सत्य प्रताड़ित हो सकता है, लेकिन परास्त नहीं | इसी कहावत को चेन्नई की एक अदालत ने साबित कर दिखाया है | उसने बलात्कार – दुष्कर्म के झूठे मामले में फंसाए गए एक युवक को मुआवजे के रूप में 15 लाख रुपये देने का आदेश दिए है। यही नहीं अदालत ने झूठा मुक़दमा तैयार करने वालों को भी कड़ी फटकार लगाई है | दरअसल पीड़ित युवक को कॉलेज में पढाई के दिनों में दुष्कर्म के एक आरोप में गिरफ्तार किया गया था | इस युवक को बलात्कार के मामले में समाज में काफी अपमान सहना पड़ा | संतोष ने लड़की, उसके माता-पिता और मामले की जांच करने वाले सचिवालय कॉलोनी थाने के पुलिस निरीक्षक से हर्जाने के रूप में 30 लाख रुपये की मांग की थी। संतोष के वकील ए सिराजुद्दीन ने कहा कि उनके मुवक्किल का परिवार और महिला का परिवार पड़ोसी थे। वे एक ही समुदाय के थे।    

संतोष ने एक इंजीनियरिंग कॉलेज में बीटेक के लिए दाखिला लेकर पढ़ाई शुरू की थी। तभी एक दिन लड़की की मां संतोष के घर पहुंची और उसने संतोष के माता-पिता से कहा कि उसने लड़की से दुष्कर्म कर उसे गर्भवती कर दिया है। लड़की के परिजनों ने मांग की कि संतोष का परिवार उनके विवाह की व्यवस्था करें।दोनों परिवारों के बीच इस बात को लेकर सहमित बनी हुई थी कि संतोष महिला से शादी करेगा। हालांकि आगे चलकर दोनों परिवारों के बीच संपत्ति विवाद हो गया। इसके बाद संतोष और उनका परिवार चेन्नई में ही दूसरी जगह पर शिफ्ट हो गया। जब संतोष ने शादी करने से इनकार कर दिया तो लड़की के परिजनों ने उस पर दुष्कर्म का केस दर्ज करवा दिया। उसे गिरफ्तार किया गया और 95 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। 12 फरवरी, 2010 को वह जमानत पर जेल से बाहर आया। 

संतोष ने बताया कि आखिर क्यों उसने दायर किया था हर्जाने का मुकदमा | संतोष ने कारण बताते हुए कहा कि हर्जाने के लिए मुकदमा दायर करने कि कुछ खास वजह थी | उसके मुताबिक उसे केस के लिए 2 लाख रुपये खर्च करने पड़े। वह एक वाणिज्यिक ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं प्राप्त कर सका और उसे एक कार्यालय सहायक के रूप में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। सात साल से अधिक समय तक मुकदमे का सामना कर रहे इस युवक के चेहरे में उस समय ख़ुशी के आंसू दिखाई दिए जब अदालत ने उसे बेगुनाह करार दिया | यही नहीं उसने मुक़दमा दर्ज कराने वाली तथा कथित युवती और उसके परिजनों को 15 लाख रुपये अदा करने के निर्देश दिए | यह मुआवजा राशि कथित पीड़िता व उसके परिजनों को पीड़ित युवक को चुकाना होगा।

दरअसल संतोष नाम के इस युवक पर युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगाया था | पुलिस ने संतोष के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कर उसे जेल की हवा खिला दी | उधर अदालती कार्रवाई में संतोष ने बताया कि उस पर लगाए गए दुष्कर्म के आरोप झूठे है | इसके चलते उसका करियर और जीवन बर्बाद हो गया है | उधर अदालत को पीड़िता ने बताया कि दुष्कर्म के चलते वो गर्भवती हुई और उसने एक बच्ची को जन्म दिया है | अदालत ने युवती की मेडिकल जाँच कराई | मेडिकल रिपोर्ट में बच्ची का डीएनए संतोष से मेल नहीं खाया। इसके बाद संतोष ने झूठा आरोप लगाने वाली लड़की के खिलाफ मुआवजे और पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर मुकदमा दायर किया था। 

ये भी पढ़े : मध्यप्रदेश का चलित जेल चर्चा में, मास्क ना लगाने वालों को चंद घंटों के लिए बंद किया जा रहा है खास वाहन में, सोशल मीडिया में वायरल होने वाले चलित जेल की हो रही तारीफ, देखे वीडियो