रायपुर: छत्तीसगढ़ में शराब, कोल खनन परिवहन और खनिज घोटाले में कांग्रेस के फरार कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल की तलाश जोर-शोर से जारी है। ACB/EOW की टीम ने आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। रामगोपाल के अलावा विकास अग्रवाल की भी तलाश एजेंसियों को है। सूत्र तस्दीक करते है कि विकास अग्रवाल ने रायपुर में ही अपना ठिकाना बनाया हुआ है। इसी तर्ज पर राजनांदगांव के एक फार्महाउस में लंबा समय बिताने के बाद रामगोपाल भी नौ दो ग्यारह है, लगभग 6 माह से उनके कदम नागपुर, विशाखापत्तनम से लेकर दुबई तक की जमीन नापते हुए राजस्थान के एक धार्मिक स्थल में वक़्त गुजारते बताये जाते है।

अंदेशा जाहिर करने वाले कई सूत्र यह भी दावा करते है कि नदारद कोषाध्यक्ष ने धमतरी और नई राजधानी के आसपास ही किसी सर्व सुविधायुक्त फार्महाउस में डेरा डाला हुआ है। उनकी माने तो भले ही गाहे-बगाहे लेकिन परिजनों से उनकी नियमित मेल-मुलाकात जारी है। यही नहीं व्यवस्थित नेटवर्क के जरिये रामगोपाल और पूर्व मुख्यमंत्री के बीच सहज संपर्क भी स्थापित है। हालांकि आम जनजीवन से कोसो दूर, राम गोपाल के चरणों की ‘रज’ से वाकिफ एजेंसियों का गलियारा भी अपनी नई राह पकड़ने की ओर सक्रिय नजर आ रहा है। राम गोपाल की तर्ज पर विकास अग्रवाल को भी ढूंढ निकालने में ED को अब तक ना कामयाबी ही हासिल हुई है। लेकिन ED की विवेचना में ACB/EOW का डबल इंजन लगने के बाद कयासों का दौर जारी है।

ACB/EOW की पेशेवर तफ्तीश से महकमे में सक्रियता देखी जा रही है, लिहाजा माना जा रहा है कि संदेहियों-आरोपियों के जल्द ही दिन फिरने वाले है। इस बीच यह भी जानकारी सामने आई है कि पार्टी कोषाध्यक्ष के ‘वसूली मास्टर’ वाले अंदाज-सलूख से कांग्रेस की तिजोरी नगदी से लबालब भरी थी। रायपुर से लेकर दिल्ली तक लेनदेन का हिसाब-किताब राम गोपाल के हाथों में था। विश्वनीय सूत्रों की माने तो पार्टी के कोष में प्रतिमाह करोड़ो इकठ्ठा होते थे। विभिन्न ठेकों और सरकारी महकमों से होने वाली आमदनी के पूरे ब्यौरे को कोषाध्यक्ष के मोबाइल पर ही उपलब्ध कराया गया था। उनके मुताबिक स्वयं पूर्व मुख्यमंत्री समय-समय पर लेनदेन का हिसाब-किताब रामगोपाल से लिया करते थे।

उनकी माने तो संगठन के तमाम पदाधिकारियों को दरकिनार कर पूर्व मुख्यमंत्री ने फंड के इंतजाम को लेकर कोषाध्यक्ष को ही एकतरफा कमान सौंप रखी थी। विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान एकत्रित की गई नगदी-चंदे और पार्टी फंड के ब्यौरे का हिसाब-किताब नहीं सौपे जाने से कई नेता इसमें भी घोटालेबाजी का अंदेशा जाहिर कर रहे है। उनकी माने तो विभिन्न इंड्रस्टी, एसोसिएशन और अन्य स्त्रोतों से एकत्रित की गई लगभग 550 करोड़ की रकम का हिसाब-किताब साझा किये बगैर ही कोषाध्यक्ष ने अन्य पदाधिकारियों से भी दूरिया बना ली है। पीड़ित कार्यकर्ता यह भी तस्दीक करते है कि राजीव भवन और अन्य राजनैतिक कार्यक्रमों में पार्टी खर्चों से संगठन का दम निकल रहा है।

ED,CBI और पुलिस के विरोध में आयोजित धरना-प्रदर्शनों में ही पर्दे के पीछे से राम गोपाल रूचि लेते हुए मोटा खर्च कर रहे है। लेकिन संगठन के कार्यक्रमों में छोटे-मोटे बिलों के भुगतान को लेकर भी उनका मुँह फूल जाता है। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार, चंदाखोरी और अवैध उगाही के मामलों में सुर्ख़ियों में आये रामगोपाल अग्रवाल की गिरफ्तारी को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। इस बार ACB/EOW की टीम पूर्व की तरह नहीं बल्कि नए पेशेवर अंदाज में विवेचना में जुटी है।
प्रदेश के 700 करोड़ के कोल खनन परिवहन घोटाले में रायपुर की विशेष अदालत ने रामगोपाल अग्रवाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। इसके साथ ही उनकी गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने अपनी कमर कस ली है। जानकारी के मुताबिक एक विशेष मीटिंग में ACB/EOW प्रमुख अमरेश मिश्रा ने भ्रष्टाचार में लिप्त तमाम आरोपियों की गिरफ्तारी के सख्त निर्देश दिए है, मिश्रा रायपुर रेंज के आईजी भी है।

लिहाजा ACB/EOW की टीम में आरोपियों की धड़ पकड़ को लेकर पुलिस का डबल इंजन लगने से मामले के अंजाम तक पहुंचने के आसार बढ़ गए है। प्रदेश में रामगोपाल का सुनियोजित तौर पर कारोबार, अभी भी जारी बताया जा रहा है। वे पार्टी से लेकर कारोबार में शामिल कई विश्वसनीय लोगों से नियमित संपर्क में बताये जाते है। अदालत से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद फरार कोषाध्यक्ष के कई स्थानीय ठिकानों में गहमा-गहमी देखी जा रही है। प्रदेश के विभिन्न घोटालों में पार्टी कोषाध्यक्ष रामगोपाल की बड़ी हिस्सेदारी बताई जाती है। यह भी बताया जा रहा है कि विभिन्न महकमों से हर माह पार्टी फंड में करोड़ों की बारिश होती थी।

शराब, कोल खनन परिवहन, खनिज, रेत, गिट्टी-मुरुम के ठेके के अलावा नागरिक आपूर्ति निगम (नान) पूर्ववर्ती सरकार के कमाई के अड्डे बताये जाते है। यहाँ से हर माह करोड़ों की रकम कोषाध्यक्ष की देख-रेख में पार्टी फंड में जमा की जाती थी। लेकिन रामगोपाल ने फरारी के पूर्व इसका कोई हिसाब-किताब संगठन को नहीं सौंपा है, कार्यकर्ताओं की माने तो मामला सीधे तौर पर पार्टी फंड में भी घोटालेबाजी से जुड़ा है।

आरी डोंगरी खदान आवंटन की रकम का कोई हिसाब-किताब नहीं
सूत्र तस्दीक कर रहे है कि राम गोपाल अग्रवाल को अवैध वसूली और धन एकत्रित करने के लिए भूपे सरकार ने विशेष लाइसेंस सौंप दिया था। पार्टी की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उनके स्वामित्व में कांकेर स्थित ‘आयरन ओर माइनिंग’ आरी-डोंगरी तश्तरी में परोस कर पेश की गई थी। इस कारोबार में पूर्व मुख्यमंत्री की भी हिस्सेदारी बताई जाती है। खनिज विकास निगम में गैर-क़ानूनी कृत्यों के जरिये बस्तर से सटे कांकेर स्थित आरी डोंगरी खदान को हथिया गया था। ‘आयरन ओर माइनिंग’ के लिए मैनेज टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई थी। खनिज विकास निगम में गुंडे-बदमाशों की तैनाती कर रामगोपाल एंड कंपनी के पक्ष में दूषित और एकतरफा टेंडर प्रक्रिया अपना कर बड़ा खनिज घोटाला अंजाम दिया गया था।

नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में कांग्रेस राज में बड़ा घोटाला
जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री के कमाऊपूत के रूप में चर्चित राम गोपाल को एक खास प्रयोजन के चलते नागरिक आपूर्ति निगम के चेयरमेन की कुर्सी सौंपी गई थी। धान के उठाव, परिवहन, खरीद-फरोख्त के अलावा आउट सोर्सिंग कर्मियों की नियुक्ति में भी बड़ा भ्रष्टाचार बताया जा रहा है। कई विभागीय कर्मी इन घोटालों की जांच की मांग कर रहे है। उनके मुताबिक सालाना होने वाली धान की खरीदी में विभिन्न समितियों और खरीदी केंद्रों में कमीशन का बोलबाला था। अच्छी और गुणवत्ता वाली धान का समय पर उठाव ना कर उसे सड़ाया जाता था।

इसके बाद कम कीमत पर खास दलालों के माध्यम से ठिकाने लगा दिया जाता था। कई धान भंडारों में कागजों में खरीदी के फरमान रामगोपाल ने सुनाये थे। धान की बर्बादी का अंदेशा होने के बावजूद समितियों को कैप कवर उपलब्ध नहीं कराये गए, लाखों टन असुरक्षित धान नष्ट होने से छत्तीसगढ़ शासन को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।राजनैतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री के विभिन्न घोटाले की रकम ठिकाने लगाने की बड़ी जवाबदारी संभालते-संभालते रामगोपाल ने पार्टी के खजाने को भी ठिकाने लगा दिया है।
यह भी बताया जाता है कि नवा रायपुर में राम गोपाल अग्रवाल ने करोड़ों का निवेश किया है। कई किसानों को नगद रकम सौंप कर उनकी बेशकीमती जमीनों की औने-पौने दाम में खरीद-फरोख्त की गई है। नई राजधानी में मंत्रालय के करीब NRDA करोड़ों की जमीन की खरीद-फरोख्त में घोटालों की रकम के इस्तेमाल की भी जानकारी सामने आई है। जानकारों के मुताबिक रायपुर के अलावा दुर्ग, धमतरी, बेमेतरा और बिलासपुर में भी फरार राम गोपाल का रियल एस्टेट और पारिवारिक कंपनियों में बड़े पैमाने पर नामी-बेनामी निवेश बताया जाता है।

अंबिकापुर के बर्बरीक ग्रुप में भी उनकी बड़ी हिस्सेदारी बताई जाती है। यह भी बताया जा रहा है कि बीते 5 सालों में पूर्व मुख्यमंत्री बघेल ने अपने कार्यकाल में इस कंपनी को बेजा उपकृत किया था। CSCEB में कोल खनन परिवहन के ठेके, PWD, PHE, सिंचाई समेत अन्य महकमों में ऊँची दरों पर ‘बर्बरीक’ को गैर-क़ानूनी रूप से फायदा पहुंचाया गया था। इस कंपनी के खिलाफ कई विभागीय शिकायतों का एकतरफा नष्टीकरण कर दिया गया था। फ़िलहाल, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के नगद नारायण के रूप में चर्चित धमतरी निवासी राम गोपाल अग्रवाल की तलाश जोर-शोर से शुरू हो गई है, गिरफ्तारी को लेकर जल्द ही उन पर इनाम घोषित होने के आसार भी बताये जा रहे है।