राजीव गांधी: युवा प्रधानमंत्री और दूरदर्शी नेता
भारत रत्न राजीव गांधी 40 वर्ष की उम्र में प्रधानमंत्री बने और भारतीय राजनीति में नई दिशा लेकर आए। 1984 से 1989 तक अपने कार्यकाल में उन्होंने शिक्षा, तकनीक और संचार क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए, जिसने देश को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया। राजीव गांधी न केवल भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे, बल्कि एक दूरदर्शी नेता भी थे जिन्होंने भविष्य की चुनौतियों और अवसरों को भांपकर नीतियां बनाईं।
दूरसंचार और डिजिटल क्रांति
राजीव गांधी को भारत में सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार क्रांति का जनक माना जाता है। उनके कार्यकाल में 1984 में सी-डॉट (टेलीमेटिक्स विकास केंद्र) की स्थापना की गई, जिसने ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में संचार नेटवर्क में क्रांति ला दी। पीसीओ बूथों और 1986 में स्थापित एमटीएनएल ने दूरसंचार को आम जनता तक पहुंचाया। उनके सलाहकार सैम पित्रोदा की देखरेख में छह तकनीकी मिशन भी स्थापित किए गए, जिनमें दूरसंचार, जल, साक्षरता और कृषि शामिल थे।
शिक्षा और युवा सशक्तिकरण
राजीव गांधी ने 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE) की घोषणा की और जवाहर नवोदय विद्यालय जैसी संस्थाएं स्थापित कीं, जो ग्रामीण छात्रों को निःशुल्क आवासीय शिक्षा देती हैं। युवाओं को सशक्त बनाने के लिए 1989 में मतदान की आयु 18 वर्ष की गई, जिससे युवा लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल हो सके।
पंचायती राज और लोकतंत्र
उनके नेतृत्व में ही पंचायतों और स्थानीय शासन संस्थाओं की नींव रखी गई, जिसे 1992 में 73वें और 74वें संविधान संशोधन द्वारा कार्यान्वित किया गया।
