कम उम्र की लड़कियों की ‘नीलामी’ को लेकर राजस्थान विवादों में,अब NHRC ने सरकार से मांगी रिपोर्ट

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दिल्ली / जयपुर : राजस्थान में अय्याशी और जोर जबरदस्ती विवाह के लिए लड़कियों की खरीद फरोख्त का बाजार जोर पकड़ रहा है। ऐसी घटनाओ में जबरदस्त तेजी आई है। इसे लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है। दरअसल ,राज्य के आधा दर्जन जिलों में जाति पंचायतों के फरमान पर वित्तीय विवादों के निपटारे के लिए लड़कियों की स्टाम्प पेपर पर नीलामी की जा रही है। इससे इनकार और विरोध करने पर लड़कियों की माँ-बहनो का रेप किया जाता है। 

राजस्थान के भीलवाड़ा से ऐसी ही कुछ तस्वीर सामने आई थी। जिनमें स्टाम्प पेपर पर लड़की बेचने का मामला सामने आया था।बाकायदा कानूनी तरीके से लिखा पढ़ी और स्टांप पेपर में दर्ज कराने के बाद राजस्थान में बेटियों की खुलेआम नीलामी चल रही है. साजिश के तहत गरीब परिवार की लड़कियों की नीलामी से पहले उनके अभिभावकों को कर्जदार बनाया जाता है।

इनसे बकायदा स्टांप पेपर पर लिखवा भी लिया जाता है कि जब यह कर्ज चुकाने में विफल रहेंगे तो उनकी लड़कियों की नीलामी होगी। कर्जा नहीं चुकाने पर उस लड़की के पिता को समाज से बहिष्कृत तक करने की चेतावनी दी जाती है।  हालांकि इस पूरे मामले में अब तक लिखित में पीड़ित लड़की के किसी भी परिजन से राजस्थान पुलिस में कोई शिकायत नहीं मिली है|

NHRC के एक बयान के अनुसार उसने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है। बयान के मुताबिक राजस्थान के मुख्य सचिव और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को चार सप्ताह के भीतर आयोग को जवाब देने के लिए कहा गया है।एनएचआरसी ने विशेष प्रतिवेदक उमेश शर्मा को राजस्थान के ऐसे प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए कहा है. साथ ही तीन महीने के भीतर उक्त घटनाओं और वहां प्रचलित प्रथा के बारे में एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए  है|

एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए एनएचआरसी ने कहा कि जब भी दो पक्षों के बीच विशेष रूप से वित्तीय लेनदेन और ऋण को लेकर कोई विवाद होता है. ऐसे में पैसे की वसूली के लिए 08 साल से 18 साल की उम्र की लड़कियों को नीलाम किया जाता है.

एनएचआरसी के अनुसार एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि नीलाम होने के बाद इन लड़कियों को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, मुंबई, दिल्ली और यहां तक कि विदेशों में भेज दिया जाता है. साथ ही उनका शारीरिक शोषण, प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न किया जाता है. अगर यह खबर सही है, तो यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। आयोग ने इस मामले में राजस्थान के मुख्य सचिव से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में यह भी जवाब माँगा है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की गई है, क्या कदम उठाए गए हैं? यदि नहीं उठाये गये तो प्रस्तावित कदम क्या हैं.

एनएचआरसी ने कहा कि रिपोर्ट में यह शामिल होना चाहिए कि कैसे राज्य सरकार ग्राम पंचायत का कामकाज संवैधानिक प्रावधानों या पंचायती राज कानून के अनुसार सुनिश्चित कर रही है. ताकि राज्य में लड़कियों और महिलाओं की गरिमा और मानवाधिकार को प्रभावित करने वाली जाति-आधारित व्यवस्था को समाप्त किया जा सके|एनएचआरसी ने कहा कि राजस्थान के डीजीपी को भी एक नोटिस जारी किया गया है और उनसे इस तरह के अपराधों में शामिल लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू करने के बारे में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा गया है।