रायपुर : – रायपुर के NH MMI अस्पताल में मैनेजमेंट के नेतृत्व को लेकर एक बार फिर घमासान मच गया है। इसका सीधा असर मरीजों के स्वास्थ पर भी पड़ रहा है। दरअसल, ट्रस्ट के अध्यक्ष पद की कुर्सी पर कुपात्र ट्रस्टी के काबिज़ हो जाने से गहमा – गहमी है, हंगामा हो रहा है, आय – व्यय और समाज सेवा में गैर ट्रस्टियों की दखलंदाजी को लेकर नया विवाद सामने आया है। MMI ट्रस्ट के मौजूदा अध्यक्ष की सदस्यता को लेकर बवाल खड़ा हो गया है, मूल ट्रस्टियों के अनुसार कुपात्र को MMI की कमान सौंपे जाने के चलते नियमानुसार न तो इलाज के फ्री कूपन मुहैया हो पा रहे है, और न ही जरूरतमंद मरीजों का अपेक्षित इलाज सुलभ हो पा रहा है। पीड़ित फाउंडर ट्रस्टियों के बीच फ्री कूपन को लेकर मारा – मारी भी देखी जा रही है। हाईकोर्ट बिलासपुर के एक फ़ैसले के बाद ट्रस्ट के अध्यक्ष चयन को लेकर एक तरफ़ा कवायत से यहाँ विवाद की नौबत आ गई है। जानकारी के मुताबिक मौजूदा अध्यक्ष को फाउंडर मेंबर ने नोटिस देकर फ़ौरन कुर्सी छोड़ने का आग्रह किया है, अन्यथा प्रशासन और राज्य सरकार से फौरी वैधानिक कार्यवाही की मांग भी की गई है।

जानकारी के मुताबिक विवाद को देखते हुए मॉर्डन मेडिकल इंस्टीट्यूट समिति के प्रबंधन की आम सभा बैठक आगामी तिथि तक स्थगित कर दी गई है। यह बैठक कल दिनांक 18/08/2025 को आयोजित की गई थी। मॉर्डन मेडिकल इंस्टीट्यूट समिति के सदस्यों को सूचित किया गया है कि आमसभा बैठक विधिक कारणों से स्थगित की गई है।
जानकारी के मुताबिक संस्था के वरिष्ठ सदस्य महेन्द्र धाडिवाल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से एक क़ानूनी नोटिस संस्था को सौंपा है, इसमें विभिन्न कंडिकाओ में कई गंभीर आरोप लगाए गए है। इसमें यह भी कहा गया है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय द्वारा अमान्य घोषित हुए उपनियमो – संशोधनों की वैधानिकता को दरकिनार कर दिवंगत फाउंडर मेम्बरों के उत्तराधिकारियों को नियमविरुद्ध तरीके से ट्रस्ट का मेंबर बनाया गया, फिर उसका अध्यक्ष पद पर मनोनयन कर दिया गया है।

जानकारी के मुताबिक सेक्स सीडी काण्ड में विवादों में आये उद्योगपति सुरेश गोयल ने अपनी बीमारी और लाचारी का हवाला देते हुए किसी वीरेन्द्र गोयल नामक कारोबारी को ट्रस्ट के अध्यक्ष पद की कुर्सी एक तरफ़ा सौंप दी है। इस दौरान शेष ट्रस्टियों को विश्वास में नहीं लिया गया था। जबकि हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में साफ़ कर दिया था कि दिवंगत ट्रस्टियों के पुत्रों को MMI मैनेजमेंट में सिर्फ इस आधार पर नियुक्त नहीं किया जा सकता कि उनके पिता भी यहाँ ट्रस्टी थे। फाउंडर मेम्बरों ने MMI ट्रस्ट संविधान का हवाला देते हुए साफ़ किया है कि उत्तराधिकारी सदस्यता स्थानांतरण पर अदालती रोक है। यह भी बताया जाता है कि मौजूदा चेयर पर्सन वीरेंद्र गोयल की सदस्यता हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ है। उनका मनोनयन विधि विरुद्ध जताते हुए आम सभा स्थगित की गई है। मूल ट्रस्टी और प्रसिद्ध समाजसेवी महेंद्र धाड़ीवाल की दलील है कि मौजूदा अध्यक्ष का मनोनयन अवैधानिक है। उनकी सदस्यता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। बताया जाता है कि वीरेंद्र गोयल को उनके दिवंगत पिता के स्थान पर MMI ट्रस्ट में जोर – जबरदस्ती शामिल किया गया था। फिर कारोबारी सुरेश गोयल ने रातों – रात अपनी कुर्सी उन्हें सौंप दी थी।

कारोबारी सुरेश गोयल के इस कदम का MMI ट्रस्ट प्रबंधन में जमकर विरोध शुरू हो गया है, ज्यादातर ट्रस्टियों को कुर्सी का यह खेल बिलकुल भी रास नहीं आ रहा है, वे न्याय की मांग कर रहे है। एक जानकारी के मुताबिक MMI ट्रस्ट के गठन के दौरान 67 फाउंडर मेंबर थे, वर्तमान में इनमे से 35 की मृत्यु हो चुकी है, शेष जीवित 32 सदस्य से ही इस संस्थान के मूल ट्रस्टी बताये जाते है। लिहाज़ा मैनेजमेंट में बाहरी सदस्यों की नियुक्ति और दखलंदाजी को लेकर अस्पताल प्रबंधन के बीच घमासान मचा है।

एक पीड़ित ट्रस्टी ने यह भी दावा किया है कि जीवित बचे लगभग 32 ट्रस्टियों में ज्यादातर की उम्र 70 पार हो चुकी है, वे अक्सर बीमार भी रहते है, लेकिन समाज सेवा के जस्बे के चलते उम्र के इस मोड़ में भी राजनीति और लोभ – लालच से कोसों दूर है, लिहाजा ऐसे वरिष्ठ सदस्यों की मांगो को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उनके मुताबिक कुपात्र व्यक्ति को ट्रस्ट की कमान सौंपने से कई फाउंडर मेंबर लगातार तनाव और अवसाद के दौर से गुजर रहे है। वे इस MMI संस्थान को समाज सेवा की धरोहर के रूप में देखना चाहते है, ना कि मौजूदा मैनेजमेंट की देख – रेख में बेजा लाभ कमाने वाली विवादित संस्था के रूप में। पीड़ित तस्दीक करते है कि MMI विवाद का बुरा असर फाउंडर ट्रस्टियो के स्वास्थ में पड़ रहा है। यह भी बताया जाता है कि ज्यादातर मूल ट्रस्टी किसी वरिष्ठ और सुलझे सदस्य को मैनेजमेंट की जिम्मेदारी सौंपना चाहते है, लेकिन कारोबारी सुरेश गोयल उनकी राह में रोड़ा बन गए है। नाम न जाहिर करने की शर्त पर कई मेंबर दावा कर रहे है कि मौजूदा अध्यक्ष वीरेंद्र गोयल, पूर्व अध्यक्ष सुरेश गोयल के करीबी नाते – रिश्तेदार है।
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उधर यह भी बताया जाता है कि सुरेश गोयल के खास सलाहकार और विश्वासपात्र रहे राम अवतार अग्रवाल भी अब बग़ावत पर उतर आये है। उन्होंने भी मौजूदा अध्यक्ष के खिलाफ ताल ठोक दी है। नए अध्यक्ष के चयन और ट्रस्ट के जल्द चुनाव को लेकर उनकी सक्रियता से गहमा – गहमी जोरों पर बताई जाती है। हालांकि ट्रस्टियों का एक गुट राम अवतार की सक्रियता को सुरेश गोयल के मोहरें के रूप में देख रहा है। फ़िलहाल, NH और MMI के बीच खींचती तलवारों से साफ़ हो रहा है कि जल्द ही इस संस्थान में कोई बड़ा बखेड़ा देखने को मिल सकता है।
